आदिवासी हित की बात करने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेताओं आदिवासी समाज से माफी मांगनी चाहिए नहीं तो चुल्लू भर पानी में डूब कर मर जाना चाहिए -विजय शंकर नायक

रांची
आदिवासी हित की बात करने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेताओं आदिवासी समाज से माफी मांगनी चाहिए नहीं तो चुल्लू भर पानी में डूब कर मर जाना चाहिए । भाजपा का आदिवासी प्रेम का चेहरा मध्य प्रदेश में पेशाब कांड की घटना ने पोल खोलने का काम किया है ।

उपरोक्त बातें आज झारखंडी सूचना अधिकार मंच के केंद्रीय अध्यक्ष सह आदिवासी मूलवासी जन अधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विधायक पूर्व प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने मध्य प्रदेश में हुए पेशाब कांड की घटना पर अपनी प्रतिक्रिया में उक्त बातें कहीं ।

उन्होंने यह भी कहा भारतीय जनता पार्टी दलित आदिवासी एवं मूलवासी समाज से प्रेम करने का नाटक करती है प्रेम करने का दिखावा करती है उनके हितों की रक्षा करने की बात स्वांग रचती है मगर अंदर ही अंदर मनुवादी विचारधारा आरएसएस संचालित भारतीय जनता पार्टी दलित आदिवासी मूलवासी समाज को गुलाम बनाने का षडयंत्र करते रहती है और उसे बीच-बीच में एहसास भी कराती है कि वह गुलाम है जिसका ही चेहरा पेशाब कांड है ।

श्री नायक ने आगे कहा की मध्य प्रदेश में हुए आदिवासी के ऊपर हुए पेशाब कांड पर भारतीय जनता पार्टी के आदिवासी झारखंडी नेताओं को अपना स्पष्टीकरण देकर इस घटना का निन्दा किया जाना चाहिए था मगर अभी तक किसी भी झारखंड के आदिवासी भाजपा नेता ने इस घटना की निंदा अभी तक नहीं की जिससे ऐसा लगता है कि उनका भी अप्रत्यक्ष रूप से इस घटना पर मौन सहमति है ।

भाजपा का चरित्र रहा है गले आदिवासी पर जुल्म करने का कयोंंकि इससे पूर्व झारखंड की भाजपा महिला नेत्री के द्वारा अपने आदिवासी महिला जो उनके यहां काम करती थी उसके ऊपर इतने जुल्म और अत्याचार किए गए थे जिसकी बयां नहीं की जा सकती है जब सड़क पर विरोध हुआ तब वह आज वह भाजपा नेत्री जेल में है।

इस पेशाब कांड की घटना ने पूर्व में हुए हजारों साल के जुल्म अत्याचार उत्पीड़न और शोषण को याद दिलाने का काम करता है कि संविधान के होते हुए भी आज आदिवासी समाज पर पेशाब किया जा रहा है तो सोचिए गुलाम भारत में दलित आदिवासी मूलवासी समाज के साथ क्या-क्या जुल्म हुए होंगे यह सोचने का विषय ।

श्री नायक ने आगे कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेता कभी भी नहीं चाहती कि दलित आदिवासी मूलवासी समाज का सर्वांगीण विकास हो और वे स्वाभिमान के साथ सामाजिक आर्थिक राजनीतिक शैक्षणिक रूप से मजबूत हो सके इनकी कथनी और करनी मैं कोई तालमेल नहीं है

आज भाजपा के राज में दलित आदिवासी मूलवासी समाज पर जितने जुल्म हुए होंगे आजाद भारत पर उतने जुल्म नहीं हुए होंगे चाहे यूपी हो चाहे मध्यप्रदेश हो चाहे गुजरात हो भाजपा शासित प्रदेश में दलित आदिवासी मूलवासी समाज की हितो की रक्षा नहीं की जा रही है उनके मानवाधिकार पर उल्लंघन किए जा रहे हैं उन पर शोषण अत्याचार की घटना में वृद्धि हुई है ।

इस घटना ने सभ्य समाज के मुंह पर कलंक लगाने का कार्य किया जितनी निंदा की जाए कम है, इस घटना ने समाज को झकझोरने का काम किया है अगर भारतीय जनता पार्टी के झारखंड में आदिवासी नेता अगर आदिवासी समाज से उनके कार्यकर्ता के द्वारा किए गए कृत्य के लिए माफी नहीं मांगते हैं तो आने वाले दिनों मे भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में तालाबंदी करने का काम किया जाएगा जिसके जिम्मेवारी भाजपा नेताओं पर होगी ।

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