ट्रैक्टर ट्राली पलटने से हुए हादसे के बाद भी लोगों ने नहीं लिया सबक

जान जोखिम मे डालकर शादी का भात पहनाकर ट्रैक्टर ट्राली मे भरकर लौट रहे लोग

अप्रशिक्षित ट्रैक्टर चालकों पर नहीं होते कोई भी लाइसेंस

एक के बाद एक हादसा होने के बाद भी आखिर जिम्मेदार कौन?


अलीगंज।कासगंज जनपद में गंगा स्नान करने गए श्रद्धालुओं से भरी ट्रैक्टर ट्राली तालाब में गिर गई। जिसमे दरियावगंज-पटियाली मार्ग पर ट्रैक्टर ट्राली पलटने से 24 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई व कई लोग घायल हो गये। इतना ही नहीं अक्टूबर 2022 में भी कानपुर जिले के घाटमपुर क्षेत्र में देवी दर्शन कर उन्नाव से लौट रहे 26 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। ट्राली पर 50 से ज्यादा लोग सवार थे। इतना बड़ा हादसा देखने के बाद भी ग्रामीणों ने कोई सबक नही लिया है। अभी भी बड़ी संख्या में ग्रामीण ट्रैक्टर ट्राली में बैठकर सफर कर रहे है। इन दुर्घटनाओं के बाद सबसे पहला प्रश्न यह उठता है कि आखिर इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार कौन है ?

ट्रैक्टर ट्राली पलटने से कासगंज में हुई दुर्घटना ने पूर्व में हो चुकी दुर्घटनाओं की याद ताजा कर दी। एक के बाद एक दर्दनाक हादसे हो रहे हैं। फिर भी लोग इनसे सबक नहीं ले रहे। इतने बड़े हादसे के बाद भी ट्रैक्टर ट्राली में कई महिलाएं व युवक और बच्चे अमरोली बाईपास के पास देखने के लिए मिले जब ट्रैक्टर चालक से पूछा गया तो उसने बताया कि थाना नयागांव के असन नगर शादी का भात पहनाकर अपने गांव थाना अकराबाद कपिल जा रहे हैं। ग्रामीण ट्रैक्टर ट्रालियों में भरकर आते जाते रहे, लेकिन कोई भी प्रशासनिक अधिकारी या पुलिस ने रोकटोक करता नहीं दिखा। बीते वर्ष 4 अप्रैल 2023 को कायमगंज क्षेत्र में ट्रैक्टर ट्राली पलटने से 35 लोग घायल हो गए थे। वहीं 12 अप्रैल 2024 को शमशाबाद क्षेत्र में ट्रैक्टर ट्राली के पलटने से दो लोगों की मौत हो गई थी जबकि 31 लोग घायल हो गए थे। वहीं 21 जनवरी 2024 को नवाबगंज क्षेत्र में ट्रैक्टर ट्राली पलटने से दो लोगों मौत हो गई थी। इसका अनुमान लगातार हो रही दुर्घटनाओं से लगाया जा सकता है। कहना गलत नहीं होगा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सडक़ दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण अनियंत्रित ट्रैक्टर ट्रालियां हैं। इनके चालक ज्यादातर अप्रशिक्षित होते हैं जो यातायात नियमों का पालन नहीं करते हैं। ट्रालियां केवल फसल और कृषि संबंधित अन्य सामान ले जाने के लिए होती है, लेकिन निर्माण के दौरान इनके आकार प्रकार पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। भारवहन क्षमता के अनुरूप एक्सल भी नहीं लगाए जाते है। इनमें न ही प्रकाश की व्यवस्था होती और न हीं पीछे रेडियम संकेतक लगे होते है। ट्रालियों मे किसी प्रकार के ब्रेक की व्यवस्था भी नहीं होती है। कासगंज की घटना के बाद भी हो सकता है कि प्रदेश में बड़े स्तर पर अभियान चलाया जाएगा। सवारियां ढोने या यातायात नियमों के उल्लंघन पर ट्रैक्टर ट्रालियों का चालान होगा, लेकिन पांच-दस दिनों के बाद सब पुराने ढर्रे पर आ जाएगा। जब तक ट्रालियों के संचालन को लेकर स्पष्ट कानून नहीं बनेगा या पुलिस यातायात मानकों के उल्लंघन पर कठोर कार्रवाई नहीं करेगी। इस तरह की दुर्घटनाओं पर अंकुश संभव नहीं होगा। इसके अलावा अन्य वाहन भी ओवरलोड भरकर चल रहे हैं। जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

क्षेत्राधिकार सुधांशु शेखर ने बताया कि लोगों को जागरूकता के माध्यम से बताया जा रहा है कि ट्रैक्टर का प्रयोग सिर्फ कृषि से संबंधित करें। वाहन के रूप में ट्रैक्टर ट्रॉली का प्रयोग ना करें। और जो लोग ट्रैक्टर ट्राली से चल रहे उनको वापस भेजा जा रहा है अगर कहीं भी जाना है तो यात्री वाहन सरकारी बस का प्रयोग करें

दिलीप सिंह मंडल ब्यूरो एटा उत्तर प्रदेश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!