रांची: आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व विधायक प्रत्याशी श्री विजय शंकर नायक ने एचईसी में गरीबों के आशियानों पर चलाए जा रहे बुलडोजर को “नृशंस, अमानवीय और गरीबों के प्रति घृणित साजिश” करार देते हुए तीव्र आक्रोश जताया। उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के आदेशों की खुली अवमानना बताया, जो बिना पुनर्वास के अतिक्रमण हटाने पर रोक लगाते हैं।
विजय शंकर नायक ने चेतावनी दी, “यह गरीबों के जीवन और सम्मान पर हमला है, जिसे हम किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
श्री नायक ने कहा, “एचईसी में बरसों से रह रहे गरीब मजदूरों के घरों को बिना वैकल्पिक व्यवस्था के तोड़ना क्रूरता और संविधान के अनुच्छेद 21 का घोर उल्लंघन है। यह सत्ता का दुरुपयोग और गरीबों के प्रति घृणा का प्रतीक है। हम इस अत्याचार के खिलाफ सड़क से सर्वोच्च न्यायालय तक लड़ेंगे।”
सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के आदेश
श्री नायक ने निम्नलिखित महत्वपूर्ण मामलों का हवाला दिया:
1. सुप्रीम कोर्ट: ओल्गा टेलिस बनाम बॉम्बे म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (10 जुलाई 1985)
– आजीविका का अधिकार अनुच्छेद 21 का हिस्सा; बिना पुनर्वास के बेदखली गैरकानूनी।
2. सुप्रीम कोर्ट: चमेली सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (18 दिसंबर 1995)
– आश्रय का अधिकार मौलिक; बिना पुनर्वास के बेदखली असंवैधानिक।
3. सुप्रीम कोर्ट: सुदामा सिंह बनाम दिल्ली सरकार (11 फरवरी 2010)
– अतिक्रमण हटाने से पहले पुनर्वास अनिवार्य।
4. सुप्रीम कोर्ट: हल्द्वानी बेदखली (जनवरी 2023 और 24 जुलाई 2024)
– पुनर्वास के बिना अतिक्रमण हटाना अमानवीय; कोर्ट ने कहा, “वे भी इंसान हैं।”
श्री नायक ने गर्जना की, “एचईसी में यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाती है। यह गरीबों को उनके मानवाधिकारों से वंचित करने की साजिश है। प्रशासन तत्काल यह बर्बरता रोके, वरना हम कानूनी और जन आंदोलन से जवाब देंगे।”
आंदोलन की चेतावनी
मंच ने चेतावनी दी कि यदि गरीबों के हितों की अनदेखी जारी रही, तो सड़कों पर व्यापक जन आंदोलन होगा। श्री नायक ने कहा, “यह बुलडोजर गरीबों के घर ही नहीं, संविधान और मानवता को कुचल रहा है। हम सभी से इस अत्याचार के खिलाफ एकजुट होने की अपील करते हैं।”
मांगें:
1. एचईसी में बेदखली तत्काल रोकी जाए।
2. प्रभावितों के लिए तुरंत पुनर्वास और आवास की व्यवस्था हो।
3. सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन हो।