एक घटना ने बदल दी थी वाल्मिकी की जिंदगी, ऐसे बने डाकू से संत

अलीगंज में वाल्मीकि जयंती की यात्रा हर्ष उल्लास बेंड बाजों के साथ निकाली गई शनिवार को अलीगंज में महर्षि वाल्मीकि जयंती की यात्रा निकाली गई यात्रा से पूर्व अलीगंज पूर्व पालिकाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता ने फीता काटकर यात्रा को रवाना किया सुनीता गुप्ता ने कहा कि वाल्मीकि से पहले उनका नाम रत्नाकर हुआ करता थाआदि काव्‍य रामायण के रचयिता ज्ञानी महर्षि वाल्‍मीकि का जन्‍मदिवस देशभर में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार वैदिक काल के महान ऋषि वाल्‍मीकि पहले डाकू थे. लेकिन जीवन की एक घटना ने उन्हें बदलकर रख दिया.

वाल्‍मीकि असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे शायद इसी वजह से लोग आज भी उनके जन्मदिवस पर कई विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. महर्षि वाल्मीकि का जन्म अश्विन मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा यानी कि शरद पूर्णिमा को हुआ था. कहते हैं कि वाल्मीकि का जन्म महर्षि कश्यप और अदिति की 9वीं संतान वरुण और पत्नी चर्षणी के घर हुआ था. बचपन में भील समुदाय के लोग उन्हें चुराकर ले गए थे और उनकी परवरिश भील समाज में ही हुई. वाल्मीकि से पहले उनका नाम रत्नाकर हुआ करता था. रत्नाकर जंगल से गुजरने वाले लोगों से लूट-पाट करता था.

अलीगंज में वाल्मीकि जयंती शोभा यात्रा मोहल्ला गुलाम हुसैन से प्रारम्भ होकर तहसील रोड गाँधी मूर्ती चौराहा काजी मोहल्ला आदि मार्गो से होती हुई नियत स्थान पर समाप्त हुई इस मौके पर प्रमोद प्रेमी अनिल कुमार धीरज कुमार सुनील कुमार सन्तोष अरुण आदि थे सुरक्षा व्यवस्था की कमान अलीगंज इंस्पेक्टर प्रेमपाल सिंह हमराह फ़ोर्स साथ रहे।
दिलीप सिंह मंडल ब्यूरो एटा उत्तर प्रदेश

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