होलिकोत्सव पर विशेष:
किस्मत जब भी असर दिखाये , उल्लू भी नेता बन जाये
होली का त्योहार।
मतलब रंगों की बौछार।।
साथ में भांग की तरंग।
हुई शब्दों की जंग।।
हाल बड़े बड़ों का बताया।
राज कोई ना छिपाया।।
चली प्यार की गोली है।
बुरा ना मानो होली है।।
नरेन्द्र मोदी :
जो चाहूं, वह होता जाये |
कोई विरोधी पकड ना पाये।।
मोहन भागवत :
ईश्वर मन की पूर्ण कराए।
हर कोई हिंदू बन जाये॥
अमित शाह :
मेरे ईश्वर यही मनाऊं।
एक बार उनकी पा जाऊं॥
राजनाथ सिह:
अंतर्मन यह सत्य बताये।
मुझको दोनों बहुत दबाए॥
नितिन गडकरी :
नहीं मचाता ज्यादा शोर।
पता मुझे जाना किस ओर।।
जेपी नड्डा :
मेरा भी है तगड़ा खेल।
दिया वहां भी मैने पेल॥
एल के आडवानी :
इतनी डाली मुझ पर धूल।
अपने भी गये मुझको भूल॥
मुरली मनोहर :
समय की देखो कैसी मार।
मुझे समझते हैं बेकार ॥
सोनिया गांधी:
जो चाहा वह हो ना पाया।
बेटा क्यों पप्पू कहलाया॥
राहुल गांधी :
जीते जी ना पाऊंगा।
लगता खाली जाऊंगा।।
प्रियंका गांधी :
चाहे जितना जोर लगाऊं।
लगता उसकी कभी ना पाऊं॥
योगी आदित्य नाथ :
देश के हित में उनकी धोई।
मेरे जैसा नहीं है कोई॥
आगे बढ़ते जाना है।
निश्चिय उनकी पाना है।।
अखिलेश यादव :
अब तो नहीं ठिकाना है।
अब ना यूपी पाना है॥
बड़ा गर्व था, बहुत यकीन।
क्यों जनता ने पैदल कीन॥
शिवपाल यादव :
मानी नहीं हमारी बात।
तभी पराजय की यह लात ॥
मायावती:
अब नम्बर ना आयेगा।
फिर भी हाथी खायेगा।।
सतीश मिश्रा :
हुई भाई बिल्कुल बेकार।
सोच रहा हूं छोडूं यार॥
अपना काम बनाऊंगा।
जल्दी उसमें जाऊंगा॥
लालू यादव :
उल्टा हो गया मेरा खेल।
क्या अंतिम तक रहना जेल ॥
अरविंद केजरीवाल:
चतुर खिलाड़ी मैं कहलाता।
बड़े जतन से बचता जाता॥
भगवंत मान
ऊपर वाला मुझे बचाये।
मुझ पर भी हैं नजर गड़ाए॥
मनीष सिसौदिया :
किसने बिगाड़ा मेरा खेल।
क्यों भिजवाया मुझको जेल॥
ममता बनर्जी :
मैं भी देख रही हूं सपना।
उनका पद कैसे हो अपना॥
नितीश कुमार :
अब ना वह बन पाउंगा।
बस यूं ही काम चलाऊंगा॥
शिवराज सिंह चौहान:
मैं भी तगड़ा खेला खाया।
कोई मुझको डिगा ना पाया॥
भूपेश बघेल :
कुछ ना कुछ कर जाता हूं।
तभी बचा मैं पाता हूं॥
अशोक गहलोत :
मन की ही कर जाना है।
अगली बार ना आना है॥
मनोहर लाल :
सरल नहीं है मेरी यार।
सत्ता से तगड़ा है प्यार॥
पुष्कर सिंह धामी :
कोई विरोधी समझ ना पाता।
कैसे अपना काम बनाता॥
एम के स्टालिन :
बहुत रास्ते आये माल ॥
समझ ना पाये दुश्मन चाल॥
हेमंत सोरेन :
अंदर – अंदर उनसे मेल।
‘खास ‘ समझते मेरा खेल॥
जगन मोहन रेड्डी :
अपना काम बनाना आता।
इसी लिए तो उनसे नाता॥
पेमा खांडू :
काफी ऐसे जतन कराये।
अंदर – अंदर काम बनाये।।
हिमंत विस्वा सरमा :
भइया सही बताते हैं।
तगड़ा वे दे जाते हैं॥
बसव राज बोम्मई :
मन की सदा कराना आता ।
अपना काम बनाना आता ॥
प्रमोद सावंत :
लंबा काफी खेला है।
मैंने भी तो पेला है॥
भूपेन्द्र पटेल :
मेरा तो बस नाम है।
सारा उनका काम है ॥
सुखबिन्दर सिंह सुक्खू :
मेरा भी तो समझो हाल
मैं भी करता भाई कमाल ॥
पिनरई विजयन :
कैसे क्या – क्या लाता है।
कौन समझ यह पाता है॥
एन बीरेन सिंह :
आज बताओ मुझको भाई।
कैसे होती और कमाई ॥
कोनराड संगमा :
आगे बढ़ते जाना है।
उनसे मुझे छुपाना है।।
पीयू जोराम थांगा :
मेरे भी तो खेल अपार ।
कौन पायेगा मुझसे पार॥
नेफ्यू रियो :
भाई ऐसा खेल खिलाए।
दुश्मन बिल्कुल समझ ना पाये॥
नवीन पटनायक :
चाल समझ ना कोई पाता।
अपना काम बनाये जाता॥
पी एस गोले :
बडे़ जतन से सबको तोले।
तभी स्वार्थ के फेंके गोले॥
डा. माणिक साहा :
ठीक समय में काम बनाया।
कितना कैसे कहां कमाया ॥
के चंद्र शेखर राव :
दिल ने चाहा, वही कराया।
हर जुगाड़ से बहुत कमाया॥
एक नाथ शिंदे :
अब तो समझ गये हो बात।
देखो कैसे मारी लात॥
उद्धव ठाकरे :
नहीं जमाओ मुझ पर धाक।
मैं भी सत्ता का चालाक॥
शरद पवार :
मन की सरल नहीं हो पाना।
केवल अपना नाम चलान॥
संजय राउत :
अपना काम बनाना है।
सब में टांग अड़ाना है॥
चरण जीत चन्नी :
कम भी नहीं लगाया तेल।
खत्म हो गया मेरा खेल॥
नवजोत सिद्धू :
चौके पर छक्का था मारा।
पता नहीं फिर भी क्यों हारा॥
कैप्टन अमरिन्दर सिंह :
मैं तो कुछ भी समझ न पाया।
क्यों मुझको ढक्कन करवाया॥
उमा भारती :
अब ना मेरा ठिकाना है।
ऐसे ही कट जाना है॥*
अन्ना हजारे :
समय नहीं बस यही खल रहा।
राह ना मेरी कोई चल रहा॥
गौतम अडानी :
यदि चाहो सरकार चलाना।
मुझको भूल कभी मत जाना ॥
मुकेश अंबानी :
केवल पैसे से ही प्यार।
देता है पूरा संसार ॥
अनिल अंबानी:
समझो ना मुझको कमजोर।
मेरा भी पैसे पर जोर॥
बाबा रामदेव :
केवल धन की खेलूं पारी।
मैं भी बहुत बड़ा व्यापारी॥
सुब्रत राय सहारा :
हिम्मत नहीं कभी भी हारा।
मैंने भी लाखों का मारा॥
: :प्रस्तुति: :
सुनील बाजपेई
कवि, गीतकार,
लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार
कानपुरI 7985473020