जब-जब होई धरम की हानी, बाढ़हि असुर अधम अभिमानी
लालचन्द्र मद्धेशिया
संतकबीरनगर। जब -जब होई धरम की हानी,बाढ़हि असुर अधम अभिमानी, तब-तब धरि प्रभु विविध शरीरा, हरहि दयानिधि सज्जन पीरा अर्थात जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, दुष्टों का प्रभाव बढ़ने लगता है, तब सज्जनों की पीड़ा हरने के लिए प्रभु का अवतार होता है यह विचार कथा वाचक अरूण कृष्ण शास्त्री का है वह शनिवार को धर्मसिंहवा में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन श्रद्धालुओं को भागवत कथा सुना रहे थे। बलि की अहंकार को नष्ट करने भगवान विष्णु वामन के रूप में अवतार लिए और तीन पग भूमि मांगकर उन्हें मोक्ष प्रदान किया। रावण, कुंभकरण जैसे राक्षसों को नष्ट करने श्री राम के रूप में अवतार लिए। वैसे ही दुष्ट कंस का अंत करने भगवान श्री
हरि विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया था। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि भाद्रपद दिन बुधवार रोहिणी नक्षत्र में श्री कृष्ण का जन्म हुआ था।इस मौके पर नगर क्षेत्र के तमाम श्रद्धालु मौजूद रहे।