H.E.C अपने सरप्लस बिना उपयोग वाली जमीन को रैयतो को वापस करे और रैयतो की जमीन की दलाली बंद कर उसे बेचना बंद करे -विजय शंकर नायक

उपरोक्त बाते आज झारखंड बचाओ मोर्चा के केंद्रीय संयोजक सह हटिया विधान सभा क्षेत्र के प्रत्याशी सह आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने आज कही ।इन्होने यह भी कहा कि एच.ई.सी अपने स्थापना काल के समय से ही विस्थापित परिवारों से किये गये वादो को आज तक पुरा नही किया गया जो रैयतो के साथ धोखा था ।
श्री नायक ने स्पष्ट शब्दो मे आगे कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में यह प्रावधान है कि जिस जमीन का अधिग्रहण किया गया यदि उस पर पांच साल काम नहीं किया गया, तो उसे रैयत को वापस करना है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार ने नियम बदलते हुए जमीन लैंड बैंक को वापस करने का नियम बना दिया था। उन्होंने कहा कि सरकार रैयत को जमीन वापस करने के लिए एक माह के भीतर कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर नियम बदलने का कार्य करे और एच.ई.सी द्वारा जरूरत से अधिक अधिग्रहित की गई भूमि को अविलंब उसे रैयतो को वापस कर दिया अन्यथा झारखंड बचाओ मोर्चा आन्दोलन करने को बाध्य होगी ।

श्री नायक ने आगे बताया कि
वर्ष 1958 में, बिहार सरकार ने रांची में एचईसी को पुराने रांची जिले के 23 गांव में 7,199 एकड़ भूमि आवंटित की। पुराने रांची जिले के इन 23 गांवों से 1959 से 1973 तक भूमि का अधिग्रहण किया गया था। कर्मचारियों के लिए आवास और अन्य सुविधाओं के साथ एचईसी फैक्ट्री परिसर बनाने के लिए एचईसी को जमीन दी गई थी।वर्ष 2009 में झारखंड सरकार ने एचईसी के लिए 2342 एकड़ जमीन की मांग की. इस वर्ष के दौरान एचईसी एक रुग्ण इकाई के रूप में विकसित हो गयी थी. एचईसी पुनरुद्धार पैकेज में झारखंड सरकार को 2,342 एकड़ जमीन की बिक्री शामिल थी, जो एचईसी को ₹275 करोड़ का भुगतान कर रही थी। हालाँकि, कंपनी केवल 2,000 एकड़ भूमि ही हस्तांतरित कर सकी। एचईसी शेष 300 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने में विफल रही। एचईसी द्वारा कब्जा की गई अतिक्रमित भूमि का अनुमानित मूल्य ₹ 3,000 करोड़ है।जून 2014 में, एचईसी ने केंद्र सरकार से 335 करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न करने के लिए अपनी 37 एकड़ जमीन बेचने की अनुमति मांगी। सरकार ने एचईसी को अनुमति देने से इनकार कर दिया, लेकिन इस कदम से एचईसी को अब अपनी जमीन का व्यावसायिक मूल्य प्राप्त करने में मदद मिली, जो प्रति एकड़ 10 करोड़ रुपये थी।हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन 45,000- 50,000 करोड़ रुपये मूल्य की 5,000 एकड़ जमीन पर बैठा है। एचईसी अपने द्वारा अधिग्रहीत जमीन का 10 प्रतिशत से अधिक का उपयोग नहीं कर सका है सिर्फ और सिर्फ रैयतो की जमीन को बेचने का काम कर रहा है जो आक्रोश का विषय है जिसे अब बर्दाश्त नही किया जाएगा ।
श्री नायक ने आगे कहा कि
एचईसी जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के निगम औद्योगिक गतिविधियों को चलाने और उन लोगों को रोजगार प्रदान करने के नाम पर भूमि के बड़े हिस्से का अधिग्रहण किया हैं, अब अप्रयुक्त भूमि के इतने बड़े हिस्से को भारी इंजीनियरिंग निगम के नियंत्रण से मुक्त किया जाना चाहिए और रैयतो को वापस किया जाना चाहिए।

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