निबन्धन मित्र की भर्ती का प्रस्ताव लिया जाये वापस
अलीगंज। दस्तावेज लेखक एसोसियेशन के दस्तावेज लेखकों नें उत्तर प्रदेश शासन द्वारा घोषित निबन्धन मित्र की भर्ती का प्रस्ताव वापस लिये जाने के सम्बन्ध में चार सूत्रीय मांग पत्र मुख्यमंत्री, स्टांप एवं पंजीयन मंत्री, उप जिलाधिकारी अलीगंज दिया है।
दस्तावेज लेखक एसोसियेशन के दस्तावेज लेखकों नें बताया कि हम दस्तावेज लेखकगण कई दशको से निबन्धन विभाग के मित्र के रूप विभाग के राजस्व संग्रह मे सहयोग करते चले आ रहे है। उत्तर प्रदेश शासन द्वारा निबन्धन विभाग मे बीस हजार निबन्धन मित्रों की भर्ती का प्रस्ताव है। यह प्रस्ताव हम दस्तावेज लेखको के जीविकोपार्जन सम्बन्धी मौलिक अधिकार के विरूद्ध है।
रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 की धारा 69 के अन्तर्गत सन् 1977 ई० मे उत्तर प्रदेश दस्तावेज लेखक अनुज्ञापन नियामवली 1977 बनायी गयी जिसे अधिनियम के परिशिष्ठ 6 में रखा गया है। जिसके तहत दस्तावेज लेखको को दस्तावेज लेखन करके जीविकोपार्जन हेतु अनुज्ञप्ति निर्गत की जाती है और अनुज्ञप्ति धारक दस्तावेज लेखक लेखन कार्य करके अपना व अपने परिवार का जीविकोपार्जन एंव भरण पोषण करते चले आ रहे है और राजस्व संग्रह में अहम भूमिका निभाते रहें है।
उत्तर प्रदेश दस्तावेज लेखक अनुज्ञापन नियमावली 1977 की धारा 3 के अन्तर्गत दस्तावेज लेखको की अधिकतम संख्या का निर्धारित की गयी है। जिससे दस्तावेज लेखको को उनके लिखने हेतु निर्धारित दस्तावेज भी नही मिल पा रहे है। ऐसी स्थिति मे निबन्धन मित्रों को सरकार द्वारा प्रस्तावित सुविधाओं के मिलने के कारण उनकी भर्ती हो जाने के उपरान्त दस्तावेज लेखको को लिखने बेरोजगार हो जायेगे। तथा इस प्रकार उपरोक्त नियमावली का उल्लंघन भी होगा। उत्तर प्रदेश के द्वारा की गयी घोषणा बीस हजार निबन्धन मित्रो की भर्ती हम दस्तावेज लेखकों के जीविकोपार्जन के साधन को छीनने का प्रयास है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 मे वर्णित जीविकोपार्जन का अधिकार हमारा मौलिक अधिकार है। और प्रदेश सरकार की घोषणा बीस हजार निबन्धन मित्रों की भर्त हमारे मौलिक अधिकार जीविकोपार्जन के अधिकार का हनन होगा। इसलिये यह प्रस्ताव सर्वथा विधि विरूद्ध है। अतः हम दस्तावेज लेखकों के जीविकोपार्जन के अधिकार के विरूद्ध प्रदेश सरकार की घोषणा बीस हजार निबन्धन मित्रो की भर्ती का प्रस्ताव वापस लिया जाये।
दिलीप सिंह मंडल ब्यूरो एटा उत्तर प्रदेश