एडीओ नें खाद एवं बीज भंडार की दुकानों का किया निरीक्षण, दी जानकारी

खेत में अत्यधिक पोटाश लगाने से फसलों व जमीन को होता है नुकसान

अलीगंज। खेतों में लगातार बढ़ रही पोटाश की मात्रा को कम करने के लिए प्रशासन अब पोटाश की बिक्री पर रोक लगाने को जुट गया है क्योंकि पोटाश की अधिक मात्रा खेतों में डालने से फसलों पर प्रभाव पड़ता है साथ ही उर्वरक जमीन पर भी अत्यधिक प्रभाव पड़ता है जिससे खेत की उर्वरकता कम होती है और पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ता है।

एडीओ कृषि सुखबीर सिंह ने खाद एवं बीज भंडार की दुकानों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने अलीगंज कस्बा स्थित सुरेश खाद भंडार, श्याम बाबू खाद भंडार सहित कई दुकानों का निरीक्षण करते हुए पोटाश की अब तक हुई बिक्री के बारे में दुकानदारों से जानकारी ली और दुकानदारों को पोटाश से नुकसान और फायदे के बारे में जानकारी दी।

जिसमें बताया कि पोटाश की अत्यधिक मात्रा से किसान भाइयों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचता है और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। एडीओ कृषि सुखबीर सिंह ने बताया कि कस्बा की दुकानों का आज निरीक्षण किया है जहां दुकानदारों को पोटाश के नुकसान के बारे में बताया गया है। खेतों में साल-दर-साल पोटाश की मात्रा बढ़ रही है। उच्च स्तर का नाइट्रोजन, फास्फोरस निरंतर घट रहा है।

हालात यह हैं कि उर्वरक तत्व 10 फीसदी से भी कम हो चुके हैं। विशेषज्ञ इसके पीछे रासायनिक खाद के उपयोग को प्रमुख कारण बता रहे हैं। उनका कहना है 10 साल में हालात और भी खराब हो सकते हैं। धीरे-धीरे जमीन बंजर होने लगेगी।

क्या कहते हैं किसान—–

उजीर सिंह खाद विक्रेता अलीगंज ने बताया कि 1 एकड़ में 50 किलोग्राम पोटाश लगानी चाहिए जबकि किसान 200 किलोग्राम तक पोटाश का प्रयोग खेतों में करते हैं जिससे खेतों की और उर्वरकता कम होती है और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है।

किसान महेंद्र सिंह नौगांव अलीगंज ने बताया कि पोटाश में सोडियम पाई जाती जिससे तंबाकू में अधिक मात्रा में पोटाश डालने से पेड़ में गलाव पैदा हो जाता है जिससे तंबाकू के पत्तों का वजन कम हो जाता है।

कालीचरण कसुलिया अलीगंज ने बताया कि तंबाकू, आलू में पोटाश डालने से चमक तो आती है लेकिन जमीन की उर्वरकता को कमजोर करती है जिससे जमीन ऊसर होने की संभावना बढ़ जाती है और पर्यावरण को भी नुकसान होता है कुछ बीज भंडार वाले अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए अंजन किसानों को लाभ दिखाकर उनका बेचते हैं जिससे फसलों को भी नुकसान होता है और कीड़े पैदा हो जाते हैं जो पत्तों को छलनी छलनी कर देते हैं।

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