संतकबीरनगर पुलिस के विशेष अभियान “ऑपरेशन कन्विक्शन” के तहत की गई मजबूत और प्रभावी पैरवी ने एक पुराने मामले में न्याय सुनिश्चित किया है। पुलिस की सक्रियता के चलते, न्यायालय ने 22 साल पुराने मारपीट और धमकी के एक मामले में अभियुक्त को दोषी सिद्ध करते हुए, उसे एक साल की परिवीक्षा (प्रोबेशन) और 25,000 रुपये के निजी बंध-पत्र से दण्डित किया है।
पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर मिली सफलता
पुलिस अधीक्षक श्री संदीप कुमार मीना के कड़े निर्देश पर ‘ऑपरेशन कन्विक्शन’ चलाया जा रहा है। इस अभियान का मूल मंत्र गुणवत्तापूर्ण विवेचना और अभियोजन द्वारा प्रभावी पैरवी है, जिसका उद्देश्य लंबित और महत्वपूर्ण मामलों में जल्द से जल्द सजा दिलाना है। संतकबीरनगर पुलिस ने 2003 के एक जटिल मामले में अपनी प्रतिबद्धता सिद्ध करते हुए यह सफलता हासिल की है।
क्या था पूरा मामला?
यह प्रकरण 21 मई, 2003 का है। वादिनी ने थाना बखिरा, जनपद संतकबीरनगर पर अभियुक्त घनश्याम पुत्र हंसु (निवासी बेलहरकला) के विरुद्ध गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था।
मुकदमा संख्या 156/2003 के तहत, अभियुक्त पर मारपीट करने, खतरनाक हथियारों से चोट पहुँचाने और जान से मारने की धमकी देने जैसे गंभीर आरोप थे। इस मामले में भारतीय दण्ड संहिता (भादवि) की धारा 323, 324, 325, 504 और 506 लगाई गई थीं। तत्कालीन उप-निरीक्षक (उ0नि0) श्री रामअशीष यादव द्वारा विवेचना पूर्ण कर आरोप पत्र माननीय न्यायालय को प्रेषित किया गया था।
न्यायालय का बड़ा आदेश
मामले की सुनवाई के बाद, दिनाँक 04 अक्टूबर, 2025 को न्यायालय– सी0जे0(एस0डी0)ए0सी0जे0एम0, संतकबीरनगर ने अभियुक्त घनश्याम को लगाए गए सभी आरोपों में दोषसिद्ध घोषित किया।
अदालत ने अभियुक्त को एक साल के लिए सदाचरण कायम रखने का आदेश दिया। इसके अलावा, अभियुक्त को 25,000 रुपये के निजी बंध-पत्र (मुचलके) और समान धनराशि के दो प्रतिभू (जमानतदार) निर्णय की तिथि से सात दिवस के अन्दर जिला परिवीक्षा अधिकारी, संतकबीरनगर के समक्ष निष्पादित करने का आदेश दिया गया है।
संतकबीरनगर पुलिस का कहना है कि यह फैसला उन अपराधियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है जो यह मानते हैं कि समय बीतने के साथ पुराने मामले कमजोर पड़ जाते हैं। “ऑपरेशन कन्विक्शन” के माध्यम से पुलिस और अभियोजन पक्ष न्याय दिलाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।