घाघरा नदी की कटान के चलते गुप्तापुरवा गांव का हुआ अस्तित्व समाप्त

कटान के चलते समय से पहले अपने खेतों में खड़ी फसल काट रहे किसान

प्रधान प्रतिनिधि जंगल गुलरिहा शिवकुमार निषाद ने जिलाधिकारी कार्यालय में जाकर सौंपा ज्ञापन

रिपोर्ट विशाल अवस्थी

यूपी के बहराइच जिले में सुजौली क्षेत्र में स्थित गुप्तापुरवा और तुलसीपुरवा गांव को घाघरा नदी की लहरों ने लील लिया है अब घाघरा नदी की लहरें और नौ गाँवों को लीलने के लिए बेताब दिख रहीं हैं। घाघरा की कटान से परेशान ग्रामीण अब अपना घर अपने हाथों से ही उजाड़कर पलायन करने को मजबूर हैं।

घाघरा नदी की लहरों का कहर मिहीपुरवा तहसील अंतर्गत सुजौली क्षेत्र के गाँवों पर थम नहीं रहा। घाघरा नदी की लहरों ने थाना सुजौली क्षेत्र में स्थित गुप्तापुरवा और तुलसीपुरवा को लील लिया है, अब नदी की लहरें सुजौली, बड़खड़िया, चहलवा और जंगल गुलरिया गांव को लीलने के लिए बेताब दिख रही हैं। पहले घाघरा की बाढ़ और अब घाघरा की कटान के विकराल रूप से लोग परेशान हैं। लगभग 35 हजार की आबादी प्रभावित है।

घाघरा की लहरों ने गुप्तापुरवा और तुलसीपुरवा गांव का अस्तित्व समाप्त करने के बाद अब तक दो दर्जन से अधिक घर और सैकड़ों बीघा जमीन को डकार लिया है। अब स्थिति यह है की जिनका घर कटान से अभी बचा हुआ वह अपना घर अपने हाथों से उजाड़कर पलायन करने पर मजबूर है

प्रधान प्रतिनिधि जंगल गुलरिहा शिवकुमार निषाद ने जिलाधिकारी कार्यालय में जाकर सौंपा ज्ञापन

प्रधान प्रतिनिधि जंगल गुलरिहा शिवकुमार निषाद ने बताया कि लगातार हो रही कटान के चलते उपजाऊ भूमि के साथ घर भी घाघरा नदी में समाहित हो रहे हैं जिसको लेकर उनके द्वारा जिलाधिकारी कार्यालय में जाकर जिलाधिकारी मोनिका रानी को कटान रोकने से संबंधित ज्ञापन को सौंपा गया है जिसको लेकर जिलाधिकारी मोनिका रानी ने बताया कि विभागों को निर्देशित किया गया है जल्द से जल्द कटान रोकने के प्रयास किए जाएंगे

कटान रोकने का नहीं हो रहा उपाय, ग्रामीण बेहाल

ग्राम प्रधान प्रतिनिधि शिवकुमार निशाद ने बताया की जंगल गुलरिया ग्राम पंचायत के 9 मजरे में घाघरा का कटान जारी है अबतक दो दर्जन घर व सैकड़ों बीघा जमीन तथा खड़ी फसलों को घाघरा की लहरें डकार चुकी है।
लालमुनि,हरेंद्र, बब्बन , शुभराती, काबरुन्निशा, गंगादास, राजेश , रामशंकर, लल्लन, जीतेन्द्र, रामजीत, प्रभु, रामशंकर मौर्य के साथ काफी संख्या में किसानों के घर घाघरा नदी में समाहित हो चुके हैं

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