सरकारी विद्यालय के छठी कक्षा की छात्रा ने कहा :- वर्तमान में प्रचलित स्कूल बैग के स्थान पर कपड़े के बैग का उपयोग क्यों नहीं?

झारखंड। एक छोटी सी बच्ची ने पीठ पर ढोए जाने वाले स्कूल बैग को लेकर छात्र-छात्राओं के लिए जारी किया सिख। जमशेदपुर स्थित गदड़ा निवासी राज्यकीय मध्य विद्यालय गदड़ा के छठी कक्षा की छात्रा ‘पूर्णिमा भारती’ ने पीठ पर ढोए जाने वाले स्कूल बैग को लेकर; अपने आवास पर बड़ी ही सरलता के साथ अपनी बातों को मीडिया के समक्ष रखीं।

उसने बताया कि जिस प्रकार हमारे स्कूल ड्रेस हर तीन दिन व एक सप्ताह में गंदे हो जाते हैं तो हम पुण: उसे साफ करके धारण करते हैं परंतु प्रचलित स्कूल बैग के साथ हम ऐसा नहीं करते तथा कर भी नहीं सकते यदि उसे बार-बार साफ किया जाए तो वह शीघ्र ही फट जाता है तथा उस तरह के बैग को पुण: खरीदने पर माता-पिता के ऊपर आर्थिक बोझ आता हैं;

तो उस गंदे स्कूल बैग (बीमार स्कूल बैग) को हम क्यों ढोए? क्यों ना हम बीमार रहित बैग का उपयोग करें। इसलिए मैं पठन-पाठन से संबंधित सामग्री को ढोने के लिए कपड़े का बना थैलै का उपयोग करती हूं जिसे मैं हर तीन दिन में साफ कर देती हूं। उसने मीडिया के पूछे जाने पर बताया कि मैं अपनी स्कूल बैग व अपने सभी वस्त्र को मैं खुद साफ करती हूं यहां तक की घर के ज्यादातर कार्यों में अपनी मां का हाथ बटाती हूं; ऐसा करके हमें अच्छा लगता है।

वैसे देखा जाए तो बुजुर्गों ने ठीक ही कहा है कि नए जमाने में पुराने पद्धति, पुराने विचार व पुराने खाद्य पदार्थ को हम अपना ले तो; हमारा जीवन और मजबूत हो जाएगा। उपरोक्त को लेकर बुजुर्गों ने कहा; हमारे समय में अपने हाथों में या कपड़े के बने थैली में पाठ्य सामग्री को लेकर स्कूल जाते थे फिर भी हमारे लोग आज की युवा पीढ़ी से आगे थे। अब देखना यह है कि इस परिवर्तन को कितने लोग स्वीकार करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!