रांची | दिनांक : 9 दिसम्बर 20 25
झारखंड का शीतकालीन सत्र जिस तरह भाजपा के हंगामे की भेंट चढ़ गया, वह लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधी चोट है। यह केवल सदन की कार्यवाही बाधित होने का मामला नहीं, बल्कि झारखंड की करोड़ों जनता की उम्मीदों और अधिकारों की हत्या है।
झारखंड के शीतकालीन सत्र का हंगामे में समाप्त होना लोकतंत्र और जनता—दोनों के साथ सीधा विश्वासघात है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब राज्य के गरीब, मजदूर, किसान, युवाओं और आदिवासी–मूलवासी समाज के सामने बेरोज़गारी, महँगाई, पेयजल संकट, सड़क–बिजली–स्वास्थ्य जैसी बुनियादी समस्याएँ खड़ी हैं, तब सदन को जवाबदेही का मंच बनाने के बजाय भाजपा ने उसे जानबूझकर मछली बाज़ार बना दिया है ।

उपरोक्त बाते आज आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक,ने कही | इन्होने आगे कहा की भाजपा का काम अब मुद्दों पर बहस करना नहीं, बल्कि सदन को ठप कराकर जनता की आवाज़ को दबाना बन गया है।भाजपा को डर है कि बुनियादी सवालों पर चर्चा हुई तो उसकी पोल खुल जाएगी |
महँगाई पर भाजपा बोलने से कतराती है, बेरोज़गारी पर उसके पास कोई जवाब नहीं, आदिवासी–मूलवासी अधिकारों पर उसकी नीतियाँ हमेशा संदेह के घेरे में रही हैं, झारखंड की खनिज संपदा पर लूट की राजनीति को लेकर भाजपा पहले ही सवालों के कठघरे में है। आज यही कारण है कि वह सदन में शोर मचाकर इन असहज सवालों से बचना चाहती है। भाजपा ने पूरे सत्र को मुद्दों से भटकाने, सदन को ठप करने और सरकार को काम करने से रोकने के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। यह व्यवहार विपक्ष का नहीं, जनता के अधिकारों का शत्रु बनने जैसा है।
विजय शंकर नायक ने आगे कहा की सदन लोकतंत्र का पवित्र मंच है, भाजपा ने उसे अपनी राजनीति का अखाडा बना दिया है जो राज्य की गरीब गुरबा जनता के लिए शुभ संकेत नही है | झारखन की जनता यह पूछने का अधिकार रखती है कि आखिर क्यों शीतकालीन सत्र में एक भी गंभीर जनमुद्दा नहीं उठने दिया गया? क्यों हंगामा ही भाजपा की रणनीति बन चुका है? क्या भाजपा झारखंड के जनता-मुद्दों से इतनी दूर हो चुकी है कि अब उसके पास सवालों का जवाब नहीं, सिर्फ नाटक और उपद्रव ही बचे हैं |
मैं भाजपा को स्पष्ट चेतावनी देता हूँ—झारखंड की जनता सब देख रही है | सदन को बाधित करके भाजपा ने यह साबित कर दिया कि उसे जनता के दुख-दर्द से कोई सरोकार नहीं।उसके लिए सत्ता की राजनीति और मीडिया का शोर जनता के सवालों से बड़ा हो गया है।
विजय शंकर नायक ने आगे कहाः की जनता चाहती थी की सदन में कानून बने, नीतियाँ बनें, जन समस्याओं का समाधान हो लेकिन भाजपा ने जनता की आशाओं को रौंदते हुए पूरी कार्यवाही को सड़कछाप नाटक में बदल दिया। यह विपक्ष की जिम्मेदारी नहीं, विपक्ष की विफलता है।भाजपा के लिए अब मुद्दे नहीं, सिर्फ कैमरे, हंगामा और टकराव ही राजनीति बन चुके हैं।
झारखंड की जनता को उसका हक चाहिए—हंगामा नहीं, समाधान चाहिएमैं मांग करता हूँ कि—सदन में जनता के बुनियादी मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हो।भाजपा जनता से माफी मांगे कि उसने पूरा सत्र बर्बाद किया।प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभाने के बजाय शोर-शराबे की राजनीति को छोड़ा जाए।सदन में बाधित कार्यवाही को पुनः चलाकर बुनियादी मुद्दों पर पूरी चर्चा कराई जाए।भाजपा सदन व जनता से सत्र बर्बाद करने के लिए माफी मांगे। भविष्य में ऐसी राजनीतिक अराजकता को रोकने के लिए कड़े नियम लागू हों।
