दुबई टूर पांचवा दिन,- रामानंद सैनी

दुबई में 5 वें दिन घूमने के लिए हमारी योजना में कोई विशेष जगह नहीं बची थी l इसलिए उस दिन पूरा समय हमारे पास था l हम लोगों ने फेस्टिवल सिटी नाम के एक माल को देखने की योजना बनाई l जिसमें बहुत समय नहीं लगना था l उस दिन केवल समय ही पास करना था l हम लोग सुबह अपने होटल में ही फोटोग्राफी करते रहे l अपने 13 मंजिल वाले होटल की छत पर जाकर के संपूर्ण दुबई का नजारा लिया l स्विमिंग पूल में नहाए और उसके बाद आसपास के क्षेत्रों में गए l दुकानों में छोटा मोटा सामान खरीदा और फिर खाना खाने के बाद दोपहर में फेस्टिवल सिटी के लिए वहां की सरकारी बस से रवाना हुए l दुबई के हर कोने से यात्रियों को फेस्टिवल सिटी मॉल ले जाने के लिए निशुल्क बसे मिलती है l इलेक्ट्रॉनिक और फुल एसी बस में बैठ कर के हम लोग 1 घंटे तक दुबई की सड़कों पर दौड़ते रहे l विभिन्न देखे और अनदेखे स्थलों को निहारते हुए फेस्टिवल सिटी पहुंचे l मैं फेस्टिवल सिटी को त्योहारों का शहर समझ रहा था लेकिन वह तो माल निकला l य़ह एक बहुत बड़ा माल था जिसमें हजारों दुकानें थी l सभी लोग स्वतंत्र होकर के माल के अंदर घूम रहे थे l हमारे कर्नाटक के साथी भरतेश जी की धर्मपत्नी स्वचालित सीढियों से दूसरी मंजिल पर नहीं गई l काफी देर तक समझाने के बाद भी जब वह ऊपर नहीं गई तो मंजू सैनी उनके साथ नीचे वालीं दुकानों पर ही घूमती रही l य़ह कोई घूमने वाली जगह नहीं थी, फिर भी हम 1 घंटे तक माल के अंदर ही घूमते रहे l थक हार कर माल के बाहर जहां से फाउंटेन और लेजर शो शाम को 7:00 बजे देखा जाना था वहीं पर बैठ गए l मैंने और कुछ सरदार मित्रों ने फेस्टिवल माल के अंदर खुले प्रापर्टी डीलर के ऑफिस में जाकर के वहां के प्लाटों और मकानों के बारे में जानकारी जुटाई l काउंटर पर बैठी लड़की जो भारतीय थी, उसने बताया कि यहां पर मकानों को बेचने की एक अच्छी योजना चल रही है l कोई भी विदेशी या दुबई का नागरिक हमारे यहां फ्लैट्स को खरीद सकता है l जो नगद और किश्तों पर भी मिल जाते हैं l कुल मिलाकर के ठीक उसी प्रकार की व्यवस्था थी जैसी व्यवस्था हमारे देश में प्लाट बेचने वाले और बिल्डर्स लोग प्रदान करते हैं l वह लड़की हम लोगों को बहुत संपन्न समझ रही थी l इसीलिए बार-बार एक फ्लैट को बुक करने का दबाव बना रही थी l उसे क्या पता था कि हम कितने गरीब हैं l एक मकान की कम से कम कीमत 80 लाख भारतीय रुपए थी और यह मकान वही ले सकता है जिसका दुबई में कोई कारोबार हो या अपने देश का सबसे संपन्न व्यक्ति हो l किसी तरीके से उससे छुटकारा पा करके हम मॉल में टहल रहे थे l तभी मुझे लुलु मॉल दिखाई दिया l जो फेस्टिवल माल के अंदर ग्राउण्ड फ्लोर पर ही खुला था l यह उसी तरह का माल था जिस तरह का हमारे लखनऊ में खुला हुआ है l एक व्यक्ति द्वारा बताया गया कि लखनऊ वाले माल का मालिक इसी माल का मालिक है l कुछ सामान खरीदने के बाद हम लोग भी बाहर लेजर शो देखने के लिए आ गए l यहां पर आधे – आधे घंटे के अंतराल पर जो फाउंटेन और लेजर शो का प्रदर्शन किया गया l वास्तव में वह सराहनीय और दर्शनीय था l
यद्यपि शहर से काफी दूर स्थित होने के कारण यहां पर दर्शकों की संख्या कम थी, माल के अंदर खरीददार भी बहुत कम थे l लेकिन शांति और सुकून का माहौल था l माल के बाहर दो घंटे तक सभी साथी एक साथ बैठे तो अच्छा खासा परिचय हो गया l जबकि इसके पहले दिन भर घूमने के बाद शाम को सभी अपने अपने कमरे में चले जाते थे l हमारे कुछ साथी यहीं से आबू धाबी एयरपोर्ट चले गए l जिसमे कर्नाटक वाले भरतेश भाई और उन की पत्नी थी l इस टूर में उनसे काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी l यहीं पर जब हम बस की प्रतीक्षा कर रहे थे तभी जयपुर की एक लड़की मिली जो अपने होटल वापस जाने के लिए बस की प्रतीक्षा कर रही थी l उसने बताया कि हम नौकरी करने के लिए यहां पर वीजा अप्लाई करने आए हैं l मुझे रहने खाने के साथ-साथ 3000 दिरहम प्रतिमाह मिलेंगे l मैंने सोचा कि इंडिया से चलकर के दुबई में नौकरी करने के लिए एक लड़की यहां आ सकती है लेकिन अपने देश में इतनी मेहनत नहीं करेगी, जितनी यहां करेगी l लेकिन अब उसकी कोई मजबूरी हो या शौक, यह तो वही जाने l हमारे कुछ मित्रों ने इस माल में कुछ सामान भी खरीदा था l जिसमें खजूर मुख्य रूप से था l कई एक मित्रों ने 2 से 3 किलो तक खजूर खरीदा, जो बहुत सस्ता तो नहीं था लेकिन इतनी दूर आने के बाद कुछ तो निशानी ले ही जाना था l इसलिए उन्होंने कुछ न कुछ जरूर खरीदा l वहां से फिर फ्री बस से अपने होटल वापस आए l मित्रों दुबई में कुछ ऐसी जगह है जो बहुत प्रसिद्ध है l लेकिन उनको देखने के लिए काफी महंगा टिकट लगता है l बुर्ज खलीफा का टिकट 160 दिरहम है, दुबई फ्रेम के अंदर जाने के लिए 90 दिरहम का टिकट है, जबकि म्यूजियम ऑफ फ्यूचर देखने के लिए 120 दिरहम का टिकट है l कुछ और जगहे है जिनको देखने या घूमने के लिए टिकट लिया जाता है l यही दुबई की कमाई है l वहां पर खेती नहीं होती, पेट्रोल नहीं होता, बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां नहीं है, प्राकृतिक संसाधन नहीं है, बिजली बनाने के लिए नदियां और कोयला नहीं है l सिर्फ सौर ऊर्जा ही पर्याप्त मात्रा में मिलती है l इस प्रकार के रेगिस्तानी राज्य में वहां के लोगों ने अपने आप को इतना संपन्न बना लिया है यह भी एक सोचने का विषय है l यहां की कमाई का मुख्य साधन पर्यटन ही है l जिसके कारण दुबई पूरी दुनिया में छाया हुआ है l छठें दिन हम लोगों की फ्लाइट आबू धाबी से 2:00 बजे की थी l इसलिए उस दिन कुछ भी नहीं घूमा गया l सुबह नाश्ता करके थोड़ी बहुत फोटोग्राफी की और फिर हम लोग आबू धाबी के लिए निकल लिए l 2:00 बजे चलने के बाद लगभग 7:30 बजे हम नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर उतरे l इस प्रकार हमारी 5 रात और 6 दिन की यात्रा संपन्न हुई l जिसमें एक आदमी का कुल खर्चा ₹75000 का लगा l हम भारत से 3000 दिरहम लेकर गए थे l यहां पर हमें 1 दिरहम के बदले में ₹23 देने पड़े थे l यानी कुल ₹69000 पैकेज के अलावा लिए थे l जिसमें से अधिकांश पैसा वापस आ गया था l यह मेरे जीवन का पांचवा देश था जहां पर मैं धर्म पत्नी मंजू सैनी के साथ यात्रा करने गया था l इस टूर का जो सबसे बड़ा लाभ मिला वह कर्नाटक, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली जैसे राज्यों से घुमक्कड़ी मित्रों का मिलना रहा l

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