PM उज्ज्वला योजना : देश भर के गरीब परिवारों की वयस्क महिलाओं को जमा राशि मुक्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) मई, 2016 में आरंभ की गई थी। पीएमयूवाई के तहत 8 करोड़ कनेक्शन जारी करने का लक्ष्य सितंबर 2019 में हासिल किया गया था। शेष गरीब परिवारों को कवर करने के लिए, उज्ज्वला 2.0 को अगस्त 2021 में 1 करोड़ अतिरिक्त पीएमयूवाई कनेक्शन जारी करने के लक्ष्य के साथ लॉन्च किया गया था। यह लक्ष्य भी जनवरी 2022 में हासिल किया गया।
इसके बाद, सरकार ने उज्ज्वला 2.0 के तहत 60 लाख और एलपीजी कनेक्शन जारी करने का फैसला किया और दिसंबर 2022 के दौरान 1.60 करोड़ उज्ज्वला 2.0 कनेक्शन का लक्ष्य भी हासिल कर लिया गया। इसके अलावा, सरकार ने पीएमयूवाई योजना के तहत अतिरिक्त 75 लाख कनेक्शन जारी करने को मंजूरी दी जिसे जुलाई 2024 तक हासिल कर लिया गया।

पीएमयूवाई लाभार्थियों की एलपीजी खपत की निगरानी पीपीएसी की खपत रिपोर्ट, कॉमन एलपीजी डेटा प्लेटफॉर्म (सीएलडीपी) और ओएमसी के साथ बैठकों के माध्यम से नियमित रूप से की जाती है। परिवारों द्वारा घरेलू एलपीजी की खपत कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे कि भोजन की आदतें, परिवार का आकार, खाना बनाने की आदतें, परंपरा, स्वाद, पसंद, कीमत, वैकल्पिक ईंधन की उपलब्धता आदि। योजना के बारे में जागरूकता पैदा करने और एलपीजी उपयोग से संबंधित किसी भी मुद्दे को हल करने के लिए, ओएमसी नियमित रूप से ग्राहकों के लिए एलपीजी पंचायत आयोजित करती हैं।
सरकार ने पीएमयूवाई लाभार्थियों द्वारा एलपीजी की बेहतर खपत को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें सब्सिडी राशि से ऋण वसूली को स्थगित करना, अग्रिम नकद खर्च को कम करने के लिए 14.2 किलोग्राम की जगह 5 किलोग्राम सिलेंडर का विकल्प, 5 किलोग्राम डबल बोतल कनेक्शन का विकल्प, लाभार्थियों को निरंतर आधार पर एलपीजी का उपयोग करने के लिए मनाने के लिए प्रधानमंत्री एलपीजी पंचायत का आयोजन व जागरूकता अभियान शामिल हैं।
पीएमयूवाई उपभोक्ताओं के लिए एलपीजी को अधिक किफायती बनाने और उनके द्वारा एलपीजी का निरंतर उपयोग सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने मई 2022 में पीएमयूवाई उपभोक्ताओं को प्रति वर्ष 12 रिफिल (और 5 किलोग्राम कनेक्शन के लिए आनुपातिक) के लिए 200 रुपये प्रति 14.2 किलोग्राम सिलेंडर की लक्षित सब्सिडी शुरू की। अक्टूबर 2023 में, सरकार ने लक्षित सब्सिडी को बढ़ाकर 300 रुपये प्रति 14.2 किलोग्राम सिलेंडर कर दिया।
पीएमयूवाई उपभोक्ताओं को 300 रुपये प्रति सिलेंडर की लक्षित सब्सिडी के बाद, भारत सरकार दिल्ली में 553 रुपये प्रति सिलेंडर की प्रभावी कीमत पर 14.2 किलोग्राम एलपीजी सिलेंडर प्रदान कर रही है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, पीएमयूवाई लाभार्थियों की प्रति व्यक्ति खपत (प्रति वर्ष लिए गए 14.2 किलोग्राम एलपीजी सिलेंडर की संख्या के संदर्भ में) 3.68 (वित्त वर्ष 2021-22) से बढ़कर 4.47 (वित्त वर्ष 2024-25) हो गई है। पीएमयूवाई कनेक्शनों की निष्क्रियता का आकलन उन उपभोक्ताओं के माध्यम से किया जा सकता है जिन्होंने कनेक्शन लगवाने के बाद कोई रिफ़िल नहीं लिया है।
01.07.2025 तक, लगभग 1.3 प्रतिशत पीएमयूवाई उपभोक्ताओं ने अपने कनेक्शन लगवाने के बाद से कोई रिफ़िल नहीं लिया है। विभिन्न स्वतंत्र अध्ययनों और रिपोर्टों से पता चला है कि पीएमयूवाई योजना का ग्रामीण परिवारों, खासकर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में रहने वाली महिलाओं और परिवारों के जीवन पर महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
कुछ प्रमुख लाभों का संक्षेप में नीचे वर्णन किया गया है :
(i) पीएमयूवाई के परिणामस्वरूप खाना बनाने के पारंपरिक तरीकों में बदलाव आया है जिनमें लकड़ी, गोबर और फसल अवशेषों को जलाना शामिल है। स्वच्छ ईंधन के उपयोग से घर के अंदर का वायु प्रदूषण कम होता है, जिससे श्वसन स्वास्थ्य में सुधार होता है, खासकर महिलाओं और बच्चों में जो पारंपरिक रूप से घरेलू धुएं के संपर्क में अधिक आते हैं।
(ii) ग्रामीण क्षेत्रों में, खासकर दूरदराज के इलाकों में, परिवार अक्सर अपना काफी समय और ऊर्जा पारंपरिक खाना पकाने के ईंधन जुटाने में लगाते हैं। एलपीजी ने गरीब परिवारों की महिलाओं की मेहनत और खाना पकाने में लगने वाले समय को कम किया है। इस प्रकार, उनके पास उपलब्ध खाली समय का उपयोग आर्थिक उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई क्षेत्रों में किया जा सकता है।
(iii) खाना पकाने की बेहतर सुविधाओं से पोषण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है। परिवारों के लिए विभिन्न प्रकार के पौष्टिक भोजन पकाना आसान हो सकता है जिससे समग्र स्वास्थ्य बेहतर होगा।
(iv) बायोमास और पारंपरिक ईंधन छोड़कर एलपीजी अपनाने से खाना पकाने के लिए लकड़ी और अन्य बायोमास पर निर्भरता कम हो जाती है, जिससे वनों की कटाई और पर्यावरणीय क्षरण में कमी आती है। इससे न केवल परिवारों को लाभ होता है, बल्कि व्यापक पर्यावरण संरक्षण प्रयासों में भी योगदान मिलता है।केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में उक्त जानकारी दी।