भारत के अनेक राज्यों के अनेक शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लेबल बेहद खराब और गंभीर श्रेणी में 400 से लेकर 500 के पार होने के कारण ध्वनि और वायु प्रदूषण को देखते हुए पटाखे पर लगाया बैन; कुछ शहरों में सीमित समय के लिए पटाखे फोड़ने को मिली अनुमति। उधर झारखंड सरकार ने भी दिवाली के दिन रात 8:00 बजे से 10:00 बजे तक ही पटाखे छोड़ने की अनुमति प्रदान की है। बड़े बुजुर्गों ने भी कहा है की बगैर ध्वनि और वायु प्रदूषण के त्यौहार को धूमधाम व श्रद्धा पूर्वक मानना ही त्यौहार होता है। वहीं कुछ लोगों ने कहा; पटाखे जलागे तो धुआ बनके उड़; हमें नाश करेगा लेकिन उसी राशि से जरूरतमंदों के चेहरे पर मुस्कान लायगे तो जिंदगी को सुकून मिलेगा; जो कि सच्चा त्यौहार होगा। आईए जानते हैं वायु प्रदूषण कितना घातक है:- इससे दमा, सर्दी-खाँसी, अँधापन, शरीर का कमजोर होना, त्वचा रोग जैसी बीमारियाँ पैदा होती हैं। स्ट्रोक, इस्केमिक हृदय रोग, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, फेफड़े का कैंसर, निमोनिया व मोतियाबिंद वहीं लम्बे समय के बाद इससे जननिक विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं और लंबे समय के बाद यह घातक भी हो सकता है। वायु को प्रदूषित करने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार, कार्बन मोनोआक्साइड, कार्बन डाइआक्साइड, सल्फर नाइट्रेट एवं नाइट्रोजन आक्साइड इत्यादि गैसें हैं। एक आंकड़े के मुताबिक प्रदूषण की वजह से हर साल दुनिया भर में 90 लाख से अधिक लोगों की मौत हो रही है। अध्ययन से पता चला है कि दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत में वायु प्रदूषण से अधिक लोगों की मौत होती है। बताते चले की जहरीली हवा केवल मानव को ही नहीं; पेड़ पौधे व पशुओं को भी नुकसान पहुंचता है।
ऐसे समझे हवा का AQI मानक तथा डेसीबल (ध्वनि प्रदूषक स्तर) को
0 और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है। वहीं ध्वनि प्रदूषक सामान्य श्रवण शक्ति वाले व्यक्तियों के लिए 25-30 डेसीबल ध्वनि पर्याप्त होती है। 5 डेसीबल ध्वनि अत्यन्न मन्द, 75 डेसीबल साधारण तेज, 80-90 डेसीबल (ध्वनि प्रदूषक स्तर) श्रवण शक्ति को स्थायी हानि पहुँचाने में सक्षम, 95 डेसीबल अत्यन्त तेज व 120 डेसीबल ध्वनि या अधिक तीव्र कष्टकारी होती है। उपरोक्त वस्तु स्थिति को देखते हुए भी नहीं माने तो हम सरकार को कोसने का अधिकार खो देते हैं।
विशेष संवाददाता धनंजय कुमार (7857826506) की रिपोर्ट।