नसिरापुर की बेटी शुभी का आइटीबीपी में चयन

शिक्षामित्र की बेटी ने मुश्किल रास्तो से चल पाई सफलता

– आर्थिक तंगी में ट्यूशन पढ़ाकर चलाया अपना खर्चा

– परिवार के तीन बच्चों में है सबसे छोटी

यदुनाथ सिंह/नवयुग समाचार

बिल्हौर: बिल्हौर के नसिरापुर के एक साधारण से परिवार की बेटी ने आइटीबीपी (भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस) की परीक्षा पास कर दिखा दिया है कि अगर जज्बा हो तो इंसान कुछ भी हासिल कर सकता है। संसाधन कितने भी सीमित क्यों न हों पर मंजिल पाने की इच्छा हर राह आसान कर देती है। संविलियन विद्यालय नसिरापुर में शिक्षामित्र पद पर कार्यरत विमल चंद्र कटियार के तीन बच्चे हैं। बड़ी बेटी की शादी हो गई है तथा छोटा बेटा जयपुर में एक कंपनी में जॉब करता है और छोटी बेटी शुभी कानपुर में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी। शुभी ने बताया कि उसने कानपुर में रहकर कंपटीशन की तैयारी शुरू की थी लेकिन कोचिंग फीस, कमरे का किराया इत्यादि के लिए आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। जिसको पूरा करने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। जिससे खुद की तैयारी प्रभावित हुई। लेकिन अपनी जिद के आगे मैंने इसे भी ईश्वर की मर्जी समझा और अपने लक्ष्य को साधने में जुटी रही। नसिरापुर के मूल निवासी विमल चंद्र कटियार की पुत्री शुभी कटियार ने परिवार की स्थिति को समझते हुए अपनी रणनीति बनाई। शिक्षामित्र पिता की सीमित आय और ट्यूशन से मिले पैसों से पहले ही प्रयास में आइटीबीपी में सलेक्शन लेकर कुछ इन पंक्तियों को चरितार्थ किया कि ‘मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है’। शुभी ने जहां एक ओर बिल्हौर और अपने गांव नसिरापुर का नाम रोशन किया वहीं अपनी बेटी की सफलता से परिवार के लोग खुश हैं। गाँव नसिरापुर के लोग भी खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

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इनसेट
…… अबला नहीं रही अब की नारी
बिल्हौर। गांव की लड़कियां भी अब अबला होने का मिथक तोड़ रही हैं। वह भी शहर की लड़कियों की तरह हर क्षेत्र में अपने झंडे गाड़ने में आगे दिख रही है। नसिरापुर की शुभी भी ऐसी लड़कियों में से एक है। जिसने कठिन राह पर चलने का फैसला किया और उसके हौसले के आगे ईश्वर ने उसकी सुन ली।

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