कलयुग में योग्य गुरु शिष्य बड़ी असंभव युक्ति है…… बिना ईश्वर की कृपा के योग्य गुरु और गुरु को काबिल शिष्य मिलना मुश्किल है-रीना त्रिपाठी

भारत की सभ्यता और संस्कृति गुरु और शिष्य परंपरा से पोषित संस्कृति रही है यहां हमेशा से शिष्य ने गुरु के बताए हुए मार्ग पर चलकर विश्व कीर्तिमान स्थापित किए हैं।

गीता में गुरु को जहां तत्वदर्शी संत की संज्ञा दी गई है वही पुराणों में गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरा……

वैसे श्रेष्ठ गुरु शिष्य परंपरा भारत ही नहीं विश्व में भी अपना परचम लहराती रही है हम बात करें प्लेटो और अरस्तू की या फिर बात करें शेख निजामुद्दीन औलिया और अमीर खुसरो की,

भारत में सिख परंपरा के जनक गुरु नानक जी की या फिर रामकृष्ण परमहंस जी की शिक्षाओं को स्वामी विवेकानंद बनकर पूरे विश्व में फैलाने की, या भक्ति संतों में स्वामी विरजानंद के शिष्य स्वामी दयानंद सरस्वती, रामानंद के महान शिष्य कबीर, रैदास के शिष्य मीरा और रामानंद की, बाबा नरहरी के शिष्य तुलसीदास तो वहीं भारतीय राजनीति में संत कोणदेव के शिष्य शिवाजी महाराज ,महादेव गोविंद रानाडे के शिष्य गोपाल कृष्ण गोखले और उनके शिष्य महात्मा गांधीकी, चितरंजन दास के शिष्य सुभाष चंद्र बोस तो आनंद पांडे के शिष्य भगवान बिरसा मुंडा……….(जी). इत्यादि।

आषाढ़ मास की पूर्णिमा महर्षि वेदव्यास जी की जयंती और भारत की गुरु शिष्य परंपरा के लिए एक अविस्मरणीय दिन तो है

ही भारत में जहां गुरु अपने शिष्य को अपने ज्ञान ज्योति और अनुभव के माध्यम से असत्य से सत्य की ओर पाप से पुणे की ओर गलत से सही की ओर व्यभिचार से सतपाल की ओर अंत से अनंत की ओर दीपक की भांति मार्ग प्रशस्त करते हैं वही शिष्य को जीवन में आगे बढ़ने के लिए सही रास्ता सफलता सुख और शांति का मार्ग भी गुरु के द्वारा ही प्रदान किया जाता है।

आप कभी नीम करोली बाबा के आश्रम में गए हैं फतेहगढ़ में स्थित सर्व प्राचीन मंदिर में आज भी एक गुफा के अंदर छोटा सा समाधि स्थल बना है जहां पर बाबा नीम करोली तपस्या किया करते थे ध्यान किया करते थे और आज भी उस स्थान की पवित्रता और शुचिता इतनी अच्छी है कि आप वहां बैठकर बहुत सी असीम उर्जा को महसूस करते हैं।

इसी प्रकार कानपुर के बिठूर के पास बाबा शोभन सरकार का आश्रम है बचपन से इनकी तारीफ काफी सुनिधि पर कभी दर्शन हो पाएंगे यह आशा और अपेक्षा न थी एक दिन अचानक यह इच्छा हुई कि बाबा के दर्शन करने जाना है और हम तीन लोग बाबा के आश्रम में गए आज भी यकीन नहीं होता बाबा ने अपने हाथों से प्रसाद दिया और आशीर्वाद भी और उनकी ऊर्जा ,इमानदारी और साधारण तपस्वी व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि उनके इहलोक में न रहने पर आज भी उनके स्मरण से बहुत से शुभ काम संपन्न हो जाते हैं।

सभी ज्ञानमार्गी शिष्यों के लिए ईश्वर से प्रार्थना है कि उन्हें घोर कलयुग में भी योग्य, ईमानदार, सच्चरित्र गुरु मिल सके ।आज के व्यवसायिक युग में ज्यादातर बड़ी-बड़ी सभाओं का आयोजन करने वाले गुरु आध्यात्मिक शिक्षा तो देते हैं पर कई चेहरों को धारण किए हुए ऐसे चेहरे जब बेनकाब होते हैं तो समाज में बड़ी किरकिरी होती है और बड़े-बड़े गुरु शिष्य परंपरा के नाम पर ठगी हुए रह जाते हैं। और यही हाल राजनीति का है।

धार्मिक, राजनीतिक ,सामाजिक,व्यवसायिक हर क्षेत्र में यदि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में अच्छे गुणों को अच्छे अनुभवों को और ज्ञान मार्ग को फैलाना है तो बहुत जरूरी है भारत की सनातन संस्कृति और सभ्यता में रची बसी गुरु शिष्य परंपरा को संभाल कर रखना। शिक्षा के निजीकरण और व्यवसायीकरण के युग में एक ओर जहां शिक्षा बेची जा रही है वहां गुरु शिष्य परंपरा में भावनाएं अक्षुण्ण रहेंगी यह कैसे संभव है? एकेडमिक भाषा में शिक्षक, टीचर कोच शब्द प्रचुरता से मिलते हैं विज्ञ,ब्राह्मण,विप्र,द्विज,आचार्य,
कोविद,उस्ताद,शास्त्रज्ञ,शास्त्रवेत्ता,
मर्मज्ञ,ज्ञानी,बुध,धीमान्,धीर,प्रज्ञ
बुद्धिमान,मनीषी,विशेषज्ञ जैसी उपाधियां गायब होती जा रहीं हैं।
व्यवसायिक युग में अपने शिष्य के लिए पुत्र/पुत्री वत ,मित्र वत, देखभाल करते हुए उन्नत शिक्षा देने की परंपरा खत्म होती जा रही है। आज जरा सा चुके तो व्यभिचार अनैतिकता में फसा लिए जाने का भय है चारों ओर व्याप्त है। आप भूले नहीं होंगे …….. आसाराम बापू, बाबा राम रहीम इत्यादि इत्यादि आए दिन दिखते काले चेहरे।
संसार के महागुरु भगवान शिव का आशीर्वाद आप सबको प्राप्त हो ,आप सभी को गुरु पूर्णिमा की बहुत-बहुत बधाई।
@रीना त्रिपाठी

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