जोड़ों के दर्द में मिलेगी योग से राहत
अलका सिंह
योग विशेषज्ञ
जोड़ों का दर्द इतना परेशान करने वाला होता है कि इंसान का चलना फिरना यहां तक कि सोना भी दूभर हो जाता है। जोड़ों में दर्द एक आम समस्या है जो एक या दोनों जोड़ों को प्रभावित कर सकती है। यह दर्द तेज, कम, जलनशील या कम-ज्यादा हो सकता है। जोड़ों का दर्द और मांसपेशियों में दर्द ऐसी समस्याएं हैं जिन्हें अक्सर बुढ़ापे के साथ जोड़ कर देखा जाता है।
उम्र बढ़ने के साथ, शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं जो गठिया और जोड़ों में दर्द जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं। 40 वर्ष की उम्र के बाद अधिकांश व्यक्ति जोड़ों के दर्द से पीड़ित हो सकते हैं। सही उपचार विधियों की सहायता से जोड़ों के दर्द को रोका और ठीक किया जा सकता है।
योग जोड़ों के दर्द को कम करने में बेहतर होता है। चाहे आप गठिया या सिर्फ उम्र बढ़ने के साथ होने वाले दर्द से जूझ रहे हों, योग दर्द को कम करने में मदद करता है।
योग को करने से शरीर में लचीलापन, ताकत लंबे समय तक बनी रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जकड़न को कम करने और जोड़ों के दर्द को कम करने में भी योग काफी लाभदायक हो सकता है।
चाहे आप गठिया, फाइब्रोमायल्गिया, या सिर्फ उम्र बढ़ने के साथ होने वाले दर्द और दर्द से जूझ रहे हों, योग आपके लक्षणों को कम करने और आपके शरीर में होने वाली समस्या में सुधार करने में मदद कर सकता है।
इस लेख में, हम योग और जोड़ों के दर्द के पीछे के विज्ञान और विभिन्न प्रकार के योगों के बारे में जानेंगे जो जोड़ों के दर्द से जूझ रहे लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकते हैं।
’सुस्त लाइफस्टाइल और गलत खानपान की आदतों की वजह से ज्वाइंट पेन यानी जोड़ों में दर्द की समस्या बढ़ती जा रही है।
लोग इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए पेन किलर्स का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इन दवाओं के साइड इफेक्ट्स होते हैं और इनका असर भी कुछ समय के लिए ही होता है। घुटनों, कमर, कंधे और पीठ दर्द से स्थाई रूप से राहत पाना चाहते हैं तो सिर्फ योग ( ल्वहं ं) ही इसका जरिया है’।
दर्द से राहत के अलावा, योग शरीर को टोन करता है और मन को भी शांत करता है। ’आइए जोड़ों के दर्द के लिए कुछ आसान और प्रभावी आसन ;लवहं वित रवपदज चंपदद्ध के बारे में जानते हैं’’ जोड़ों में दर्द से राहत के लिए करें ये योगासन।’
’वीरभद्रासन’
वीरभद्रासन यानी वॉरियर पोज घुटने को मजबूत बनाता है और कंधों के दर्द, फ्रोजेन शोल्डर जैसे समस्याओं में भी राहत पहुंचाता है। कंधों के स्ट्रेस को दूर करने और शरीर में संतुलन लाने में भी ये मददगार होता है।
’धनुरासन’
धनुरासन यानी बो पोज कंधों को खोलता है और ज्वाइंट पेन में राहत देता है। धनुरासन करने से शरीर की स्ट्रेचेबिलिटी भी बढ़ती है और शरीर को स्ट्रेस और थकान से छुटकारा पाने में आसानी होती है। धनुरासन आपको अधिक शक्तिशाली यौन अनुभव पाने में मदद कर सकता है।
’सेतु बंधासन’ब्रिज पोज घुटने के जोड़ों की मांसपेशियों को मजबूत करने में मददगार होता और ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित लोगों के लिए भी ये बेहद फायदेमंद होता है। यह आपके दिमाग को भी शांत करता है और शरीर में चिंता और तनाव को कम करने में मदद कर सकता है।
’त्रिकोणासन’
त्रिकोणासन यानी ट्रायंगल पोज से घुटनों, पैरों और टखनों को मजबूती मिलती है। यह हैमस्ट्रिंग, कमर और कूल्हों को स्ट्रेच करने में मदद करता है। साइटिका के रोगियों के लिए भी ये बेहतरीन पोज है, साथ ही पीठ दर्द में भी ये आराम पहुंचाता है।
’उष्ट्रासन’
उष्ट्रासन यानी कि कैमल पोज आपके बैक बोन को अधिक फ्लेक्सिबल बनाता है और कंधे के दर्द में भी आराम पहुंचाता है. पीठ के निचले हिस्से के दर्द और पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द और एंग्जाइटी में भी ये राहत देता है. साथ ही पीठ के निचले हिस्से के दर्द में राहत के लिए ये बेहतरीन पोज हैं।
’डॉल्फिन प्लैंक पोज’ डॉल्फिन प्लैंक पोज हैमस्ट्रिंग और कंधे को स्ट्रेच करता है। यह शरीर को थकान और पीठ दर्द से राहत देकर कलाई, हाथ और पैर को भी मजबूत करता है। ये पोज ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में भी काफी मदद कर सकता है। जोड़ों का दर्द और मांसपेशियों में दर्द ऐसी समस्याएं हैं जिन्हें अक्सर बुढ़ापे के साथ जोड़ कर देखा जाता है।’
अंततः निष्कर्ष निकलता है कि’ यदि नियमित इन सभी योगासनों का अभ्यास प्रतिदिन किया जाए तो जोड़ों के दर्द से राहत मिल सकती हैं और शरीर पूरी तरह स्वस्थ रह सकता है।