पी.एन.बोस जयंती: टाटा स्टील व यूनियन के अधिकारीयों ने अग्रणी भूविज्ञानी प्रमथनाथ बोस (पी. एन. बोस) के 170वीं जयंती पर उन्हें याद कर श्रद्धांजलि अर्पित किए। इस विशेष अवसर पर डी. बी. सुंदरा रामम, वाइस प्रेसिडेंट (कॉरपोरेट सर्विसेज) टाटा स्टील ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई, जबकि टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव कुमार चौधरी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई), झारखंड राज्य इकाई के उप-महानिदेशक अखौरी विश्वप्रिय ने सम्मानित अतिथि के रूप में शिरकत किए। उपरोक्त के अलावा इस अवसर पर संदीप कुमार, वाइस प्रेसिडेंट (रॉ मटेरियल्स) टाटा स्टील, टाटा वर्कर्स यूनियन के डिप्टी प्रेसिडेंट शैलेश कुमार सिंह, नेचुरल रिसोर्सेज डिवीजन के चीफ, अधिकारीगण, टाटा स्टील के विभिन्न विभागों के अधिकारी तथा टाटा वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारीगण उपस्थित रहे। बताते चले की उक्त कार्यक्रम का आयोजन टाटा स्टील की नेचुरल रिसोर्सेज डिवीजन द्वारा सेंटर फॉर एक्सीलेंस के सहयोग से किया गया।
इस अवसर पर संदीप कुमार, वाइस प्रेसिडेंट (रॉ मटेरियल्स) टाटा स्टील ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, “पी. एन. बोस ने भारत को खनिज और धातु क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी शुरुआत की। उनकी दूरदृष्टि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और राष्ट्र निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता ने देश को उसके पहले एकीकृत स्टील संयंत्र की दिशा में अग्रसर किया। टाटा स्टील में हम न केवल उनके ऐतिहासिक योगदान को याद करते हैं, बल्कि नवाचार, सतत विकास और आत्मनिर्भरता की उसी भावना के प्रति स्वयं को फिर से समर्पित करते हैं।
यह हमारी ओर से उन्हें 170वीं जयंती पर सच्ची श्रद्धांजलि है।” वहीं टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव कुमार चौधरी ने अपने संबोधन में बताया कि बोस के नाम कई ऐसे काम हैं जो पहली बार किए गए। वे ब्रिटिश विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक करने वाले पहले भारतीय थे; असम में पेट्रोलियम की खोज करने वाले पहले व्यक्ति थे; भारत में साबुन का कारखाना लगाने वाले पहले व्यक्ति थे और पेट्रोलियम संबंधी काम में सहायता के लिए माइक्रो सेक्शन शुरू करने वाले भी पहले व्यक्ति थे।
वे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण में ग्रेडेड पद पाने वाले पहले भारतीय भी थे, जहाँ उन्होंने सम्मान के साथ काम किया। विज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति के रूप में, उन्होंने लगातार देश में तकनीकी शिक्षा के लिए काम किया। उनके प्रयासों ने बंगाल तकनीकी संस्थान की नींव भी रखी, जिसे आज जादवपुर विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है, जिसके बोस पहले मानद प्राचार्य थे। श्री चौधरी बोले प्रमथनाथ बोस का जन्म 12 मई, 1855 को पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के गाईपुर गांव में हुआ था, भारत के पहले अग्रणी भूविज्ञानी और औद्योगिक क्रांति के प्रमुख सूत्रधारों में से एक थे।