झाड़ू पोछा- रामानंद सैनी

बात रामनवमी के दिन की है l 30 मार्च 2023, उस दिन हमको 900 लोगों के मध्य पैंट शर्ट और छोटे बच्चों के कपड़े वितरित करने थे l इसलिए रात को ही कपड़ों की छटनी करके अलग-अलग बोरी में पैक कर लिया था l योजना के मुताबिक सुबह 6:00 बजे सुदूर सीतापुर रोड स्थित झुग्गी झोपड़ियों में जाना था और उसके बाद 8:00 लेबर मंडी में मजदूरों को कपड़े देना और फिर दिन में कई एक झुग्गी झोपड़ी में जाकर के वस्त्र वितरित करना था l इस चिंता में रात को वस्त्र पैक करने के बाद 11:00 बजे सोने गया और सुबह 4:00 बजे उठकर के फिर से तैयारी करने लगा l धर्मपत्नी जी उस दिन बहुत जगाने के बाद भी 5:00 बजे उठी l फिर साफ सफाई करने के मूड से वह काम करने लगी l नवरात्रि का दिन था l वह मेरे संपर्क में आने के बाद व्रत तो नहीं रहती हैं और न ही कन्या भोज करती हैं l लेकिन अपने मंदिर में पूजा पाठ प्रतिदिन करती है l
आपको पता हो कि मेरी धर्मपत्नी जी आस्तिक है और हम नास्तिक l अब कोई साधारण आदमी हो तो शायद दोनों में पटरी न खाए l लेकिन मैंने सामंजस्य बिठाने का संकल्प लिया था l सो 25 वर्ष इसी संकल्प ने हम लोगों को खुशहाल जीवन व्यतीत करने में मदद किया l अब मैं आगे का जीवन भी अपनी धर्म पत्नी के साथ खुशी-खुशी बिताना चाहता हूं l क्योंकि वह मेरे नास्तिक होने के कारण होने वाले मेरे कार्यक्रमों में कभी भी अवरोध नहीं बनती है बल्कि सहयोग करती है l तो मेरा भी फर्ज बनता है कि उसके आस्तिक होने के कारण उसकी पूजा पाठ में अगर सहयोग न करूं तो विरोध भी न करूं l
मैंने कहा मंजू जल्दी से तैयार हो जाओ l आज 6:00 बजे कपड़े बांटने चलना है l मेरी बात को सुनते ही मंजू ने कहा देखो आज पूरे घर की सफाई करनी है, नहा धो करके मुझे पूजा पाठ करना है l चूंकि आज रामनवमी है इसलिए बिना पूजा पाठ किए नहीं निकलेंगे l यह बात सुनकर के मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई l मैं आज सीतापुर रोड में खदरा के आगे रेलवे लाइन के किनारे बनी झुग्गी झोपड़ियों में कपड़े बांटने जाने वाला था l अगर सभी कमरों की सफाई, उसके बाद पोछा करना, नहाना धोना, फिर आधे घंटे तक पूजा की जाएगी तो मुझे लगा कि आठ तो यहीं बज जाएंगे l इसलिए मैंने कहा मंजू तुम स्नान करके पूजा करो और मैं पूरे घर की सफाई करता हूं l आखिर मुझे 8:00 बजे के पहले हर हाल में निकलना ही था l मैंने स्वयं न नहाने का निर्णय लिया और फिर चारों कमरे, किचन और बरामदे में झाड़ू लगाई और उसके बाद पोछा लगाने का काम शुरू किया l बीच-बीच में मंजू को टोकता रहता कि जल्दी करो, जल्दी करो l वह नहाने चली गई और मैं अपना काम करता रहा l यह कोई पहला मौका नहीं था जब मैंने झाड़ू पोछा किया हो l लेकिन आज नवरात्रि थी, मैं जानता था कि मैडम बहुत ही अच्छी तरीके से सफाई करेंगी, तो मैंने भी बहुत अच्छी तरीके से सफाई की l परिणाम स्वरूप 7:30 बजे मंजू पूजा करके चलने के लिए एकदम तैयार हो गई l बोली चलना है तो चलो नहीं तो थोड़ा बहुत और काम निपटा लें l मैंने कहा अब काम मत निपटाइए l मैं नहाऊँगा भी नहीं, बस आप चल दीजिए l
फिर क्या था छोटे बेटे ईशांत सैनी को लेकर के जब मैं निकला तो आलमबाग तक पहुंचते पहुँचते 8:00 बज गए थे l मैंने वहीं से कपड़ा वितरित करना शुरू किया l उसके बाद कृष्णा नगर, सरोजिनी नगर और गहरू गांव में बनी झोपड़ियों में कपड़ा बांटते बांटते मुझे 12:00 बज गए l जोरों से भूख लगी थी इसलिए आगे की योजना कैंसिल कर दी l उधर कपड़े भी खत्म हो गए थे और फिर हम लोग घर वापस आ गए l मेरे कहने का मतलब यह है कि अगर आप धर्मपत्नी से यह आशा करते हैं कि वह सदैव हमें खुश रखे तो आपको भी से खुश रखने का प्रयास करना चाहिए l तो निश्चित ही घर में सुकून रहेगा और बहुत सी ऐसी बीमारियां जो टेंशन में होती हैं वह दूर हो जाएंगी l आप जो कुछ भी सोचेंगे आपका वह काम पूरा हो जाएगा l क्योंकि पत्नी गृह लक्ष्मी ही नहीं होती आपके हर टेंशन को दूर करने में सहायक भी होती है l शायद धर्मपत्नी के कारण ही मैं आज समाज सेवा कर रहा हूं l आपने देखा होगा चाहे भोजन दान हो या वस्त्र दान, विद्यालय संचालन का कार्य हो या अदालत में किसी मुकदमे को लेकर के कोई काम l मेरे हर काम में सहयोग देने का काम धर्मपत्नी के द्वारा किया जाता है और यही मेरे सुकून का सबसे बड़ा कारण है l

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