नितिन चाैबे का असमय हम लाेगाें का साथ छाेड देना निश्चय ही पीड़ा दायक है

(अशाेक पाण्डेय)
प्रभू श्री राम काे वनवास हुआ उनके वियोग में पिता दशरथ ने प्राण त्याग दिये। भरत जी उस समय ननिहालमें थे। जैसे ही अयोध्या लाैटे ताे दो बडी पीड़ादायक खबरें मिली। भरत जी विलख विलख कर राेने लगे। उनका रूदन देखकर मुनि श्रेष्ठ वशिष्ठ की आंखों में भी आंसू आ गये। भरत जी ने उनसे बड़ा कठोर सवाल किया हे गुरूदेव आपकाे ताे भूत, भविष्य, वर्तमान सबका ज्ञान है। आप क्यों राे रहे हो। वशिष्ठ जी ने विह्वल होकर कहा सुनाे भरत भावी प्रबल बिलखि कहेव मुनि नाद। हानि, लाभ, जीवन, मरण, जश अपजस विधि हांथ।।

लेकिन कभी कभी विधाता के निर्णयों पर गुस्सा भी आता है। और ऐसा ही कुछ गुस्सा समूचा भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ महसूस कर रहा है। मृदुभाषी, निर्भीक और अति मिलनसार वरिष्ठ पत्रकार नितिन चाैबे का असमय हम लाेगाें का साथ छाेड देना निश्चय ही वीणा दायक है। उनका जाना हमारी निजी क्षति है। 23 नवंबर 2023 काे बैसवाडा में ब्राम्हण उत्थान समिति ने उन्हे ब्राम्हण रत्न सम्मान दिया था। ऐसा लग रहा है जैसे यह कल कि ही बात है। नितिन चाैबे का निधन पत्रकारिता जगत की अपूर्णनीय क्षति है। मै श्रध्दांजलि भी कैसे दूं क्योंकि मै नि:शब्द हूँ।

(राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय श्रमजीवी पत्रकार संघ)

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