उल्टा चोर कोतवाल को डांटे रामानंद सैनी

यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी जब कोई व्यक्ति गलत काम करता है और उसे टोंक दिया जाता है, तब गलत काम करने वाला व्यक्ति टोकने वाले व्यक्ति को जवाब दे देता है l गलती को स्वीकार न करके दूसरे को ही दोषी ठहराना उल्टा चोर कोतवाल को डांटे कहावत को सिद्ध करता है l घटना आज 2 मार्च 2023 की है l मैं सुबह 4:00 बजे उठकर के सीधे किचन में जाने के बाद दो गिलास पानी गर्म किया l उसके बाद किचन में बैठकर पानी पी ही रहा था कि मैंने देखा गैस चूल्हे के बाद भगोने में आधा भगोना दूध रखा हुआ है l धर्मपत्नी जी अभी सो ही रही थी l तभी न जाने क्या मन में आया मैंने उस दूध के भगोने को दूध गरम करने के उद्देश्य से चूल्हे पर रख कर गैस जला दी और फिर बैठ कर के आराम से पानी पीने लगा l पानी पीने के बाद जलती हुई गैस को छोड़कर के मैं फ्रेश होने चला गया l फ्रेश होने के बाद छत पर बैठ कर के योगा करने लगा l आधा घंटा तक योगा करने के बाद जब मैं नीचे उतर कर घर के बाहर झाड़ू लगाने के लिए निकला तब भी मुझे याद नही आया कि मैंने गैस जला करके उसके ऊपर दूध का भगोना रखा था l झाड़ू लगाने के बाद, नहा धोकर के वस्त्र बैंक में कपड़ों को बांटने के लिए तैयारी करने चला गया l इसी बीच लगभग 5:30 बजे धर्मपत्नी मंजू सैनी उठी और अपनी आदत के अनुरूप सबसे पहले किचन गई l वहां पर जाकर उन्होंने देखा कि दूध जल चुका था, भगोना एकदम लाल और काला हो गया था l उनकी जगह अगर मैं वहां होता और गैस बुझाना वह भूल गई होती तो शायद मैं धरती उठा लेता l लेकिन मैं वहां पर नहीं था l इसलिए उन्होंने गैस को बंद किया और मुझे यह बताना भूल गई कि मैंने गैस जला कर के यह काम किया था l अगर मैं होता भी तो वह विनम्र भाव से ही कहती कि आप ने गैस क्यों नहीं बंद की l आप दूध न गर्म किया करो l य़ह काम मेरा है l खैर बात आई और चली गई l दिन में मकान के प्लास्टर का काम करना, स्कूल को देखना और वाटर कूलर खरीद के लाना, शाम को वस्त्र वितरित करने जाना आदि कामों से निपटने के बाद जब मैं 8:30 बजे किचन में दूध पीने के लिए गया तो मैंने देखा कि भगोने में दूध उबल रहा था और भगोना काफी जला हुआ था l होली की तैयारी कर रही मंजू जी को मैंने बड़ी तेज आवाज में किचन में बुलाया l उनके तत्काल उपस्थित होने के बाद उन्हें भगोने को दिखाते हुए कहा कि आपने भगोने में दूध को गर्म करने के लिए चढ़ा दिया और गैस बुझाना भूल गई l देखिए, कितना भगोना जल चुका है l जब दूध चढ़ाया करें तो यहीं पर खड़ी रहा करें l सारे काम बाद में किया करें l अपने स्वाभाविक अंदाज और डांटने की आवाज में जब मैंने उनसे यह शब्द कहे तो उन्होंने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा – उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, अरे भैया राजा, मैंने भगोने को नहीं जलाया है l आपने सुबह सुबह दूध गर्म किया था l यह भगोना आपने जलाया है और अकड़ मुझ पर रहे हो l गलती आपकी है, मैं तो दूध को उबलता हुआ देख कर के गैस को बंद करने ही आई थी l उनकी इस बात को सुनकर के मैं ठगा सा खड़ा रह गया, काटो तो खून नहीं l उनकी कहावत बिल्कुल सही थी l मैं शर्मिंदा हो करके चुपचाप पीछे की तरफ से निकल गया और सीधे अपने कमरे में जाकर के बहाना करते हुए लिखने पढ़ने लगा l यह सोचते हुए कि वह कहीं पीछे से मेरे कमरे में आकर के फिर न उल्टा चोर कोतवाल को डांटे की व्याख्या करने लगे l इसलिए मैंने अपने कमरे की कुंडी बंद कर ली l अब आपको कहावत का अर्थ तो समझ में आ ही गया होगा l गलती मेरी थी और डांट भी मैं रहा था l शायद हम पुरुषों की यही खासियत है l पत्नी को डांटना, अपनी बात मनवाना, अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं l

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