5 साल के भीतर कानपुर में नवजात शिशुओं के मिलने की दो दर्जन से ज्यादा हो चुकी घटनाएं
– 99% मामलों में पुलिस नहीं लगा पाई नवजात फेंकने की दोषियों का पता दोषियों का पता
सुनील बाजपेई
कानपुर | यहां जिले में प्रेम बनाम अवैध संबंधों के फलस्वरूप गर्भवती होने वाली युवतियों द्वारा जनित नवजात शिशुओं को लोक लाज के भय से फेंकना जारी है।
यही वजह है कि बीते 3 साल के भीतर जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में मिलने वाले नवजात बच्चों का आंकड़ा 2 दर्जन से भी ज्यादा की संख्या पार कर चुका है। खास बात यह है कि अधिकांश पुलिस इसके लिए दोषी लोगों का पता आज तक नहीं लगा पाई |
इसी तरह की एक और घटना देहात में सिकंदरा क्षेत्र के ऊमरपुर की है। जहां एक नवजात को उसकी बिन ब्याही बताई जाने वाली मां के बजाय एक महिला सिपाही का आंचल नसीब हुआ।
मिली जानकारी के मुताबिक निर्मोही मां ने परवरिश करने के बजाय उसे तालाब किनारे फेंक दिया था। फिलहाल अब उसे अपनों के ठुकराने के बाद पुलिस ने अपना लिया है।
यहां के सीएचसी में इस मासूम की जरूरी देखभाल एक महिला सिपाही करने में लगी है। इसके पहले जब गांव के राजीव शुक्ला को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने तत्काल ही एम्बुलेंस बुलाई।
इस दौरान इसकी जानकारी मिलने पर पुलिस पहुंच गई। जिसके बाद एम्बुलेंस से नवजात को सीएचसी ले जाया गया। यहां सीएचसी में डॉक्टर पूजा गोयल ने उसका उपचार किया।
इस बीच महिला डॉक्टर द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़ कुछ घंटे पहले ही बच्चा जन्मा है । वह पूरी तरह से स्वस्थ भी है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक अब उसे थाने की महिला सिपाही सरिता यादव का आंचल मिला हुआ है। पुलिस ने बताया कि सीडब्लूसी विभाग को सूचना देने के साथ ही घटना की जांच भी की जा रही है |