पैर से लाचार सादिक के सामने आर्थिक स्थिति कमजोर

लालचन्द्र मद्धेशिया

संतकबीरनगर ।हिम्मत, साहस और कड़ी मेहनत से व्यक्ति दिव्यांग होने के बाद भी आत्मनिर्भर होकर इज्जत की जिंदगी जी सकता है।लेकिन बेबसी और लाचारी की वजह ऐसा ही कुछ करने वाले 40 वर्षीय सादिक अली नगर पंचायत धर्मसिंहवा के वार्ड भनवापुर निवासी हैं। सादिक अली एक समय था कि वह बाल की कटिंग करके परिवार का भरण पोषण करता था। उसने बताया की एक दिन वह अपने दुकान से घर गया और उसके पैर में अचानक सूजन हो गया काफी दवा करवाने के बावजूद भी उसका पैर ठीक ना हो पाया आज वह बेबस और लाचार पड़ा है।
एक पैर से दिव्यांग रहने के कारण वे अपनी रोजी रोटी के लिए दिन भर इधर उधर भटक रहा है।बाल काटकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था लेकिन आज कोई मुझसे बाल कटाने के लिए तैयार नही मैं बहुत परेशान हूँ।उसने नवक्रांति इंडिया न्यूज़ से बातचीत में अपनी आपबीती बताई। सादिक अली ने बताया कि उसके पास छ: बच्चे हैं जिसमें तीन बेटियां और तीन बेटे हैं । सभी भाई अपने अपने रोजगार में हैं और जीवन यापन करते हैं। पैर से लाचार होने के कारण उनमें शारीरिक सक्षम नहीं थी। परंतु जीने के लिए कुछ तो करना ही पड़ता, इधर सभी भाई भी अलग रहते हैं। सादिक को भी सरकार द्वारा दिव्यांगता पेंशन मिल जाता तो कुछ सहारा हो जाता। अगर पेंशन की राशि उसे मिल जाती तो दो जून की रोटी, कपड़ा या अन्य जरूरतों की पूर्ति नहीं हो पाती थी। जिसके कारण सादिक अली ने कुछ व्यवसाय करने की तरकीब ढूंढ रहा है। लेकिन बेबस और लाचारी की वजह से वह कुछ नहीं कर पा रहा है सरकार द्वारा और जनप्रतिनिधि द्वारा उसे सहायता मिल जाती तो कुछ हद तक उसकी लाचारी और बेबसी टल सकती है।

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