टीबी का एक मरीज उपचार शुरु होने से पहले 15 लोगों के बीच हर वर्ष फैलाता है टीबी के बैक्टीरिया
संतकबीरनगर।जिला क्षय रोग अधिकारी डा. एस डी ओझा ने कहा कि टीबी के प्रसार को रोकने में टीपीटी ( टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट ) की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्षय रोग उन्मूलन के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं । टीबी रोगियों के सम्पर्कियों तथा उनके परिजनों को टीबी से बचाने के लिए ही टीपीटी अभियान चलाया जा रहा है। जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की भूमिका इसमें महत्वपूर्ण है। सभी अपने क्षेत्र के टीबी रोगियों और उनके निकट सम्पर्कियों की सूची बनाएं तथा इसकी जानकारी टीपीटी दिलाने वाली संस्था सीएचआरआई ( सेंटर फार हेल्थ रिसर्च एंड एनोवेशन ) के प्रतिनिधियों को भेजें। वह सभी के टीपीटी की व्यवस्था करेंगे।
यह बातें उन्होंने जिला क्षय रोग विभाग तथा सीएचआरआई के सहयोग से जिला मुख्यालय पर स्थित एक होटल में जिले के बेलहर व सांथा ब्लाक के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। डॉ ओझा ने आगे कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी टीपीटी की सूची देने के बाद इसका पर्यवेक्षण भी करें कि उन्हें टीपीटी दी गयी है या नहीं। इस अवसर पर सीएचआरआई के डिस्ट्रिक्ट लीड उत्कर्ष पाठक ने कहा कि सभी टीबी रोगियों के साथ उनके संपर्क में आए परिजन व अन्य लोगों की स्क्रीनिंग व दवा भी जरूरी है। इसलिए टीपीटी कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसमें टीबी रोगी के संपर्कियों को रोग की प्रतिरोधी दवा आयु के हिसाब से दी जाती है । दवा शुरू होने के बाद न तो रोगी के परिवार का कोई सदस्य संक्रमित होगा और न वे किसी अन्य संक्रमित कर सकेंगे। रोग का प्रसार थम जाएगा। इस अवसर पर जिला सामुदायिक कार्यक्रम प्रबंन्धक संजीव सिंह ने सभी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों से इस कार्यक्रम में सहयोग करने का अनुरोध किया।
इस दौरान प्रशिक्षण कार्यक्रम में आई हुई सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी साधना बंधु ने कहा कि टीपीटी क्षय रोगियों के परिजनों के लिए बहुत आवश्यक है। हम अपने क्षेत्र के सभी क्षय रोगियों के परिजनों को टीपीटी अवश्य दिलवाएंगे। इस अवसर पर सर्वेश, नेहा, शशिकला, संजू रानी, शाहिदा खातून के साथ ही बेलहर व सांथा के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी मौजूद रहे।
15 लोगों के बीच टीबी फैलाता है एक क्षय रोगी
क्षय रोग के जिला कार्यक्रम समन्वयक अमित आनन्द बताते हैं कि यदि किसी व्यक्ति को फेफड़े की टीबी है और उसका इलाज शुरु नहीं हुआ है तो वह कम से कम 15 व्यक्तियों को टीबी फैलाता है। उपचार शुरू होने के बाद अगर लोग सावधानी बरतते हैं तो उससे किसी को खतरा नहीं होता। टीपीटी कार्यक्रम के तहत ऐसे लोगों की सूची बनाकर उनका एक्सरे कराने के साथ ही बलगम की भी जांच की जाएगी। अगर वह संक्रमित हैं तो उनका इलाज होगा, अन्यथा उनको टीपीटी दी जाएगी। टीपीटी कार्यक्रम को अपनाकर ही क्षय रोग को समाप्त किया जा सकता है।
4256 लोगों को दी जा चुकी है टीपीटी
सीएचआरआई के एमआईएस मैनेजर रविशंकर शर्मा बताते हैं कि जिले में 3774 फेफडे की टीबी से ग्रस्त हैं। इनमें से 3154 के निकट सम्पर्कियों की स्क्रीनिंग हो चुकी है। कुल 9706 लोग चिन्हित किए गए हैं। 5335 लोगों के टेस्ट भी कराए जा चुके हैं। 8962 लोग टीपीटी के लिए पात्र हैं। इसमें से 4256 लोग टीपीटी पूरा कर चुके हैं। 3282 लोगों की टीपीटी चल रही है। जिले में जितने भी क्षय रोगी हैं, उनके परिजन व निकट संपर्की टीपीटी अवश्य लें।