दारू पीने के फायदे -रामानंद सैनी

मैंने अपने जीवन में कई एक लोगों को दारु पीते हुए देखा है l जिसमें से अधिकांश लोग दारु पीने से बहुत ही अच्छी मौत मरे l उन्होंने बुढ़ापा नहीं देखा, बिस्तर पर बहुत दिनों तक बीमार नहीं रहे, परेशान होकर या तड़प तड़प कर नहीं मरे l कुछ लोग 100 साल की उम्र पार कर गए और स्वस्थ रहकर मरे l मेरे बाबा हमेशा दारू पीते थे, 90 साल की उम्र में मात्र 24 घंटे की बीमारी में खत्म हो गए l जबकि पिता जी कभी नहीं पिए तो 15 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहकर मरे l मेरे गांव के पूर्व प्रधान नारायण सिंह 110 साल की उम्र में अंतिम दिनों तक पीते पीते अंतिम सांस ली l मेरे एक मित्र प्राइवेट स्कूलों में अध्यापन कार्य करते हैं, मैंने उनके साथ अध्यापन कार्य किया था l वह आज भी मस्त रहते हैं, दारू का उनके ऊपर कोई असर नहीं पड़ता है l एक मित्र ऐसे हैं जिन्होंने अपनी दारू को न छोड़ने के लिए शादी नहीं की l बढ़िया जीवन चल रहा है उनका और सुबह शाम उस पवित्र जल रूपी अमृत का सेवन कर रहे हैं l सबसे बड़ा फायदा तो मुझे करोना काल में लगा l जब पूरी दुनिया कोविड-19 से परेशान थी l लाशें जलाने के लिए वेटिंग चल रही थी l तब दारु पीने वाले व्यक्ति को करोना छू तक नहीं रहा था l दारू से ही सैनिटाइजर बनाया गया था l यह बताया गया कि जो दारू पीने वाले के ऊपर करोना असर नहीं करेगा l शायद इसीलिए सरकार ने भी सबसे पहले दारू के ठेके ही खोल दिए और अरबों रुपए की दारू एक ही दिन में बिक गई l आखिर दारू से जान नहीं बचती थी तो लोगों ने दारू क्यों पी? दारू केवल जान ही नहीं बचाती है, मस्ती भरा जीवन ही नहीं बिताती है बल्कि दारु पीने से टेंशन भी दूर हो जाता है l आज हर आदमी तो टेंशन से भरा है l इस टेंशन को दूर करने का कोई चिकित्सालय नहीं है, कोई दवा नहीं है, कोई उपाय नहीं है l सिर्फ और सिर्फ इसका एक ही उपाय है l जिसे दारू बाज बड़े मजे से बताते हैं कि दारु पीने से ही टेंशन दूर होता है l मुझे एक नहीं सैकड़ों लोगों ने बताया l जब मैंने उनसे पूछा कि आप दारू क्यों पीते हैं, बदले में उनका एक ही जवाब था कि टेशन और थकावट को दूर करने के लिए l अब आप ही सोचें जिस जल से टेंशन और थकावट दूर हो जाए उसको पीने में क्या परहेज l एक पियक्कड़ ने बताया कि अरे भाई आदमी लाखों रुपए कमाता है, अगर ₹80 का एक क्वार्टर पी लेता है तो 2 महीने में 2400 ही तो खत्म होंगे l और जो लोग नहीं पीते हैं वह कौन सा पैसा बचा करके अपना महल खड़ा कर लेते हैं l अपने मित्रों की उपरोक्त बातों, उनके व्यवहार, और उनकी मस्त भरी जीवन शैली को देख कर के, करोंना काल में दारु पीने वालों की कम मृत्यु का आंकड़ा देख कर के, सरकार द्वारा सबसे पहले दारू के ठेके खोलते हुए देख कर के मेरे मन में यह विचार आया कि क्यों न दारू पीना शुरू कर दिया जाए l आखिर इसमें नुकसान ही क्या है l मात्र ₹80 में हमारे जैसे लोग 4 दिनों तक उस क्वार्टर का उपयोग कर सकते हैं l जिससे न सिर्फ टेंशन दूर होगा बल्कि दिन भर के थकावट भी दूर हो जाएगी l बस इसी सोच के चलते मैंने दिसंबर 2020 में ₹80 का एक क्वार्टर देसी शराब की दुकान से खरीद लिया l अपनी 50 साल की उम्र में अभी तक 50 बूंद दारू का सेवन मैंने नहीं किया था l लेकिन आज अपने मन को बड़ी मजबूती के साथ पक्का करके मानक नगर स्टेशन के सामने खुले देसी शराब के ठेके से एक क्वार्टर दारू खरीदी l उसे कार की डिग्गी में छुपा लिया कि कहीं बच्चे और पत्नी न जान जाए l उसके बाद यह निर्णय लिया कि रात को 12:00 बजे जब दोनों बच्चे सो जाएंगे, धर्मपत्नी सो जाएगी तब हम एक पैग दारू का लेकर के स्वर्ग जैसे सुख का अनुभव करेंगे l घर आकर के गाड़ी अंदर खड़ी कर दी l क्वार्टर उसी डिग्गी में पड़ा रहा l मुझे मारे खुशी के नींद नहीं आ रही थी l जब 11:30 बजे घर के तीनों सदस्य सो गए तो मैं नीचे गया, कार से क्वार्टर को निकालकर के ऊपर लाया l शीशे के गिलास और एक बोतल पानी के साथ कुछ नमकीन को मेज पर सजाया l एक कागज में सादा नमक रखा साथ ही एक प्याज काट कर के रखा l उसके बाद भगवान से प्रार्थना की कि हे प्रभु आज से मुझे दारू पीनी है, टेंशन और थकावट दूर करनी है, मेरा साथ दो l लेकिन प्रभु ने तो जैसे कसम ही खा रखी हो, कभी भी मेरी मन्नत पूरी न करने की l मैंने अच्छा सोचा या बुरा, उसने मेरा साथ नहीं दिया l बोतल रखे- रखे आधा घंटा बीत गया l मुझमें इतनी हिम्मत नहीं पड़ी कि मैं उसकी ढक्कन खोल दूं l गिलास में गिरा कर के एक पेग बनाऊँ l उस सुख का आनंद लूं, नमक चाट कर प्याज या नमकीन खाऊं l क्या बताऊं भैया, दुर्भाग्य देखें मेरा, एक घंटे तक बैठा रहा, नींद आने लगी और मैं बैठे-बैठे ही सो गया l सुबह 4:00 बजे जगा तो मेरे कमरे में मेज के सामने उस बोतल के साथ साथ धर्मपत्नी जी खड़ी थी l वह देख रही थी कि आज रात को क्या-क्या हुआ है l मेरी आंखें खुलते ही उन्होंने कहा कि आज आपने यह क्या खाया पिया है l तो मैंने गुस्से में उनको डांटते हुए अपनी कमजोरी और चोरी को छुपाते हुए कहा, देख नहीं रही हो, मैंने क्या खाया – क्या पिया l जो कुछ भी लाया था वह आपके सामने रखा है l न कुछ खाया न कुछ पिया l मेरी हिम्मत ही नहीं पड़ी l वह नासमझ औरत की तरह नाराज होकर किचन में चली गई l आज 2 साल से ज्यादा हो गए हैं, वह क्वार्टर अभी भी मेरे पास रखा हुआ है, सेवन करने की हिम्मत नहीं है, किसी को देने की औकात नहीं कि कोई कहीं यह न कह दे, जब आप पीते नहीं तो दूसरे को पिलाते क्यों हैं l वैसे भी आज तक मैंने किसी को दारू नहीं पिलाई, कई बार भवन निर्माण के समय जब छत पड़ती थी तो मिस्त्रियों के द्वारा दारू की मांग की जाती थी l कि साहब दिन भर काम किया है, आपकी छत पड़ गई है, पीने के लिए पैसा दे दो l मैंने उन्हें भी कभी पैसा नहीं दिया l मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि इस एक क्वार्टर देसी दारु का उपयोग में कब, कैसे और कहां करूं?

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