भागवत कथा हमारी संस्कृति का महान ग्रंथ है: शास्त्री

ज्ञान हमारे जीवन में कई नए अवसर लेकर आता है जिससे मनुष्य उन्नति और प्रगति कर सकता है: शास्त्री


लालचन्द्र मद्धेशिया

संतकबीरनगर। नगर पंचायत धर्मसिंहवा में चल रहे श्री विष्णु महायज्ञ में भागवत कथा के चौथे दिन वृहस्पतिवार को कथा वाचक अरूण कृष्ण शास्त्री ने कथा के दौरान उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा हमारी संस्कृति का महान ग्रंथ है क्योंकि यह मानव जीवन का अर्थ को प्रकट करता है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि केवल भाग्यशाली लोगों को ही यह मानव शरीर प्राप्त होता है क्योंकि इस मानव शरीर में ही ईश्वर प्राप्ति संभव है। कथा में एक राजा शिकार करने निकले रास्ता भटककर जंगल में पहुंच गए जंगल में उसे जंगल में कुटिया दिखी और सूर्यास्त के बाद राजा उस कुटिया की तरफ चल दिया। उस कुटिया में एक वनवासी रहता था। राजा ने उसे भोजन-पानी मांगा और उस वनवासी ने राजा का बहुत आदर सत्कार किया। आदर-सत्कार से खुश होकर राजा ने उससे कहा कि वह उसे चंदन का बाग इनाम में देता है। वनवासी ने राजा को उस राजा को राजमहल का रास्ता बताया और उसे राजमहल पहुंचने में मदद की।अगले दिन राजा के आदेश पर वनवासी को चंदन का बाग मिल गया परंतु उस वनवासी को चंदन की विशेषताओं का पता नहीं था। वनवासी रोज चंदन की लकड़ी जलाता था, उसका कोयला बनाता था और बाजार में बेच दिया करता था। धीरे-धीरे सभी चंदन के पेड़ खत्म होने लगे।एक दिन जब वनवासी आखिरी पेड़ काट कर जला रहा था, तभी वर्षा हो गई और वह लकड़ी भीग गई। उस दिन वनवासी चंदन की लकड़ी लेकर बाजार पहुंचा उसके बाजार पहुंचते ही चंदन की महक पूरे बाजार में फैल गई और उस दिन उसकी सारी लकड़ियां अच्छे दामों पर बिक गई। वह हैरान हो गया और सोचने लगा कि अगर वह लकड़ियों को जलाकर नहीं बेचता तो उनसे वह अच्छा धन प्राप्त कर सकता था।ज्ञान हमारे जीवन में कई नए अवसर लेकर आता है, जिससे मनुष्य उन्नति और प्रगति कर सकता है, परंतु यह ज्ञान सबको नहीं मिलता। इस धरती पर लाखों ऐसे लोग हैं जिन्होंने अज्ञान के कारण अच्छे अवसरों का लाभ नहीं उठाया और बाद में उन्हें पछताना पड़ा।इसलिए लगातार ज्ञान बढ़ाते रहना चाहिए भागवत कथा को ध्यान पूर्वक मन एकाग्र होकर सुनना चाहिए बिना ज्ञान की भक्ति संभव नहीं है ।इस दौरान जवाहिर पांडेय, ओमप्रकाश पांडेय, राधेश्याम गुप्ता, रामबेलास पांडेय, डॉ सर्वेश्वर पांडेय आदि क्षेत्र के भारी संख्या में श्रोता मौजूद रहे।

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