“पत्रकार बनने का सुनहरा मौका। आवश्यकता है देश के हर जिले में रिपोर्टर, कैमरामैन और ब्यूरो की… दिए गए नंबर पर जल्द से जल्द सम्पर्क करें।”
आज कल हर 10 में से 2 व्यक्ती न्यूज वेबसाइट बना रहा है। पत्रकारिता अब सोशल मीडिया पर मज़ाक बनकर रह गई है। जिसे देखो वह पत्रकार बनाने की फैक्ट्री की Vacany निकाल रहा है। पोर्टल और यूटयूब को ऑनलाइन बिजनेस से होने वाली कमाई युवाओं को इस फील्ड की ओर आकर्षित कर रही है।
एक ऐसे ही सोशल मीडिया पर विज्ञापन को पढ़ कर मन में यह जिज्ञासा हुई कि आखिर किस प्रकार डिजिटल मीडिया पर पत्रकार बनाने की फैक्ट्री चल रही है इसकी भी पड़ताल की जाए।
विज्ञापन में दिए गए नंबर पर संपर्क कर मैं ने कहा “मुझे आप के पोर्टल/यूटयूब चैनल से जुड़ना है।
पूछा गया, अभी आप किस न्यूज से जुड़े हैं, मैं ने कहा स्वतंत्र पत्रकार हूं। पूछा गया पत्रकार क्यों बनना चाहते हो, जवाब मे मैने भी कोई कसर नहीं छोड़ी, मैं हमेशा पत्रकार ही बनना चाहता था, पर कहीं से शुरूआत नहीं मिल पाई है।
जवाब मिलता है आप को हमारे यहां शुरूआत का अवसर मिलेगा।
कहा गया हमारे साथ जुड़ने के लिए आप को 3000₹ से लेकर 10,000₹ तक जमा करना होगा।
जिसमें हम आप को आई कार्ड, अथाँरिटी लेटर, माइक आई डी देगें। साथ ही विज्ञापन में प्रतिशत का कमीशन इस बात को देख कर तय किया जाएगा आप किस पैकेज के तहत जुड़े हैं
। मैं ने कहा मेरी शिक्षा केवल मैट्रिक तक की है, उधर से जवाब आया शैक्षणिक योग्यता की कोई अवयशक्ता नहीं है।
यह आज के डिजिटल मीडिया की क्रांति की एक छोटी सी तस्वीर है, हालात इससे भी बदतर हैं। पत्रकारिता को अब दोहन के लिए चारागाह की तरह डिजिटल मीडिया पर इस्तेमाल किया जा रहा है। फेक न्यूज और अधूरे सच परोसे जा रहे हैं।
कोड ऑफ कंडक्ट की धज्जियां उड़ाई जा रही है।ऐसे में हम मूक दर्शक बने नहीं बैठे रह सकते हैं।
बीएसपीएस के राष्ट्रीय महासचिव शाहनवाज़ हसन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय दूरसंचार मंत्री श्री अनुराग ठाकुर को पत्र लिखा है।
बीएसपीएस द्वारा उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर किया जाएगा। उच्चतम न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा सरकार की पूर्व सॉलिसिटर जनरल श्रीमती रीना सिंह से दिल्ली में इस विषय पर लंबी बातचीत हुई है, वे जल्द ही भारती श्रमजीवि पत्रकार संघ की ओर से उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करेंगी।