संतकबीरनगर। जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर द्वारा जनपद में पराली प्रबंधन,फसल अवशेषों को खेतों में न जलाने हेतु जनपद के किसान भाइयों को जागरूक करने के लिए पराली जागरूकता बढ़ाए जाने हेतु प्रचार वाहनों को कलेक्ट्रेट परिसर से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।
उप कृषि निदेशक डॉ0 राकेश कुमार सिंह ने बताया कि यह प्रचार वाहन तीनों तहसील अंतर्गत सभी विकासखंड में गांव-गांव भ्रमण कर परली जागरूकता करेंगे। उन्होंने बताया कि प्रचार वाहन जनपद के समस्त विकास खंडों में कृषकों के मध्य पहुंच कर पराली जलाने से होने वाले हानि एवं अवशेषों के प्रबंधन के उपायों के बारे में जागरूक करेगा।
जिलाधिकारी ने जनपद के किसान भाइयों से अपील किया है कि खेतों में धान की कटाई के उपरांत फसल अवशेष,अपशिष्ट कदापि न जलायें, बल्कि कृषि यंत्रों एवं डि-कम्पोजर का प्रयोग कर पराली को जैविक खाद में परिवर्तित कर खेतों की उर्वरा शक्ति को बढ़ायें। उन्होंने कहा किसान भाई धान की पराली को पराली प्रबंधन के यंत्र से खेत में मिला दे एवं सुपर सीडर द्वारा गेहूं की बुवाई करें, इसी प्रकार पराली को एकत्र करके पशुओं को हरे चारे के साथ मिलकर खिलाएं, गौशालाओं में दान करें। कोई भी कंबाइन संचालक बिना पराली प्रबंधन यंत्र के धान की कटाई न करें।
जिलाधिकारी द्वारा उप कृषि निदेशक सहित संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि ग्राम पंचायत,न्याय पंचायत स्तर के कार्मिकों से कृषकों के मध्य लीफलेट, डीकम्पोजर व अर्थदण्ड के विषय में व्यापक प्रचार-प्रसार कराएं, कम्बाइन हार्वेस्टर से कटाई कर रही मशीनों में एस.एम.एस. अनिवार्य रूप से लगाना सुनिश्चित करें, जिस भी कम्बाइन में एस.एम.एस. न लगा हो अथवा फसल प्रबंधन के यन्त्र न हो, तो सीज करने की कार्यवाही भी की जाय।
उप कृषि निदेशक ने अवगत कराया कि पराली खेतों में जलाने पर लगने वाला अर्थदण्ड 02 एकड़ से कम पर दो हजार पॉच सौ रूपये, 02 से 05 एकड़ पर पॉच हजार रूपये तथा 05 एकड़ से अधिक पर पन्द्रह हजार रूपये तक का जुर्माना निर्धारित किया गया है।