आज से शुरू फागुन की बहार

संजय त्रिपाठी/नवयुग समाचार

फाल्गुन माह को फागुन माह भी कहा जाता है। इस माह का आगमन ही हर दिशा में रंगों को बिखेरता सा प्रतीत होता है। मौसम में मन को भा लेने वाला जादू सा छाया होता है। इस माह के दौरान प्रकृति में अनूपम छटा बिखरी होती है। इस मौसम में चंद्रमा के जन्म से संबंधित पौराणिक आख्यान भी मौजूद हैं, इसी कारण इस माह में चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है।

इस माह के दौरान भगवान शिव, भगवान विष्णु एवं चंद्र देव की पूजा का महत्व बताया गया है। फाल्गुन माह के दौरान देवी लक्ष्मी और माता सीता की पूजा का विधान भी रहा है। फाल्गुन माह आखिरी महीना होता है, इस माह के दौरान प्रकृति का एक अलग रुप दृष्टि में आता है। इसी समय पर भक्ति के साथ शक्ति की आराधना भी होती है। फाल्गुन माह भी अन्य माह की भांति ही धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से महत्व रखता है।

फाल्गुन मास मात्र इसलिए नहीं जाना जाता क्योकिं इस माह में होली का पर्व आता है बल्कि इस माह का धार्मिक महत्व भी है। यह माह पतझड के बाद जीवन की एक नई शुरुआत का माह है जिस प्रकार रात के बाद सुबह अवश्य आती है। उसी प्रकार व्यक्ति जीवन की बाधाओं को पार करने के बाद उन्नति की एक नई शुरुआत करता है। फागुन मास के दौरान बहुत से पर्व मनाए जाते हैं जिसमें से मुख्य होली, शिवरात्रि, फाल्गुन पूर्णिमा और एकादशी नामक उत्सव मनाए जाते हैं। इस माह में आने वाली एकादशी विजय एकादशी कहलाती है। इस दिन भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी।

इस समय के दोरान होलाष्टक लग जाता है। यह आठ दिनों का समय होता है जिसमें सभी शुभ काम रुक से जाते हैं इस समय पर विवाह इत्यादि कार्य नहीं होते हैं। होली का आगमन प्रकृति से संबंधित होता है। होली रंगों का त्यौहार है जिसमें जीवन के भी सभी रंग मिल कर एक हो जाते हैं।

फाल्गुन माह की चतुर्दशी के दिन शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव का पौराणिक मान्यता अनुसार इसी दिन से सृष्टि का प्रारंभ भी माना गया है। इस शुभ दिन में महादेव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। वर्षभर में आने वाली 12 शिवरात्रियों में से फाल्गुन मास में आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से भी पुकारा जाता है और यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है।

फाल्गुन मास की महत्वपूर्ण बातें

फाल्गुन मास के दौरान व्यक्ति अपने आहार का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सामान्य एवं संतुलित आहार करना ही उत्तम होता है। इस मौसम में पानी को गरम करके स्नान नहीं करना चाहिए। शीतल जल से ही स्नान करना उत्तम होता है। संभव हो सके तो गंगा स्नान का लाभ अवश्य उठाएं। भोजन में अनाज का प्रयोग कम से कम करें , अधिक से अधिक फल खाएं। अपनी साफ सफाई और रहन सहन को लेकर भी सौम्यता और शालीनता बरतनी चाहिए। इस माह के दौरान तामसिक एवं गरिष्ठ भोजन अर्थात मांस मंदिरा और तले-भुने भोजन को त्यागना चाहिए। इस माह के दौरान भगवान कृष्ण का पूजन करते समय फूल एवं फूलों का उपयोग अधिक करना चाहिए।
भगवान शिव को बेल पत्ते चढ़ाने चाहिए। फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन देवताओं को अबीर और गुलाल अर्पित करने चाहिए। आर्थिक एवं दांपत्य सुख समृद्धि के लिए माता पार्वती एवं देवी लक्ष्मी की उपासना में कुमकुम एवं सुगंधित वस्तुओं का उपयोग करना शुभकारी होता है। (संकलित)

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