मीडिया में हो रही अभूतपूर्व क्रांति: संजीव समीर

राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर झारखंड जर्नालिस्ट एसोसिएशन ने किया कार्यशाला का आयोजन

नवयुग समाचार संवाददाता

झुमरीतिलैया: राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर झारखंड जर्नालिस्ट एसोसिएशन ने सेक्रेट हार्ट स्कूल सभागार में एसोसिएशन के अध्यक्ष आलोक कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के चार स्तंभ माने जाते हैं। पहला विधायिका (संसद-विधानमंडल), दूसरा न्यायापालिका (न्यायालय), तीसरा कार्यपालिका (प्रशासन) और चौथा पत्रकारिता जिसे साधारण भाषा में प्रेस व मिडिया भी कहते हैं। आज देश के इस चौथे स्तंभ यानी पत्रकारिता से जुड़े लोगों का पर्व है, क्योंकि पूरा देश आज 58वाँ राष्ट्रीय प्रेस दिवस (National Press Day) मना रहा है।

बहुत पुरानी बात नहीं है, जब देश के प्रथम प्रेस आयोग ने प्रेस (समाचार माध्यमों या मीडिया) की स्वतंत्रता एवं पत्रकारिता में उच्च आदर्श स्थापित करने के उद्देश्य से एक प्रेस परिषद् की परिकल्पना की थी।जिसके फलस्वरूप 4 जुलाई 1966 को भारतीय प्रेस परिषद् (पीसीआई ) की स्थापना हुई। 16 नवंबर, 1966 को पीसीआई ने विधिवत् कार्यारंभ किया और इसी कारण हर वर्ष 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाता है।

नेशनल प्रेस डे मनाने का उद्देश्य पत्रकारिता और पत्रकारों को सशक्त बनाना और स्वयं को पुनः समर्पित करने का अवसर प्रदान काना है। वही सचिव अनिल सिंह ने कहा कि भारत में पहला राष्ट्रीय प्रेस दिवस 16 नवंबर 1966 को मनाया गया और इस गणना से आज 58वाँ राष्ट्रीय प्रेस दिवस है, परंतु जहां तक प्रेस (समाचार माध्यम) की बात है, तो भारत में इसका इतिहास 240 वर्ष पुराना है।

भारत में पहला समाचार पत्र ‘Hicky’s Bengal Gazette’ 29 जनवरी 1780 को कलकत्ता (अब कोलकत्ता – पश्चिम बंगाल) प्रकाशित हुआ था। यह एक अंग्रेजी समाचार पत्र था। आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि भारत में प्रथम भारतीय भाषा का पहला समाचार पत्र भारत की प्रमुख भाषा हिन्दी में नहीं था। यह समाचाा पत्र था गुजराती में। इसका नाम है, मुम्बई समाचार जो 1822 को बॉम्बे-बंबई (अब मुंबई-महाराष्ट्र) से प्रकाशित हुआ था।

भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा हिन्दी का पहला अखबार था, उदंत मार्तण्ड (उदीयमान सूर्य), जो 30 मई 1826 को कोलकत्ता (अब कोलकाता-पश्चिम बंगाल) से प्रकाशित हुआ था।राष्ट्रीय परिसद सदस्य संजीव समीर ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोनल में पत्रकारिता दमदार भूमिका-जब भारत में प्रेस यानी पत्रकारिता का उदय हो रहा था, तब वह अंग्रेजों की दासता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था।

यही कारण है कि तत्कालीन समय में मुंबई समाचार से आरंभ हुआ भारतीय प्रेस क्षेत्र तेजी से विकसित हुआ और इसने स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े लोगों की सहायता करने में दमदार भूमिका निभाई। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान देश में तेजी से नए-नए हिन्दी और भारतीय भाषाई पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन आरंभ हुआ। जिनमें अंग्रेजों के विरूद्ध क्रांति की ज्वाला धधकती थी। प्रेस ने भारत के जनमानस पर ऐसी छाप छोड़ी कि कई नागरिक इन पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित अंग्रेजों ने दमन, अंग्रेजों के विरूद्ध क्रांति व क्रांतिकारियों के संघर्ष की गाथाएं पढ कर स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ते गए।

बार काँसिल के अध्यक्ष जगदीश सलूज ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अंग्रेजों के विरूद्ध एक व्यापक जनांदोलन खड़ा करने में प्रेस ने भी स्वतंत्रता सैनिक की तरह महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देशभक्ति के रंग में रंगे पत्रकारों ने देश के हजारों-लाखों नागरिकों को दासता की बेड़ियों से मुक्त करने के लिए चल रहे आंदोलन में आहूति देने के लिए प्रेरित किया। स्वतंत्रता के बाद विस्तार हुआ, पर प्रेस ही पहचान रही स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ही 8 जून 1936 को ऑल इंडिया रेडियो का आरंभ हुआ, जिसने अब तक प्रिंट मीडिया के दायरे में सीमित रहे प्रेस शब्द को नया विस्तार दिया। 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हो गया।

प्रिंट मीडिया से एयर मीडिया (रेडिया) तक विस्तृत हुए प्रेस को 15 सितंबर 1959 को नए रूप में नई पहचान मिली। जब दूरदर्शन का आरंभ हुआ और टेलीविजन पर समाचारों का प्रसारण हुआ। कभी मुद्रण (प्रिंट) मीडिया तक सीमित रहे प्रेस का अब एयर मीडिया के बाद इलेक्ट्रोनिक मीडिया के रूप में नया अवतार लोगों के सामने आया। इसके बाद इंटरनेट का युग आया और टेलीविजन के पर्दे से इतर वेब-मीडिया का उदय हुआ और कम्पूटर पर लोगों को समाचार उपलब्ध होने लगे और आज तो मोबाइल पर भी कोई भरी समाचार एक क्लिक पर उपलब्ध हो जाता है।

इतनी प्रगति और उन्नति के बावजूद प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और वेब मीडिया को आज भी प्रेस शब्द से ही परिभाषित किया जाता है। प्रेस ने अपनी पहचान नहीं खोई और कदाचित यह पहचाल अनंतकाल तक बनी रहेगी।
90 के दशक में भारत में मीडिया के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति का आरंभ हुआ और आज सरकारी समचार माध्यम दूरदर्शन के अतिरिक्त देश में बड़ी संख्या में निजी क्षेत्र के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व वेब मीडिया कार्यरत हैं। एक अनुमान के अनुसर देश में इस समय हिन्दी-अंग्रेजी सहित सभी भारतीय भाषाओं को मिला कर कुल 70 हजार से अधिक समाचार पत्र 400 से अधिक न्यूज चैनल और हजारों मैगजीन तथा समाचार वेबसाइट्स कार्यरत हैं। इतना ही नहीं, हर दिन एक नये मीडिया का जन्म हो रहा है।

मीडिया के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति आई है, और आधुनिक युवा पीढी सहित समाज के सभी वर्गों और संपूर्ण सहि समग्र विश्व को वैचारिक क्रांति के माध्यम से सकारात्मक्ता का नया मार्ग दिखाने का प्रयास कर रहा है।मौके पर जेजेए के नितिन मिश्रा, परिम भारती, राहुल सिंह,सुधीर पांडेय, मनीष बर्णवाल,जयकांत मोदी,मंटु सोनी,किशोर राणा आदि उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *