जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त मंजूनाथ भजन्त्री द्वारा डीएमएफटी की समीक्षा बैठक आवासीय कार्यालय में की गई। बैठक में स्पष्ट कहा गया कि प्रस्ताव में स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, कौशल विकास केंद्र से जुड़ी योजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने सभी सम्बन्धित विभागीय पदाधिकारी को निर्देशित किया कि सोमवार तक अनिवार्य रूप से अपने विभाग सम्बन्धी प्रस्ताव समर्पित करेंगे। जिला शिक्षा अधीक्षक से स्कूलों में बेंच-डेस्क, अतिरिक्त कमरा निर्माण की आवश्यकता, पेयजल व शौचालय सम्बंधी समस्या की जानकारी ली गयी। साथ ही निर्देशित किया गया कि यथाशीघ्र मूल्यांकन करते हुए प्रस्ताव समर्पित करें। शिक्षा विभाग से विद्यालय में जहां छात्र की संख्या अधिक है वहां अतिरिक्त कमरा, टूटे हुए छतों की मरम्मती, पेयजल की उपलब्धता, शौचालय की स्थिति, किचेन शेड, मरम्मती बेंच डेस्क, लाइटिंग, पुस्तकालय की अद्यतन स्थिति, प्रयोगशाला, बाउंड्री वॉल, स्मार्ट क्लासेस, मल्टीपर्पज हॉल, समुदायिक हॉल, कल्याण हॉस्टल, कस्तूरबा विद्यालय आदि से संबंधित प्रतिवेदन की मांग की गई हैं। जिला समाज कल्याण पदाधिकारी से मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र निर्माण व आंगनबाड़ी केंद्रों में बिजली के वायरिंग का प्रस्ताव बढ़ाने का निर्देश दिया गया।
डीपीएम जेएसलपीएस को संकुल स्तरीय कौशल विकास केंद्र संचालन के लिए प्रस्ताव बढाने का निर्देश दिया गया। जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त ने कहा कि आधी आबादी को कौशल विकास तथा प्रशिक्षण से जोड़कर रोजगार सृजन के नए अवसर उपलब्ध कराए जाने का प्रयास होगा ताकि महिला समूहों से जुड़ी महिलाएं और सशक्त हो सकें। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता को आगामी गर्मी के मौसम को देखते हुए जिले में चापाकल मरम्मती व पेयजल के अन्य स्रोत की उपलब्धता का मूल्यांकन करते हुए प्रस्ताव समर्पित करने हेतु निर्देश दिया गया। उपायुक्त ने कहा कि डीएमएफटी फंड का समुचित लाभ आमजनों तक पहुंचे इसके लिए जरूरी है कि बड़ी आबादी को लक्षित कर योजनाओं का चयन किया जाए। योजनाओं के चयन में विभाग भी अपने स्तर पर प्राथमिकता तय करें। प्रस्तावित योजनाओं को जल्द अनुमोदित कर विकास कार्यों को धरातल पर उतारने का प्रयास जिला प्रशासन द्वारा किया जाएगा। बैठक में उप विकास आयुक्त मनीष कुमार, निदेशक एनईपी ज्योत्स्ना सिंह, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, जिला शिक्षा अधीक्षक, विभिन्न तकनीकी विभागों के पदाधिकारी उपस्थित थे।