– 20 टीम एकत्रित कर रही है लोगों के रक्त के नमूने, बनाई जा रही है स्लाइड
– 6000 लोगों के रक्त के नमूने लेने का लक्ष्य, लोगों से सहयोग की अपील
संतकबीरनगर, 26 जुलाई 2023।
जिले में फाइलेरिया संक्रमण दर का पता लगाने के लिए नाइट ब्लड सर्वे किया जा रहा है। इस सर्वे के दौरान 20 स्थानों पर 6000 लोगों के रक्त के नमूने लेने का लक्ष्य है। सभी लोग नाइट ब्लड सर्वे के लिए लगायी गयी टीम का सहयोग करें तथा रक्त के नमूने दें, जिससे इस लाइलाज रोग का उन्मूलन किया जा सके। जिले की 10 रैण्डम व 10 सेण्टीनल साइट्स पर सोमवार से यह सर्वे हो रहा है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अनिरूद्ध सिंह ने दी ।
उन्होंने कहा कि जिन स्थानों पर नाइट ब्लड सर्वे किया जा रहा है, वहां की आशा कार्यकर्ता व आशा संगिनी के जरिए गांव में संदेश भी भेजा जा रहा है। यह जांच रात में आठ बजे से बारह बजे के बीच ही होनी है, इसलिए सम्बन्धित क्षेत्रों के लोग रात में आठ बजे के बाद जांच करवा कर ही सोएं। हर स्थान से कम से कम 300 लोगों के रक्त के नमूनों को एकत्रित करना है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के नोडल अधिकारी डॉ वी पी पांडेय ने बताया कि फाइलेरिया के कृमि दिन में सुषुप्तावस्था में रहते हैं तथा रात में ही सक्रिय होते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए रात्रि में ही लोगों के रक्त की स्लाइड बनाई जाती है, ताकि जांच की शुद्धता शत प्रतिशत रहे। पिछली बार वर्ष 2022 में आठ क्षेत्रों में नाइट ब्लड सर्वे किया गया था जिसमें सात लोगों में फाइलेरिया संक्रमण मिला था। सभी को सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ दिया गया ।
कांशीराम शहरी आवासीय क्षेत्र के निवासी 24 वर्षीय मनीष बताते हैं कि उनके क्षेत्र में नाइट ब्लड सर्वे का अभियान चल रहा है। उन्होंने मंगलवार की रात में अपना खून सर्वे के लिए दिया। पिछली बार हुए सर्वे में भी उन्होंने रक्त दिया था। उस बार उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। रिपोर्ट चाहे जैसी भी रही हो लेकिन फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन सभी पात्र लोगों को करना है। उन्होंने भी पिछले साल दवा का सेवन किया था। इस बार भी 10 से 28 अगस्त तक प्रस्तावित फाइलेरिया रोधी दवा खिलाने के सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान में वह दवा खाएंगे ।
पांच से पंद्रह साल तक सुषुप्तावस्था में रहते हैं कृमि
मलेरिया इंस्पेक्टर रामप्रकाश बताते हैं कि फाइलेरिया के कृमि जिस व्यक्ति के शरीर में होते हैं वे सुप्तावस्था में पांच से पंद्रह साल तक पड़े रहते हैं। जब ये सक्रिय होते हैं तो हाथीपांव, हाइड्रोसील जैसे रोगों को जन्म देते हैं। हाथीपांव कभी भी ठीक नहीं होता है। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए दी जाने वाली दवा अगर कोई भी व्यक्ति 5 साल तक लगातार साल में एक बार खा लेता है तो उसके अन्दर से ये कृमि समाप्त हो जाते हैं।
इन 20 स्थानों पर हो रहा है सर्वे
फाइलेरिया का नाइट ब्लड सर्वे खलीलाबाद ब्लॉक के सेमरा व रसूलाबाद, बघौली ब्लॉक के कानापार व बरईपार, मेंहदावल ब्लॉक के बढ़याठाठर और नन्दौर, सांथा ब्लॉक के लोहरसन व सई लंगड़ी, सेमरियांवा ब्लॉक के मदारपुर व करमाखान, नाथनगर ब्लॉक के महुली व नाथनगर पुरानी बाजार, पौली ब्लॉक के बरगदवा व मुठहीकला, हैसर ब्लॉक के बड़गों व चपरा पूर्वी तथा नगरीय क्षेत्र के मगहर स्थित इस्लामनगर तथा कांशीराम आवासीय क्षेत्र के बगहिया में 29 जुलाई तक चलेगा ।
जिले में फाइलेरिया की स्थिति
जिले में फाइलेरिया के कुल 567 रोगी हैं। इनमें से हाथीपांव व अन्य लक्षणों वाले 436 रोगी हैं। वहीं 131 हाइड्रोसील के भी रोगी है और इन सभी की सर्जरी कराई जा चुकी है। हाथीपांव के मरीजों को एमएमडीपी किट दिया गया है और उन्हें प्रभावित अंग की देखभाल के साथ साथ व्यायाम के बारे में भी बताया गया है।
फाइलेरिया की दवा खिलाते समय रहे यह ध्यान
नोडल अधिकारी डॉ वी पी पांडेय ने बताया कि जिस भी व्यक्ति को दवा देनी है उसकी आयु दो वर्ष से कम न हो । एक वर्ष से दो वर्ष के बच्चों को केवल पेट में कीड़े मारने की दवा खिलानी है। दवा देते समय ध्यान रखें कि लाभार्थी गर्भवती न हो या फिर किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित न हो। दवा खाली पेट नहीं खिलानी है। यह दवा आशा या स्वास्थ्यकर्ता के सामने ही खाना अनिवार्य है।