बाबा भुटुकनाथ- एक बार लखनऊ के सीमांत कस्बे दरोगा खेड़ा में एक युवा बाबा का पदार्पण हुआ

बाबा भुटुकनाथ-
एक बार लखनऊ के सीमांत कस्बे दरोगा खेड़ा में एक युवा बाबा का पदार्पण हुआ l उसके साथ 400 से अधिक गाये थी l जिसे वह 1000 गाय बताता था l उसने पिपरसड ग्राम सभा की नजूल भूमि पर कब्जा कर लिया और वही पर पहले से बने मंदिर में पूजा पाठ करने लगा l शाम को बीमार लोगों को दवा पिलाता l उस बाबा और उसके शिष्यों का दावा था कि जो भी उसकी दवा पी लेगा वह 100% ठीक हो जाएगा l जैसा कि अक्सर होता है, जब कोई 100 लोगों को दवा पिलाता हैं तो 10 लोग ठीक ही हो जाते हैं l फिर वही 10 लोग इतना ज्यादा प्रचार प्रसार कर देते हैं कि लाखों की संख्या में लोग उनके पास पहुंचने लगते हैं l फिर शुरू होता है भक्तों के शोषण का काम l बाबा के सैकड़ों भक्त बन गए थे l उसकी सैकड़ों गाय दूध देती थी, वह दिन में अकेले ही गायों को चराने चला जाता और शाम को वापस आता था l उसके न जाने कितने भक्त गायों की सेवा करते, दूध पीते और उसकी जय जयकार करते l एक बार मैं अपने क्षेत्र के पूर्व विधायक जी के साथ उस बाबा के पास गया l

उस समय बाबा भुटुकनाथ एक कमरे के अंदर पूजा पाठ करने में व्यस्त थे l वह अपने को शिवभक्त बताते थे, कमरे के अंदर अकेले बंद होकर के कई घंटे ओम नमः शिवाय का जाप करते, दीपक जलाते l उनको यहां पर लाने वाले बाराबंकी जिले के एक पार्टी के वरिष्ठ नेता जी थे l वह खुद सुबह शाम वहां उपस्थित रह कर बड़े-बड़े राजनेताओं को बुलाते l बाबा जी से आशीर्वाद दिलाते l गांव के कुछ लोगों ने जमीन पर कब्जा करने की बात को लेकर गुपचुप विरोध किया l लेकिन नेता के आगे किसी की न चली l उसी क्रम में आज सरोजिनी नगर क्षेत्र के पूर्व विधायक जी को भी आमंत्रित किया गया था l जब बाबा जी के कमरे का गेट खुला तब हम लोग अंदर गए l तो बाबाजी खड़े नहीं हो पा रहे थे, उनके शिष्यों ने हाथ का सहारा देकर उन्हें खड़ा किया l पता चला वह सुबह से भक्ति में लीन है, उनके पैर एकदम जाम हो गए हैं l जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था l यह मात्र एक दिखावा था, विधायक जी को प्रभावित करने का l हम विधायक जी के साथ जमीन पर बैठ गए l चर्चा शुरू हुई तो विधायक जी ने कहा बाबा जी हमें इस बार चुनाव लड़ना है, आपका आशीर्वाद चाहिए l बाबा जी कुछ नहीं बोले, थोड़ी देर तक उनके शिष्यों ने बाबा जी के गुणगान किए l यहां पर मैं आपको बता दें कि मेरे साथ गए पूर्व विधायक जी इस क्षेत्र से दो बार समाजवादी पार्टी से विधायक रह चुके थे l वर्तमान में वह विधायक नहीं थे फिर भी हम लोग उन्हें विधायक जी ही कहते थे l विधायक जी ने बाबा जी से कहा कि मैं आप की गायों के लिए कुछ गुड़ लाया हूं l बस इतना सुनते ही बाबाजी भड़क गए l आप बता करके सेवा कर रहे हैं l जब हम किसी की सेवा बताकर करते हैं तो हमें उस सेवा का लाभ नहीं मिलता l बाबा जी की गुस्सा को देखकर विधायक जी ने हाथ जोड़कर माफी मांगी, बोले नहीं बाबा जी, अब नहीं बताऊंगा और अपने ड्राइवर से गाय को गुड़ खिलाने के लिए कहा l बाबा जी के अहंकार भरे शब्दों को सुनकर विधायक जी दुखी मन से वापस हो लिए l उन्होंने मुझे बताया कि यह तो ढोंगी बाबा है l यह यहीं पर मेरे दोस्त की एक फैक्ट्री में माली गिरी का काम किया करता था l उनकी बातों को ध्यान से सुनते हुए हम लोग वापस जा रहे थे, लेकिन जैसे ही विधायक जी घर पहुंचे, अभी वह गाड़ी से उतरे भी नहीं थे कि बाबाजी के उस बाराबंकी वाले चेला का फिर फोन आया l विधायक जी कहां है, वापस आ जाओ, बाबा जी आपको कुछ देना चाहते हैं l विधायक जी ने जीत के आशीर्वाद के रूप में कुछ मिलने की लालसा में फिर वापस हो लिए l गाड़ी पर बैठे बैठे हम सब लोग जब फिर से बाबा जी के पास गए तो बाबा गायों के झुंड में छिपे हुए थे l धूल धूसरित बाबा को शिष्यों ने ढूंढा l य़ह सब प्री प्लान था एक मंदिर के निर्माण के लिए l बाबाजी ने विधायक जी को बताया कि मेरी एक इच्छा है, कानपुर रोड के किनारे शंकर जी का अर्द्ध निर्मित मंदिर है l उस मंदिर के निर्माण के लिए मैंने यहां पर रहते हुए कई बार प्रयास किया था लेकिन अधिकारियों ने बनने नहीं दिया l अगर आप मंदिर का निर्माण कर दें तो मैं निश्चित रूप से आपको आशीर्वाद दे सकता हूं l जो फलीभूत होगा l विधायक जी के साथ में दूसरी गाड़ी पर बैठ कर के वह बाबा पहले मिल के अंदर उस स्थान पर ले गया जहां पर साँप ने उसे काटा था फिर कानपुर रोड के किनारे अर्ध निर्मित मंदिर में ले गया और उस मंदिर पर स्लैब डालने का काम विधायक जी को सौंप दिया l उन्होंने कहा ठीक है बाबा जी मैं पूरे मंदिर को अच्छी तरीके से बनवा दूंगा l विधायक जी इतना खुश हुए कि अपने निजी सचिव से कहा कि कल यहां पर ईंट, गिट्टी, मौरग, सीमेट गिराकर काम शुरू कर दो l वह मंदिर सड़क के किनारे पीडब्ल्यूडी विभाग की जमीन के अंदर आता था l उसे कई बार बनने से विभागीय लोगों ने रोका था l अब जब विधायक जी की कृपा हुई मंदिर बन गया l लेकिन बाबा की कृपा नहीं हुई और विधायक जी दुबारा विधायक नहीं बन पाए l अब और सुनो, हर शाम को बाबा अपने भक्तों और क्षेत्र से आने वाले सैकड़ों लोगों को दवा पिलाता था l दवा का निर्माण स्वयं इसके भक्त कई किलो फूल, लौंग, इलायची, जायफ़र आदि अनेक प्रकार की जड़ी बूटियों को एक भगोने में डालकर के, आग में उबालकर के रस के रूप में बनाता था l फिर वही रस शाम को बाबा सभी के मुंह में दो-दो बूंद डालता था l उस समय मैं अपने बेटे की बीमारी से बहुत परेशान था l सात – आठ साल का बेटा, लाखों रुपए की दवाई कराई थी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ था l बाबा की बातों और हजारों की संख्या में लोगों को देखकर लालच में आकर के मैंने भी 15 दिनों तक प्रतिदिन अपने घर से उसके यहां मंदिर में जाता और अपने बेटे को दवा पिलाता l हजारों औरतें, बुजुर्ग, बच्चे और युवा दवा पीने आते l जैसे ही बाबा अपने कमरे से निकलते, उनकी जय जय कार होती l मंदिर पर आने के बाद सबसे पहले वह दवा अपनी लाठी के ऊपर डाल कर उसे पिलाने का काम करते l लाठी को दवा पिलाने के बाद वह महिलाओं की ओर से शुरु करते l सभी के माथे पर हाथ रखते, पीछे की ओर सिर झुकाते और कहते कि अपना मुंह खोलो, मुंह खोलते ही बाबा जी प्लास्टिक के गिलास से थोड़ा सा रस उनके मुंह में डाल देते l फिर तेजी से आगे बढ़ जाते l एक घंटे में सैकड़ों लोगों को खुद ही दवा पिलाते थे l वह कहते थे कि अगर 15 दिन तक मेरी दवा पियोगे तो कैंसर जैसी बीमारी भी ठीक हो जाएगी l इससे कोई भी रोग नहीं बचता l य़ह दवा राम बाण है मरीजों के लिए l उनकी बातों में आकर मैं पूरे 15 दिन तक भीषण ठंड में दवा पिलाने गया l लेकिन मेरे बेटे को 1% भी फायदा नहीं हुआ l वह बाबा अपने को नाग और नागिन साँप का मालिक बताता था l जंगल में कहीं भी नाग सांप मिलता तो वह उसे हाथ डालकर के पकड़ लेता और कहता था भगवान शंकर ने मुझे आशीर्वाद दिया है कि तुम्हें सांप कभी नहीं काटेगा l बताते हैं एक बार फूल तोड़ने के दौरान काले सांप ने उसे डस लिया l तो उसके मालिक ने उसे मरा हुआ समझकर के गाजीपुर स्थित उसके गांव भेज दिया l गांव वालों ने उसे मरा समझकर के गंगा नदी में बहा दिया l वह बह करके नदी के किनारे लगा, जहां पर एक गाय ने उसको चाट चाट कर के ठीक कर दिया l फिर वह शिवभक्त बन गया, गाय ने उसकी जान बचाई थी इसलिए उस बाबा ने प्रण लिया किया कि मैं जीवन भर गायों की सेवा करूंगा l बस फिर क्या गायों की सेवा करते करते वह अपने को भगवान बताने लगा l जिस काली गाय ने उसे बचाया था उसे वह श्यामा गाय कहता था l क्योंकि वह काली थी l लोग उस गाय की पूजा करते थे l हजारों गायों को लेकर के पूरे देश में घूमने का प्लान बनाया l वह एक जगह पर 7 दिन से ज्यादा नहीं रुकता था l उसी क्रम में वह लखनऊ भी आया था, लेकिन यहां पर वह महीनों रुका l जब यहां पर उसके द्वारा जमीन कब्जाने की बात सरकार तक पहुंची। तो उसे जमीन छोड़कर के कानपुर की ओर भागना पड़ा l कुछ दिनों के बाद पता चला कि एक सांप ने उसे डस लिया और वह बच नहीं पाया l क्योंकि जब भी वह साँप पकड़ता था तब उसके पास कोई न कोई जड़ी बूटी होती थी, जिससे वह बच जाता था l लेकिन उस दिन उसकी मौत होनी थी इसीलिए जड़ी-बूटी उसके पास नहीं रही होगी l अब जो भी हो, बाबा भुटुकनाथ नहीं रहे l लेकिन इतना साबित हो गया कि आप किसी को भी बाबा बना सकते हो, उसे ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हो, उसके नाम पर जनता का शोषण कर सकते l लेकिन जब पाप का घड़ा घड़ा भरता है तो कोई जुगाड़ काम नहीं आता है l

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