रामगढ़ जिले के कुजू ओपी क्षेत्र में सीसीएल करमा परियोजना के खुले खदान में हादसे से हुई मौत, सरकार की लापरवाही और माफिया के संरक्षण में फल-फूल रहे अवैध खनन का खूनी परिणाम है-विजय शंकर नायक


रांची, 5 जुलाई 25

झारखंड के रामगढ़ जिले के कुजू ओपी क्षेत्र में सीसीएल करमा परियोजना के खुले खदान में आज सुबह हुए दिल दहलाने वाले हादसे ने एक बार फिर हेमंत सोरेन सरकार की नाकामी और भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है। चाल धंसने से चार गरीब मजदूरों—निर्मल मुंडा (42), वकील करमाली (55), इम्तियाज खान उर्फ लालू खान (38), और रामेश्वर मांझी (35)—की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि तीन अन्य—रोजिदा खातून (35), सरिता देवी (40), और अरुण मांझी (22)—गंभीर रूप से घायल होने पर आज अपनी प्रतिक्रिया मे आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केन्द्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने कही। इन्होंने आगे यह भी कहा कि यह कोई सामान्य हादसा नहीं, बल्कि हेमंत सोरेन सरकार की लापरवाही और माफिया के संरक्षण में फल-फूल रहे अवैध खनन का खूनी परिणाम है।

विजय शंकर नायक ने घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए आक्रोशित और तीखे शब्दों से हमला करते हुए इसे सीधे तौर पर दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग के लोगों की हत्या करार देते हुए कहा है कि यह हत्या उस भ्रष्ट व्यवस्था की है, जो दिन-रात अवैध कोयला खनन को संरक्षण दे रही है।

सरकार की नाक के नीचे माफिया खुलेआम काला कारोबार चला रहे हैं, और पुलिस-प्रशासन मूकदर्शक बने हुए हैं। क्या यह संयोग है कि सीसीएल द्वारा बंद की गई खदान को माफिया ने फिर से शुरू कर दिया, और सरकार को इसकी भनक तक नहीं? यह सरकार की नाकामी नहीं, तो और क्या है? इन्होंने यह भी आगे कहा कि झारखंड के गरीब दलित, आदिवासी और मूलवासी रोजी-रोटी की तलाश में अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, और सरकार की लापरवाही उनकी जिंदगी छीन रही है।

रामगढ़, धनबाद, हजारीबाग, बोकारो—हर जगह मौत का यह काला खेल बेरोकटोक चल रहा है। यह स्पष्ट है कि यह अपराध पुलिस और सरकारी संरक्षण के बिना संभव नहीं है। जब राज्य का नेतृत्व ही भ्रष्टाचार में डूबा हो, तो गरीबों की जान की कीमत क्या रह जाती है?

हम मांग करते हैं:

  1. इस हादसे की उच्चस्तरीय जांच हो, जिसमें माफिया और उनके संरक्षकों का पर्दाफाश हो।
  2. अवैध खनन पर तत्काल रोक लगाई जाए और दोषी अधिकारियों व नेताओं को कठोर सजा दी जाए।
  3. मृतकों के परिजनों को 50 लाख रुपये मुआवजा और घायलों को मुफ्त इलाज व 5 लाख मुआवजा दिया जाए।
  4. झारखंड में अवैध खनन के पूरे नेटवर्क की जांच सीबीआई को सौंपी जाए।

विजय शंकर नायक ने हेमंत सोरेन सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि झारखंड की जनता अब इस अवैध खनन से हो रहीं मौतों को कदापि बर्दाश्त नहीं करेगी। हर दलित, आदिवासी, मूलवासी लोगो के मौतों का हिसाब सरकार से लिया जाएगा। यह सरकार गरीबों की लाशों पर सत्ता की रोटियां सेंकना बंद करे। आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच इस अन्याय के खिलाफ सड़क से लेकर सदन तक संघर्ष करेगा।

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