राष्ट्रीय पोषण माह : हर वर्ष, राष्ट्रीय पोषण सप्ताह हमें स्वस्थ खानपान के महत्व और अपनी भोजन संबंधी पसंद पर विचार करने का अवसर देता है। “भोजन हमें जोड़ता है” यह एक सशक्त संदेश है, जो याद दिलाता है कि भोजन केवल शरीर को ऊर्जा देने वाला माध्यम ही नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा साझा सूत्र है जो व्यक्तियों, परिवारों और संस्कृतियों को समय और स्थान की सीमाओं से परे जोड़ता है। भोजन आपसी जुड़ाव और रिश्तों को मजबूत करने का सबसे प्रभावी साधन है।
भारत की खाद्य संस्कृति में विविधता का संगम है, जिसमें विविध व्यंजन और परंपराएँ देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता हैं। उत्तर में हिमालय की हिमाच्छादित पर्वत श्रेणियों से लेकर दक्षिण में केरल के समुद्र और बैकवाटर्स तक, भारत की भौगोलिक विशेषताएँ और ऐतिहासिक धरोहर स्वाद, मसालों और अनोखी पाक विधियों की एक समृद्ध परंपरा को जन्म देती हैं। भोजन मानव की सबसे बुनियादी आवश्यकता है, लेकिन यह केवल पेट भरने तक सीमित नहीं है। यह हमारी पहचान, परंपराओं और विरासत की गहरी और अनूठी अभिव्यक्ति भी है।
दादी-नानी के हाथों का बना वह सूप जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता आ रहा है, या फिर त्योहारों पर परिवार और समाज के साथ मिलकर खाया जाने वाला विशेष व्यंजन; हर पकवान की अपनी एक कहानी है। भोजन हमें यह याद दिलाता है कि हम कौन हैं और कहाँ से आते हैं। दुनिया भर में पारंपरिक भोजन वहाँ की भौगोलिक स्थिति, इतिहास और सांस्कृतिक मान्यताओं को प्रतिबिंबित करता है।
साथ मिलकर भोजन साझा करना अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोगों को एक-दूसरे की परंपराओं और मूल्यों को समझने का अवसर देता है। भोजन के माध्यम से हम आपसी पुल बनाते हैं, संवाद की शुरुआत करते हैं और समझ को और गहरा बनाते हैं। घर में भोजन अक्सर जुड़ाव का केंद्र होता है। परिवार केवल खाने के लिए ही नहीं, बल्कि दिनभर के अनुभव साझा करने, जीवन पर चर्चा करने और रिश्तों को गहरा करने के लिए खाने की मेज़ के आसपास जुटता है। एक साथ मिलकर भोजन तैयार करना हो या फिर आराम से बैठकर नाश्ता करना; ये छोटे-छोटे रोज़मर्रा के पल पारिवारिक रिश्तों को और मजबूत बना देते हैं।
माता-पिता भोजन के माध्यम से अपने बच्चों को न केवल आदतें सिखाते हैं, बल्कि जीवन के मूल्य भी समझाते हैं। बच्चों को खाना बनाना सिखाना या उन्हें किराने की खरीदारी में शामिल करना, उन्हें स्वस्थ भोजन चुनने के लिए प्रेरित करता है और जिम्मेदारी व जुड़ाव की भावना विकसित करता है। शोध से पता चलता है कि जब परिवार साथ बैठकर भोजन करते हैं, तो बच्चे न केवल पौष्टिक आहार अपनाते हैं, बल्कि शिक्षा में बेहतर प्रदर्शन करते हैं और भावनात्मक रूप से भी अधिक संतुलित रहते हैं।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्वों का पर्याप्त सेवन संतुलित आहार के माध्यम से करना बेहद ज़रूरी है। पोषण की भूमिका शिशु के माँ के गर्भ में आने के क्षण से लेकर जीवन के अंतिम पड़ाव यानी वृद्धावस्था तक बनी रहती है। सांस्कृतिक और पारिवारिक जुड़ाव के अलावा, भोजन हमें एक साझा लक्ष्य; अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति में भी एकजुट करता है। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह यह समझाने का उपयुक्त समय है कि हमारे भोजन की पसंद हमारे शरीर, ऊर्जा और दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर कितना गहरा प्रभाव डालती है।
हम क्या खाते हैं, इस बारे में सोच-समझकर निर्णय लेना कई पुरानी बीमारियों से बचाव कर सकता है, रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है और मानसिक स्वास्थ्य को भी सहारा देता है। सामुदायिक बगीचे, स्थानीय खाद्य पदार्थों को बढ़ावा देना, किसानों के हाट-बाज़ार और स्कूल लंच कार्यक्रम जैसी पहलें खासकर वंचित क्षेत्रों में पोषक आहार तक पहुँच सुनिश्चित करने में मदद करती हैं। ऐसे प्रयास न केवल स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं बल्कि सामूहिक देखभाल और जिम्मेदारी की भावना को भी मज़बूत करते हैं। आज की व्यस्त जीवनशैली में हम अक्सर भाग-दौड़ में, मोबाइल या स्क्रीन पर ध्यान लगाए हुए, या फिर व्यस्त समय-सारणी के बीच खाना खा लेते हैं।
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह हमें यह प्रेरणा देता है कि हम थोड़ा ठहरें और सजग होकर भोजन करें यानी इस पर ध्यान दें कि हम क्या खा रहे हैं, कैसे खा रहे हैं और क्यों खा रहे हैं। सजग भोजन हमें अपने आहार से गहरा जुड़ाव बनाने और शरीर के संकेतों को समझने में मदद करता है। मौसमी चीजें चुनना, नए-नए स्वास्थ्यवर्धक व्यंजन आज़माना, भाप में पकाना, उबालना, हल्का भूनना या सेंकना जैसी स्वस्थ पकाने की विधियाँ अपनाना, या फिर किसी मित्र के साथ घर का पौष्टिक भोजन साझा करना; ये सब हमारे खानपान में फिर से उद्देश्य और आनंद लेकर आते हैं। इस तरह भोजन जीवन का उत्सव बन जाता है और हमारे शरीर तथा अपने प्रियजनों के प्रति सम्मान व्यक्त करने का एक सुंदर माध्यम भी।
जब हम राष्ट्रीय पोषण सप्ताह को “भोजन हमें जोड़ता है” थीम के साथ मना रहे हैं, तो यह याद रखना ज़रूरी है कि स्वस्थ खानपान केवल व्यक्तिगत सफ़र नहीं है; यह एक सामूहिक प्रयास है, जो हमें रोगमुक्त जीवन की ओर ले जाता है!
(विशेष संवाददाता धनंजय कुमार)