–सांथा विकास खण्ड क्षेत्र के गांव इमिलिया में भीख मांग कर खाने को मजबूर नाबालिग बच्चे ।
संतकबीरनगर। इसे कुदरत का कहर कहें या नाबालिग बच्चों की बदकिस्मती।सांथा विकास खण्ड क्षेत्र के इमिलिया गाँव में
चार साल पहले मां की मृत्यु के बाद नाबालिग बच्चों की परवरिश पिता के कंधे पर आ गई । फिलहाल पिता मजदूरी कर बच्चों का भरण पोषण कर रहा था।लेकिन पिता भी गंभीर बीमारी के चपेट आ गया मासूम बच्चे दर दर ठोकरे खाने को मजबूर रिश्तेदारों ने भी सहारा छोड़ दिया बच्चे भीख मांग कर खाने को मजबूर है जो जैसा सहयोग कर देता है उसी में ही भरण पोषण करतें हैं।
बताते चलें कि सांथा विकास खण्ड क्षेत्र के इमिलिया गाँव निवासी 37 वर्षीय धर्मेंद्र पुत्र पंडोही पत्नी की चार साल पहले बीमारी से मौत हो गयी ।अब धर्मेंद्र के पैर में कुछ समस्याएं हुई तो उसने डाक्टर को दिखाया तो पता चला फालिज जैसी गंभीर बीमारी के चपेट में आ गया है।अब वह खुद और बेबस लाचार अपनी बीमारी से और आर्थिक तंगी में नाबालिग बच्चों की परवरिश व खुद का उपचार कराने वह अस्मर्थ हो गया। धीरे धीरे शारीरिक अक्षमता बढ़ने लगी चलने फिरने में अस्मर्थ हो गए करीब दो माह से विस्तर पर पड़े है। धर्मेंद्र ने बताया कि उसके पास चार बच्चे हैं बड़ा बेटा अरुण 12 साल, वरूण 10 साल, बेटी काजल 8 साल व संध्या 5 साल है पत्नी के मौत से मैं किसी तरह बच्चों का पालन पोषण किया। लेकिन मैं खुद लाचार हो गया हूँ।
हमारे आंखों के सामने बच्चे बेसहारा हो गये है घर में न तो खाने के लिए है और न ही उपचार के लिए रुपए पास पड़ोस से कुछ खाने को मिल जाता है उसी में दिन काट रहे हैं। नाबालिग बच्चे आर्थिक स्थिति से काफी परेशान हैं मदद के लिए अभी तक किसी ने भी जिम्मा नहीं उठाया है बताते हैं कि उनके पास प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना कार्ड बना हुआ है फिर भी उनकी मजबूरी देखकर कोई सुविधा दिलाने को तैयार नहीं है बच्चे पढ़ने लिखने की उम्र में पेट भरने की जिम्मेदारी उठा रहे हैं।