रांची, 30 जुलाई 2025

आज झारखंडी सुचना अधिकार मंच के केन्द्रीय अध्यक्ष सह आपुर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने कही ! इन्होने आगे कहा की यह देश का संभवत: पहला राज्य होगा जहाँ सुचना आयुक्तों की नियुक्ति प्रकिरिया पांच वर्षो से लंबित पड़ी है !
मंच का मानना है की झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 को लागू करने में अपनी नाकामी को छिपा नहीं सकती। पिछले पांच वर्षों से राज्य सूचना आयोग को जानबूझकर पंगु बनाए रखा गया है, । क्या सरकार को सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 से एवं पारदर्शिता और जवाबदेही से डर लगता है ।
विजय शंकर नायक ने आगे कहा की झारखंड राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के पद 2020 से रिक्त हैं। – लंबित आवेदन: हजारों RTI आवेदन और अपीलें आयोग में धूल फांक रही हैं, जिनमें से 20,000 से अधिक मामले लंबित है । जबकि सुप्रीम कोर्ट और झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार को आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बार-बार निर्देश दिए, फिर भी अगस्त 2025 तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। सूचना आयोग की निष्क्रियता के कारण 80% से अधिक RTI आवेदनों का समय पर निपटारा नहीं हुआ, जिससे नागरिकों के संवेधानिक अधिकारो का हनन हुआ।
विजय शंकर नायक ने यह भी कहा की *कांग्रेस की उदासीनता ने यह शाबित किया है की कांग्रेस सिर्फ कानून बनाना जानती है उसे लागु करने में वह दिलचस्पी नही रखती है ,क्योंकि कांग्रेस की केंद्र सरकार ने ही सुचना अधिकार कानून 2005 में काननु बना कर पुरे देश में लागु की थी आज झारखण्ड में 2020से सरकार की सहयोगी पार्टनर है मगर आज तक इस दिशा में कोई आवाज नही उठाई बीएस सत्ता का मलाई चाट कर वह सूचना का अधिकार अधिनियम कानून को खत्म करने में झामुमो सरकार को साथ देने का कार्य कर रही है ! सूचना का अधिकार कानून लोकतंत्र का आधार है, जो नागरिकों को सरकार के कामकाज की जांच का हक देता है। लेकिन हेमंत सरकार एवं कांग्रेसीयों की निष्क्रियता ने इस अधिकार को ठेंगा दिखाया है।
आयोग के पास न आयुक्त हैं, न कर्मचारी, और न ही संसाधन। यह स्थिति संदेह पैदा करती है कि क्या सरकार जानबूझकर पारदर्शिता को दबाना चाहती है? सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बावजूद नियुक्तियों में देरी और लंबित मामलों का ढेर इस बात का सबूत है कि सरकार RTI को कमजोर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही।
झारखंड के नागरिक अब इस चुप्पी को बर्दाश्त नहीं करेंगे। सूचना आयोग को पुनर्गठन करना सरकार की नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है। हम मांग करते हैं:
- तत्काल प्रभाव से मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति की जाए।
- लंबित RTI आवेदनों का निपटारा 90 दिनों के भीतर पूरा हो।
- आयोग को पर्याप्त संसाधन और कर्मचारी उपलब्ध कराए जाएं।
हम झारखंड के नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और मीडिया से अपील करते हैं कि वे इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएं। RTI हमारा हथियार है, और इसे कमजोर करने की साजिश को बेनकाब करना हमारा कर्तव्य है। हेमंत सरकार को जवाब देना होगा: आखिर सूचना आयोग को क्यों दफनाया जा रहा है?