कानपुर का बीता साल: मतलब रही जनता बेहाल और नेता मालामाल

सुनील बाजपेई

कानपुर। यहां प्रदेश के इस अतिसंवेदन शील महानगर के लिए सन 2021 की तरह बीता सन 2022 भी रहा। मतलब जनता 2021में जिन नागरिक समस्याओं से जूझ रही थी। वह उन्हीं से गुजरे 2022 में भी जूझने से न बच सकी। वह चाहे बढ़ते अपराधों का मुद्दा हो या फि र नेताओं द्वारा किये गये लोक लुभावन वायदों का। अगर पिछले दो साल की समीक्षा की जाये तो सत्ता पक्ष समेत कोई भी जन प्रतिनिधि नेता बीते 2022 में भी अपने वादों पर खरा उतरता दिखाई नहीं पड़ा।

आश्वासनों के लाली पाप:
अगर नई बनाईं गईं कुछ सडक़ों पुलों और बिजली की खत्म हुई आंख मिचौली को छोड़ दिया जाये तो यह दावा नही किया जा सकता कि बीता साल 2022 शहरियों के लिए बहुत अच्छा रहा।
यानी समस्याओं का निस्तारण करने के मामले में यह बीता पूरा साल स्थानीय जनप्रतिनिधियों को निन्दारस का पान कराने वाला ही माना जायेगा क्योंकि ना केवल सत्तारुढ़ दल के बल्कि अन्य दलों के नेता जनप्रतिनिधि भी नागरिक समस्याओं को हल करने के बजाय आश्वासनों के लाली पाप ही देते रहे। मतलब अगर बीते साल 2022 की जनता से जुड़ी उपलब्धियों की रक्षा की जाए चर्चा की जाए तो केवल यही कहा जा सकता है की 2022 का गुजारा यह साल जिसमें जनता बेहाल और नेता मालामाल।

दु:ख में डूबे परिवार:
वहीं ओर पल-पल बढ़ते रहे अपराधियों के आतंक ने लूट के दौरान हत्यायें जैसी वारदातें करके महानगर के दर्जनों परिवारों को हमेशा के लिए दुख के अथाह महासागर में डुबो कर रख दिया।
इस बीते साल 2022 भर में लगभग एक सैकड़ा से भी अधिक जो लोग इस तरह की सनसनीखेज वारदातों में नृशंस हत्या के रूप में मौत का शिकार बनाये गये । उनमें से अधिकांश अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले एकलौते स्वामी थे।

नहीं हुआ खुलासा:
खास बात यह भी कि बीते साल 2022 में हुई बहुत सी संगीन घटनाओं का खुलासा पुलिस आज तक नही कर सकी। इन परिवारों की आर्थिक स्थिति भी इतनी दयनीय बतायी जाती है कि न्याय के लिए अदालत कचेहरी के खर्चों को झेलना तो दूर अपने परिवार के लिए दो जून की रोटियां भी उपलब्ध कराने में सक्षम नही हैं।

जिन्दा लोगों से भी बदतर हालत:
यही हाल लगभग तीन सौ से भी अधिक उन परिवारों का भी है जिनके मुखिया इस गुजरे साल 2022 में वाहन दुर्घटनाओं का शिकार होने से न बच सके और जो किसी तरह से बच गये हैं। उनकी हालत जिन्दा लोगों से भी बदतर हो चली है।

नेताओं के कोरे वायदे:
जहां तक जन समस्यायें हल करने का सवाल है । इस बीते साल 2021 की शुरुवात मेंं यहां के जन प्रतिनिधियों ने जनता से वायदा किया था कि बिजली ,पानी, सडक़, सीवर, गन्दगी और यातायात से जुड़ी उनकी सारी नागरिक समस्याओं का निस्तारण वर्ष 2022 के आते-आते अवश्य ही कर दिया जायेगा। लेकिन आश्वासनों के लाली पाप बांटने में माहिर नेताओं के ये वायदे बिजली और सडक़ों को छोड़ कर हमेशा की तरह बीते साल 2022 में भी कोरे ही सावित होकर रहे। जहां तक आम जनता की तरफ से कुछ करने का सवाल है तो फिर केवल यही कहा जा सकता है कि अगर वास्तव में किसी जनप्रतिनिधि नेता को अपनी विफलताओं पर शर्म आए तो अगर हिम्मत हो तो वह जनहित जनता के पक्ष मेंसांसद विधायक एवं मंत्री पद से इस्तीफा देकर दिखाएI और अगर यह भी ना कर सके तो फिर चिल्लू भर पानी में डूबकर मरने वाली कहावत चरितार्थ करके दिखाए। लेकिन जनता को यकीन है कि कोई भी ऐसा करके नहीं दिखाएगा मतलब वह 2022 की तरह अब 2023 में भी पहले की तरह ही बेवकूफ बना कर दिखाएगा। यानी पहले की तरह खींची जाती रहेगी जनता की खाल की। और नेता हमेशा की तरह फिर होते रहेंगे मालामाल।

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