चने का होरा रामानंद सैनी

जी हां, आपने ठीक ही सुना चने का होरा l आज से 20 साल पहले जो लोग गांव से जुड़े होंगे, उन्होंने इसका स्वाद जरूर चखा होगा और जो आज भी गांव से जुड़े हैं उन्हें चना, मटर तथा मटरी का होरा खाने को मिलता होगा l लेकिन समय की बलिहारी है, अधिकांश लोग गांव से शहर की ओर पलायन कर रहे हैं l अब गांव में भी चने की खेती कम हो रही है l केवल व्यवसायिक खेती करने वाले ही चना बो रहे हैं l शायद इसीलिए होरा नाम का शब्द गायब हो रहा है l जब मैं अपने गांव में रहता था तो उस समय गांव का प्रत्येक किसान चना, मटर, मटरी और गन्ने की खेती करता था l सभी लोग अपने अपने खेतों में फसल तैयार होने पर होरा भूनते थे और उसका आनंद कई लोग एक साथ बैठ कर के लिया करते थे l हम जैसे शरारती और चंचल स्वभाव के कई लड़के ऐसे भी थे जो अपने खेत में चना और मटर को न उखाड़ करके दूसरे खेत से चुरा लाते थे l जिसके बाद भूना जाता था अपने खेत में l इसके साथ ही गेहूं की बालियों को भी भूनते थे l उसका होरा भी बड़ा मजा देता था l लगभग एक महीने तक यह कार्यक्रम चलता था l आज हमारे गांव में भी कोई किसान चना, मटर और गन्ने की खेती नहीं करता है l उसका एक कारण है आवारा पशुओं से फ़सल का न बच पाना l उससे ज्यादा बड़ा कारण है लड़ाई की जड़ l पहले लोग एक दूसरे के खेत में खाने की चीजे उखाड़ लेते थे तो लोग इतना बुरा नहीं मानते थे l लेकिन आज इतनी चोरियां होती हैं कि अगर आपने चना बो दिया तो मुझे लगता है कि अगर आपने उसे नहीं बचाया तो आपके घर में एक भी चना का दाना आएगा l इसी डर से लोग नहीं बो रहे हैं और यह मेरे ही गांव की दशा नहीं है अधिकांश गांव में इस प्रकार की चोरी होती है l मैंने लखनऊ में सन 2000 में एक खेत लिया l लगभग 15 सालों तक उसमें चने की खेती की, हरा चना खाया और उसे भूनकर भी खाया l लेकिन 2015 तक मैं चोरों से इतना परेशान हो गया कि उस खेत को मुझे बेचना पड़ा यानी प्लाटिंग करनी पड़ी l आज उस खेत में चने की जगह कंक्रीट के जंगल है l लगभग 8 सालों से मैं बाजार से चना खरीद करके होरा भून रहा हूं l गन्ना चूसने, कटहल लेने तथा आम खाने के लिए मुझे अपने मित्र अनीश पटेल उर्फ कल्लू के गांव अमावाँ जाना पड़ता है l लेकिन प्राकृतिक चीजों का आनंद लेने में मैं पीछे नहीं रहता l वह चाहे बाजार में मिले या किसी मित्र के खेत में, मुझे गांव जाना पड़े या फिर देहात की बाजार में l मेरा अनुभव है कि प्रकृति से जुड़ने में जो आनंद मिलता है वह और कहीं नहीं मिलता l आज जब मैंने चने के होरा वाली फोटो फेसबुक पर डाली तो कई मित्रों ने कहा कि मुझे बहुत से साल बीत गए होरा खाए हुए लेकिन अब नहीं मिलता l मैं उनसे कहना चाहूंगा मित्र चना और मटर बाजार में उपलब्ध रहता है l आप उसे खरीद करके घर में भून सकते हैं l भूनने के लिए कागज का प्रयोग कर सकते हैं l बस इच्छा होनी चाहिए लेकिन आप तो चाइनीस खाने में इतना व्यस्त और मस्त हो गए हैं कि गांव की चीजें भूल गए l आओ, एक बार हम फिर से गांव की ओर वापस चलें, वहां की चीजों का उपयोग करें और चाइनीस चीजों का बहिष्कार l इससे न सिर्फ हमारे किसानों को फायदा होगा बल्कि हमारे स्वास्थ सुधार में भी लाभ होगा l

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