श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनकर भावविभोर हुए श्रद्धालु
श्रीमद् भागवत कथा में खेली फूलों की होली
लालचन्द्र मद्धेशिया
संतकबीरनगर।नगर पंचायत धर्मसिंहवा के काली मंदिर परिसर में नौ दिवसीय श्री विष्णु महायज्ञ में कथा के अंतिम दिन फूलों की होली खेली गई। भक्तजनों एवं ग्रामवासी झूम उठे कथा वाचन कर रहे अरूण कृष्ण शास्त्री ने श्रीमद्भागवत कथा में श्रद्धालुओं को श्री कृष्ण रुक्मिणी विवाह की कथा को सुनाया।अरुण कृष्ण शास्त्री ने श्रद्धालुओं को भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन करते हुए उन्होंने श्रद्धालुओं को कथा के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी का अवतार थी। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदिनरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेशवाहक से श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए। वे द्वारिकापुरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मी ने रोक लिया और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। तब युद्ध में श्रीकृष्ण व बलराम ने रुक्मी को पराजित करके दंडित किया। तत्पश्चात श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणी से विवाह किया। इस मौके पर विवाह गीत पर श्रद्धालु झूम उठे जिससे माहौल धर्ममय हो गया।इस अवसर पर डॉ सर्वेश्वर पांडेय, सत्यनारायण शर्मा, बृजेश चंद्र त्रिपाठी, धर्मराज अग्रहरि, अमितेश त्रिपाठी, जगदंबा प्रसाद भार्गव, रामधनी, राम केवल, अशोक, राधेश्याम निषाद, हरीश गौड़, माधुरी निषाद, पवन जायसवाल, रामचन्द्र मध्देशिया, परमहंस मिश्रा, मुकेश द्विवेदी, जवाहिर पांडेय, शत्रुघ्न त्रिपाठी, रामेश्वर साहनी, आशुतोष विश्वकर्मा, विमला देवी, राजेश्वर पांडेय,भदेश्वर पांडेय,ध्रुव विश्वकर्मा , भगत, कृष्णचंद्र सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त गण उपस्थित रहे।