एक जोड़ी चप्पल रामानंद सैनी

मुझे आपने ज्यादातर चप्पल पहने ही देखा होगा l जूता पहनने में मैं आलस्य करता हूं और जूता पहनने के बाद मैं अपने को सामान्य से कुछ अलग सा महसूस करता हूं l इस असहजता के कारण ही मैं जूते कम चप्पलों को ज्यादा पहनता हूं l चाहे जितना बड़ा कार्यक्रम हो, चाहे जहां जाना हो, चाहे जिस साधन से जाना हो, अक्सर आपने मुझे हवाई चप्पल पहले ही देखा होगा l एक बार मैं लखनऊ से देहरादून 180 यात्रियों वाले हवाई जहाज से पूरे परिवार के साथ घूमने गया l देहरादून हवाई अड्डे पर उतरने के बाद कुछ लड़कियाँ मुझे घूर कर देख रही थीं l मुझे य़ह समझते हुए देर नहीं लगी कि वह मुझे नहीं मेरे पैरों की हवाई चप्पल देख रहीं थीं l मैं मुस्कराते हुए आगे बढ़ गया l वैसे तो मैं जाड़े में जूता वितरित करने का काम करता हूं l लेकिन पूरे साल में जब भी मेरे पास जूता चप्पल कहीं से दान में मिल जाते हैं तो उन्हें गरीबों में वितरित करता रहता हूं l जनवरी 2023 की बात है l मैं दुबई की यात्रा करके वापस आया था l चिल्ला जाड़े की रात थी l मैंने अपनी वैगनआर कार में 10 कंबल और कुछ गर्म कपड़े तथा जैकेट डालकर के चारबाग के पीछे वाले भाग में वितरित करने के लिए निकला l रात के लगभग 12:00 बजे तक कई लोगों को कंबल वितरित करने के बाद जब मैं अपने घर वापस आ रहा था तभी मुझे एक रिक्शा चालक मिला l वह ऐसा रिक्शा चला रहा था जो पैर से चलाया जाता है l वह आदमी उसको नंगे पैर से चलाते हुए जा रहा था l मैंने उसे रोका और सबसे पहले एक कंबल दिया l लेकिन जब मेरी नजरें उसके पैरों पर पड़ी तो मैंने उसे नंगे पैर देखा l इतनी ठंड में नंगे पैर देखकर मैंने कहा इतने जाड़े में तुमने जूता या चप्पल क्यों नहीं पहन रखी है l तो उसने बताया बाबूजी जहां पर मैं रुकता था वहां से हमारे कपड़े, जूते, चप्पल और पैसे सब कुछ चोरी हो गए l अब मैं दो-चार दिन कमा लूंगा फिर उसके बाद सब कुछ खरीदूंगा l ठंड से कांपते हुए उसके पैरों को देख कर के मैंने सबसे पहले उसे एक लोअर दिया और फिर अपनी चप्पले उसे पहनने के लिए दे दी l यद्यपि उसने मुझे मना किया कि बाबूजी आप पहने रहिए l हम कल जरूर खरीद लेंगे l लेकिन मुझसे नहीं रहा गया और उसको चप्पल देने के बाद मैं अपनी कार को बिना चप्पल के ही चला कर के अपने घर आ गया l चप्पल देने के बाद जितनी खुशी उसके चेहरे पर थी उससे कहीं अधिक खुशी मेरी धर्मपत्नी मंजू सैनी और बेटे ईशांत सैनी के चेहरे पर थी l यह दोनों हमेशा हमारे साथ वस्त्र और भोजन वितरण के दौरान रहते हैं l उस दिन मुझे जो अंदर से संतुष्टि मिल रही थी उस का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता है l बिना चप्पल के कार चलाना, अपने आप में एक पहला अनुभव था l लेकिन मुझे ठंड नहीं लग रही थी, कोई दिक्कत भी नहीं हुई l इसलिए मैं खुश था l एक जोड़ी चप्पल को दान कर के l

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