अर्थ डे 2025 टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क में मनाया गया, जहां जैव-कीटनाशक निर्माण पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

जमशेदपुर। कहते हैं पृथ्वी अगर धनी नहीं होगी; तो सब है बेकार। यहां पृथ्वी का धनी होना; मेरे देश की धरती सोना उगले-उगले से है। हमारे देश की धरती बांझ और नशीली सी हो गई है। रासायनिक खाद व रासायनिक कीटनाशक के बिना अब वह सोना नहीं उगलती! अतः पृथ्वी को बांझ और बंजर होने से बचने के लिए हमारे देश में लोगों का रुझान जैविक खाद और जैविक कीटनाशक की ओर बढ़ रहा है। इसी कड़ी में उक्त अर्थ डे के अवसर पर 22 अप्रैल 2025 को टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क में अर्थ डे मनाया गया।

उस दौरान पटमदा प्रखंड के ग्रामीण युवाओं के लिए “घर पर जैव-कीटनाशक बनाना” विषय पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला “बिदु चंदन ट्रस्ट फॉर ट्राइबल सेल्फ-एम्पावरमेंट” से जुड़े पलाशबनी गांव (जो लौहनगरी की सीमा पर राष्ट्रीय राजमार्ग 33 के किनारे स्थित है) के उत्साही प्रतिभागियों के लिए आयोजित की गई। इस वर्ष पृथ्वी दिवस की थीम थी “आवर पावर, हमारा प्लैनेट” रहा। मिट्टी की उर्वरता और उसकी जैव विविधता को बनाए रखना मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है।

यदि मिट्टी स्वस्थ नहीं होगी तो ना ही हमारे लिए जरूरी पौधे पनप पाएंगे और ना ही पशु-पक्षियों का जीवन सुरक्षित रहेगा। दुर्भाग्यवश, असंतुलित कृषि पद्धतियों के कारण उपजाऊ मिट्टी तेजी से नष्ट हो रही है। ऐसे में आज के युवाओं को पर्यावरण और जैव विविधता के संरक्षण की जिम्मेदारी समझनी होगी, ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए यह संसाधन सुरक्षित रह सकें।

टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क लगातार ऐसे प्रयास करता है जिससे समाज में पृथ्वी और उसके जीवन के प्रति जागरूकता फैलाई जा सके। पृथ्वी दिवस 2025 के अवसर पर आयोजित यह कार्यशाला, वन्यजीव और प्रकृति संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए उद्यान द्वारा चलाए जा रहे शैक्षणिक कार्यक्रमों का हिस्सा है। उक्त अवसर पर जैविक और पर्यावरण अनुकूल कीटनाशक बनाने की कार्यशाला का संचालन डॉ. सीमा रानी (जीवविज्ञानी एवं शिक्षा अधिकारी, टाटा ज़ू) ने किया।

उन्होंने किचन गार्डन या घर के पिछवाड़े में उपलब्ध सामान्य सामग्रियों से जैव-कीटनाशक बनाने की सरल प्रक्रिया को व्यावहारिक रूप से प्रदर्शित किया। प्रत्येक वर्ष 22 अप्रैल को दुनिया भर में पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। पेड़ लगाकर, प्लास्टिक का प्रयोग कम करके, ऊर्जा की बचत करके और प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर; आइए इस दिवस पर हम भी इस अभियान में अपना योगदान दे।

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