हिरण्यकश्यप व होलिका के अत्याचार पर भक्त प्रहलाद
के सत्य व भक्ति की जीत का पर्व है होली
होलिका दहन को उमड़े बच्चे, बालक, युवा व बुजुर्ग
महेन्द्र सिंह /नवयुग समाचार
सागर/ जैसीनगर घाना: होलिका दहन के लिए लकड़ी और उसके पास उपलों को रखकर शुभ मुहुर्त में जलाया जाता है। इसमें छेद वाले गोबर के उपले, गेंहूं की बालियां, उपटन, नारियल आदि को डालकर जलाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और घर में खुशियां आती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था जिसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था, हिरण्यकश्यप को यह बिल्कुल पसंद नहीं था। इसलिए वह अपने बेटे को मारने का प्रयास करता था। उसने अपने बेटे को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को उसे लेकर आग में बैठने को कहा। होलिका को आग में ना जलने का वरदान था, लेकिन जैसे ही वह प्रह्लाद को लेकर आग में बैठी, वह खुद जलने लगी लेकिन प्रह्लाद बच गया। मान्यता है कि इसी के बाद से हर साल होलिका दहन किया जाता है। होलिका के प्रति उपस्थित श्रदालुओं को जानकारी दी गयी! हल्लू देवेन्द टीकाराम वीरसींग कृष्णाकुमार के साथ साथ सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे |