गढ़ी रोशन गौशाला में गोवंशों के लिए संपूर्ण व्यवस्था

सर्दी से बचाव के लिए लगाए गए हीटर व त्रिपालगोबर से कंपोजिट खाद बनाने के लिए बनाये गये टैंकचारे की दिक्कत को देखते हुए गोवंशों के लिए लगाई नेपियर व आजोला घास

अलीगंज। शासन द्वारा प्रत्येक जनपद में गोशालाओं का निर्माण कराया गया था, जिससे गोवंशों का संरक्षण किया जा सके। कई इलाकों में गोवंशों के लिए चारे की कमी हो जाती थी। गोवंशों के संरक्षण और उनके लिए चारे की व्यवस्था के लिए नेपियर घास लगाने की शुरुआत की है। जनपद की प्रत्येक गोशालाओं में यह घास लगाई जा रही है, जिससे किसी भी गोशाला में हरे चारे की कमी न रह सके। नेपियर घास तेजी से बढ़ती है साथ ही यह 12 माह उपलब्ध रहती है, जिससे गोशाला में गोवंश के लिए चारे की सही व्यवस्था रहेगी और किसी भी गोवंश की चारे के अभाव नहीं रहेगा।हरी घास जानवरों के लिए फायदेमंद होती है, और यह आसानी से लग जाती है। इस घास के लगने से गोशाला में चारे की कमी नहीं रहेगी। जिससे गो संरक्षण में मदद भी मिलेगी। गौशालाओं के सौंदर्य करण के लिए काफी प्रयास किया जा रहे हैं जिसके तहत विकासखंड जैथरा के गढ़ी रोशन में स्थाई गौशाला का निर्माण कराया गया है जिसमें गोवंशों के चारे व पानी और सर्दी से बचाव के लिए संपूर्ण व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है।अस्थाई गौशाला ग्राम पंचायत गढ़ी रोशन में गोवंशो के लिए काफी व्यवस्थाएं की गई हैं तथा गौशालाओं का सौंदर्य करण भी किया गया है। गढ़ी रोशन गौशाला में तकरीबन 115 गोवंश है। गौशालाओं की दीवारों पर बाल पेंटिंग कराई गई है साथ ही गायों के पानी पीने के लिए चराई की व्यवस्था भी की गई है। वही गौशाला में चारे की दिक्कत को देखते हुए शासन द्वारा नेपियर व अजोला घास लगवाई गई है जिससे गायों को हरे चारे की कोई भी परेशानी न हो। अजोला घास के लिए एक अलग से चराई बनाई गई है। वहीं नेपियर और अजोला घास खासकर बरेली से मंगाई गई है जिसकी 5 बीघा में नेपियर की खेती की गई है और तीन टैंक अजोला घास के लिए बनाए गए हैं। 7 से 8 टैंक बर्मी टैंक के बनाए गए हैं जिसमें कंपोस्ट गोबर से खाद बनाने की प्रक्रिया की जाएगी।चारागाह की जमीन पर अस्थाई गौशाला का निर्माण कराया गया है तहसील स्तर पर चक नाप के लिए दे दिया गया है समिति गठित कराकर पूरी बाउंड्री कराई जाएगी सर्दी के बचाव के लिए हीटर व ट्रिपल चारों तरफ से लगवा दिए गए हैं जिससे गोवंशों को सर्दी न सताए। वही हीटर को ऊंची सतह पर लगाया गया है जिससे किसी भी गोवंश को नुकसान न पहुंचे। ताजे पानी के लिए 10 एचपी की मोटर लगाई गई है जिससे गोवंशों को पानी दिया जाएगा और साथ ही खेती की सिंचाई भी की जाएगी।12 से 13 फीट बर्फीली वुस भी बनवा दिया गया है।

किसी भी मौसम में उगा सकते हैं नेपियर घास

इस घास की खासियत यह है कि इसे पानी की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती. नेपियर घास को किसी भी मौसम में उगया जा सकता है. यह पशुओं हेतु उत्तम चारा है. इसे खाने से पशुओं में गैस की समस्या नहीं होती है और यह बहुत ही फायदेमंद व पौष्टिक चारा है।

गौशालाओं में चारे की कमी से मृत पशुओं की मिलती रहती थी खबरें

प्रदेश सरकार के निर्देश पर गौशालाओं में संरक्षित पशुओं की देखभाल व खानपान के लिए शासन की ओर से प्रति पशु 30 रुपए प्रतिदिन के हिसाब खर्च किया जाता है. ऐसे में पशुओं को पौष्टिक आहार की जगह केवल सूखा भूसा व नाम मात्र का राशन मिल पाता है. पौष्टिक चारे की कमी से गो-आश्रय स्थलों से लगातार पशुओं के कमजोर होकर मौत होने की शिकायतें भी आती हैं. अब संरक्षित पशुओं को साल भर हरा पौष्टिक चारा उपलब्ध हो सके, इसके लिए नेपियर घास की रोपाई की जा रही है।

खंड विकास अधिकारी चंद्र मोहन कनौजिया जैथरा

ने बताया गढ़ी रोशन अस्थाई गौशाला में अजोला घास लगाई गई और हरे चारे की पर्याप्त मात्रा के लिए नेपियर घास बरेली से खासकर मंगाई गई है जो पांच बीघा में नेपियर घास लगाई गई है जो पशुओं के लिए बारहमास उगी रहती है गाय के गोबर से कंपोजिट खाद बनाई जा रही है गांव के लिए अच्छे भूसा दाना की व्यवस्था की गई है सर्दियों में हीटर व चारों तरफ से ट्रिपल की व्यवस्था भी की गई है। हम प्रयासरत हैं कि गोवंशों के लिए जो संगठन है उनको गौशालाओं से कैसे जोड़ा जाए उनका भी प्रयास किया जा रहा है जिससे गोवंशों की सुरक्षा हो सके वही निराश्रित गोवंशों के लिए प्रयासरत है।

बीडीओ गोपल गोयल

ने बताया कि जिलाधिकारी महोदय के आदेश अनुसार गढ़ी रोशन गौशाला की तर्ज पर आजमनगर गौशाला में 30 बीघा जमीन पर तारबंदी पहले से ही कर दी है और 10- 12 बीघा में चरी बोई गई है और दो बीघा में नेपियर घास लगाई गई है। तहसीलदार द्वारा जगह चिन्हित करने पर नरेगा द्वारा तारबंदी कराई जाएगी।

उप जिलाधिकारी अलीगंज प्रतीक त्रिपाठी

ने बताया कि लेखपालों को निर्देश दिए गए हैं कि अभियान चलाकर चारागाह की जमीन को चिन्हित कर ले और अगर अतिक्रमण या कब्जा पाया जाता है तो कार्रवाई की जाएगी।

जिलाधिकारी प्रेम रंजन

नें जानकारी देते हुए बताया कि बीडीओ गोपाल गोयल को निर्देश दिए गए हैं कि जितनी भी जमीन चारागाह की है इसकी पैमाइश होने के उपरांत नरेगा द्वारा तारबंदी कराई जाए।

दिलीप सिंह मंडल ब्यूरो एटा उत्तर प्रदेश

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