प्रेस की भूमिका और महत्त्व, दायित्व और अधिकार, अंकुश और आचार के बारे में मैं लगातार लिखता रहा हूं। रांची में ईडी दफ़्तर के समक्ष गले में मोबाइल और कैमरा लटकाए गुंडों ने जो तांडव किया है
उससे समूचा पत्रकार समाज आहत हुआ है, उन्हें इस उदंडता के लिए यूं ही माफ़ नहीं किया जा सकता।
यदि पत्रकार स्वयं ऐसे लफंगों के लफंगी पर मौन धारण कर रहेंगे तो पत्रकारिता की बची-कुची साख भी दांव पर होगी।
भांड की तरह गले फाड़ते पोर्टल-यूट्यूबर्स की भीड़ को अब हमें ही रोकना है।
पत्रकारों के दामन पर जो दाग लग रहे हैं उसे हम पत्रकारों को ही धुलना होग्गा। उन हुड़दंगियों पर अंकुश लगाने की शुरुआत इस घटना में शामिल हुड़दंगियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करवा कर मैं शुरु कर रहा हूं।
Video
रांची के वरिष्ठ पत्रकार सुनील बादल ने साक्ष्य के रुप में वीडियो और तस्वीर उपल्ब्ध कराई है।
उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री ए पी सिंह से आग्रह किया गया है कि इस मामले पर कानूनी पहलुओं को समझ कर एफआईआर ड्राफ्ट भेजें।
निरंकुशता पर लगाम लगाने की इस मुहिम का सभी लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने वाले साथी समर्थन करें।
शाहनवाज़ हसन
राष्ट्रीय महासचिव
भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ
e-mail: [email protected]
इस मामले में (चोर की पत्नी कहे जाने की स्थिति) section 499/500/509 IPC की धारा में मुकदमा बनता है जो एक सभ्य महिला के अपमान और स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने का अपराध बनता है।
लेकिन इस पूरे मामले में FIR वही कर सकता है जो पीड़ित (Victim) है। ऐसे में छवि रंजन की पत्नी या उनके परिवार या संबंधी ही मुकदमा कर सकते हैं।
रही बात आपके और आपके पत्रकारिता के पेशे को बदनाम करने की नीयत से की गई इस हरकत की शिकायत Press Council और सरकार के सूचना एवम प्रसारण विभाग को की जा सकती है।
सरकारी स्तर पर एक नियत समय तक कोई कार्यवाही न होने की स्थिति में फिर High Court में PIL भी दाखिल किया जा सकता है जिससे इस तरह के तथाकथित पत्रकारों पर रोक लगायी जा सके।
अधिवक्ता संजय मिश्रा