भगवान श्री कृष्ण की रासलीला में गोपी बन आये भोले बाबा

भगवान कृष्ण की बाललीलाओं को सुन उमड़े भक्त व नगरवासी

श्रीमद्भागवत कथा के षष्ठम दिवस की कथा में भगवान की बाललीलाओं की कथा सुन उपस्थित भक्त हुए भावविभोर

कानपुरः जनपद कानपुर नगर की तहसील बिल्हौर अंतर्गत बिल्हौर नगरपालिका परिषद क्षेत्र के जूनियर हाईस्कूल प्रांगण में आचार्य विमल कृष्ण ने बीते दिन श्रीमद्भागवत कथा की षष्ठम दिवस की कथा में भक्तों को बड़े मनोयोग से भगवान श्री कृष्ण की बाललीलाओं की कथाओं का रसपान कराया।

आपने गोवर्धन पूजा की कथा सुनाते हुए कहा कि जब तक गिरिराज की पूजा होती रहेगी तब तक कलयुग का प्रभाव नहीं होगा। इस प्रकार गिरिराज की पूजा के महत्व को समझाया। श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य ने प्रमुख रूप से रासलीला, कंस वध, रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाई। वहीं फूलों की होली बड़ी भव्यता और दिव्यता के साथ खेली गयी। अंत में भगवान की आरती के बाद उपस्थित भक्तों ने बड़ी श्रद्धा के साथ प्रसाद ग्रहण किया। उक्त श्रीमद्भागवत कथा में सहायक आचार्य के साथ-साथ तबलावादक व आर्गनवादक की भी सराहनीय भूमिका रही। उक्त अवसर पर कथा में सैकड़ों नगरवासी मौजूद रहे। सभी उपस्थित भक्तों ने बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान की कथाओं का रसास्वादन किया। कथा के दौरान आचार्य ने एक कलयुगी बेटे की कहानी सुनाकर सभी की आंखें नम कर दी। एक बेटा जिसने जिंदगी भर अपनी खुशियों में अपनी मां को शामिल नहीं किया। केवल एक आंख खराब होने की वजह से। विदेश से लौटने पर जब बेटे ने पडोसियों से पूछा कि मेरी मां कहाँ है? तब पडोसियों ने बताया कि वह दो महीने पहले खत्म हो गयीं थी। बेटे ने पूछा कि वह मेरे लिए कुछ कह गयी थीं क्या? पड़ोसियों ने कहा कि यह पत्र दे गयीं थीं मरने के पहले अपने बेटे को देने के लिए। बेटे ने पत्र पढ़ा जिसमें लिखा था – “बेटा, मेरी जिस आंख की वजह से तूने मुझे जिंदगी भर अपनी खुशियों में शामिल नहीं किया, तूने कभी नहीं पूंछा कि वह आंख कैसे चली गयी थी?” पत्र में और आगे लिखा था कि “बेटा, बचपन में तू गुल्ली डंडा खेलने गया था जहां तेरी एक आंख चली गयी थी ऐसी स्थिति मैंने अपनी आंख निकलवा कर तेरे लगवा दी थी, तभी से मैं एक आंख से कानी हो गयी थी और तू दोनों आंखों वाला हो गया था।” ऐसी बात जानकर बेटा फूटफूटकर रोने लगा। इस प्रकार आचार्य ने उपस्थित जनसमुदाय से अपने माता पिता का सम्मान करने की सीख दी।

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