हूल दिवस पर भोगनाडीह में आदिवासियों पर क्रूर लाठीचार्ज और आंसू गैस छोड़ने पर हेमंत सोरेन का आदिवासी विरोधी चेहरा हुआ बेनकाब-विजय शंकर नायक


रांची

आज आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने हूल दिवस पर भोगनाडीह में आदिवासियों पर क्रूर लाठीचार्ज और आंसू गैस छोड़ने पर अपनी प्रतिक्रिया मे कही । इन्होने आगे कहा कि 30 जून 2025 को हूल दिवस के अवसर पर, जब आदिवासी समाज भोगनाडीह, दुमका में अपने महान नायकों सिदो-कान्हू की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए शांतिपूर्वक एकत्र हुआ था, हेमंत सोरेन सरकार ने अपनी क्रूरता और आदिवासी विरोधी नीतियों का निंदनीय प्रदर्शन किया।

सिदो-कान्हू की पवित्र जन्मभूमि पर, जहां आदिवासी समाज अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का सम्मान कर रहा था, वहां सरकार के इशारे पर पुलिस ने निहत्थे आदिवासियों पर बर्बर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे। यह कृत्य न केवल अमानवीय है, बल्कि हेमंत सरकार की आदिवासियों के प्रति कथित सहानुभूति की पोल खोलता है जिसकी हम कड़े शब्दो मे इस घटना का निन्दा करते है ।

विजय शंकर नायक ने आगे कहा कि इस क्रूर और अलोकतांत्रिक कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा की जाए कम है। हूल क्रांति की धरती पर आदिवासियों के शांतिपूर्ण आयोजन को कुचलना और उनके सम्मान पर हमला करना, अंग्रेजी शासन की याद दिलाता है। हेमंत सरकार, जो आदिवासी हितों की रक्षा का दावा करती है, ने आज अपने दोगले चरित्र को उजागर कर दिया। यह घटना आदिवासी समाज की गरिमा और उनके अधिकारों पर सीधा हमला है जिसे बर्दाश्त अब नही किया जाऐगा ।


विजय शंकर नायक ने यह भी कहा कि दोषियों पर तत्काल

कार्रवाई: इस बर्बर पुलिस कार्रवाई के जिम्मेदार अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को तुरंत निलंबित किया जाए। *निष्पक्ष जांच: भोगनाडीह की इस घटना की स्वतंत्र और उच्चस्तरीय जांच हो, ताकि दोषियों को सजा मिले। *सार्वजनिक माफी: हेमंत सोरेन सरकार आदिवासी समाज से इस अत्याचार के लिए सार्वजनिक माफी मांगे।

*आदिवासी अधिकारों का सम्मान: हूल दिवस जैसे आयोजनों को स्वतंत्रता और सम्मान के साथ मनाने की अनुमति दी जाए। आदिवासी समाज इस अत्याचार को चुपचाप सहन नहीं करेगा। हम हेमंत सरकार को चेतावनी देते हैं कि वह अपनी तानाशाही और आदिवासी विरोधी नीतियों पर अंकुश लगाए। सिदो-कान्हू की यह धरती अन्याय के खिलाफ हमेशा आवाज उठाती रहेगी। हम आदिवासी समाज के साथ मजबूती से खड़े हैं और उनके हक के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।

जय जोहार! जय हूल! जय सिदो-कान्हू!

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