– पहले भी पकड़ कर छोड़े जा चुके पी एफ आई के संदिग्ध डॉ.अबरार की नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ उपद्रव में भी थी अहम भूमिका
सुनील बाजपेई
कानपुर। यहां अरसे से सक्रिय माने जाने वाले प्रतिबंधित संगठन पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) के सदस्यों की खैर नहीं। इसके खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एन आई ए ) जिस तेजी के साथघर पकड़ अभियान शुरू कर रखा है। उसके फल स्वरूप पी एफ आई के सभी सदस्यों की कमर बहुत जल्द टूटने की भी प्रबल संभावना है।
इस मामले में एन आई ए ही नहीं अब कमिश्नरेट खुफिया पुलिस भी अपनी पैनी नजर लगातार रखे हुए है। उसके निशाने पर पहले नंबर पर है ,कानपुर के मूलगंज निवासी डा.अबरार हुसैन और उनके सहयोगी। इनमें से डॉक्टर अबरार हुसैन और अन्य से लंबी पूछताछ की जा चुकी है। इसके लिए एनआईए ने गत दिवस डॉक्टर अबरार हुसैन के घर मूलगंज थाना क्षेत्र के मखनिया बाजार, बिसातखाना में छापा भी मारा था। इसके बाद खाना मूलगंज लाकर एनआईए की टीम ने डॉक्टर व उनके दो बेटों से करीब 10 घंटे तक पूछताछ की थी।
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक डॉ. अबरार पर पीएफआइ को फिडिंग करने का शक है। इसीलिए एनआईए ने उनके आर्थिक स्रोत को लेकर पूछताछ की लेकिन इसके बाद उन्हें छोड़ दिया गया है।
सूत्रों के मुताबिक इसके बाद खुफिया पुलिस भी उन पर अपनी पहली नजर बनाए हुए हैं। अवगत कराते चलें कि वर्ष 2019 में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर शहर में उपद्रव होने के बाद पुलिस ने पीएफआइ के पांच सदस्यों को बाबूपुरवा थाने से गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उस वक्त भी अबरार को हिरासत में लेकर पूछताछ हुई थी। हालांकि तब भी उन्हें छोड़ दिया गया था। फिलहाल इस मामले में एनआईए के साथ ही कमिश्नरेट खुफिया पुलिस भी अपनी पहली नजर लगातार रखे हुए है |